नई दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बुधवार को मंत्रिमंडल में हुए पहले फेरबदल और विस्तार में छह केंद्रीय और छह राज्य मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई।
जिन कैबिनेट मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है उनमें विधि एवं न्याय, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन, सूचना एवं प्रसारण, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तथा रयासन एवं उर्वकर मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा शामिल हैं। इनके अलावा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
राज्य मंत्रियों में संतोष गंगवार, बाबुल सुप्रियो, प्रताप चंद सारंगी, रतन लाल कटारिया, संजय धोत्रे और देबाश्री चौधरी को पद छोड़ना पड़ा है। इन सभी 12 मंत्रियों ने मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले ही राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप दिया था जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।
दिल्ली भाजपा के कद्दावर नेता डॉ. हर्षवर्द्धन 1993 से 2014 तक दिल्ली विधानसभा के सदस्य रहे और 2014 और 2019 में चांदनी चौक सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में आए हैं। वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी पहले स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके हैं।
दूसरे कार्यकाल में उन्हें शुरू से ही स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयों का कार्यभार दिया गया था। ऐसे समय चुनौतीपूर्ण समय में जब देश कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ रहा है स्वास्थ्य मंत्री को पद से हटाने से स्पष्ट संकेत गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व डॉ. हर्षवर्द्धन के काम से खुश नहीं था।
प्रसाद भी मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में लगातार विभिन्न विभागों के मंत्री रहे। पिछले कार्यकाल में आधार, तीन तलाक कानून और डिजिटल इंडिया जैसे बड़े कामों को अंजाम तक पहुंचाने वाले प्रसाद का पिछले दिनों फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों के साथ शीतयुद्ध भी चला था जिसमें ट्विटर ने उनके अकाउंट को कुछ देर के लिए बंद भी कर दिया था।
महाराष्ट्र से राज्यसभा में भाजपा के सदस्य जावड़ेकर भी उन मंत्रियों में हैं जो मोदी सरकार के पूरे कार्यकाल के दौरान मंत्री रहे हैं। पहले कार्यकाल में शुरू में वह राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए थे और अप्रैल 2018 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
निशंक उत्तराखंड की हरिद्वार सीट से दूसरी बार लोकसभा सदस्य चुने गए हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली थी, लेकिन दूसरे कार्यकाल में सीधे कैबिनेट मंत्री बनाकर शिक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। देश में नई शिक्षा नीति लागू करने का काम उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था। उत्तराखंड में अगले साल होने वाले चुनाव के लिए उन्हें पार्टी के स्तर पर जिम्मेदारी सौंपे जाने की उम्मीद है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्री गौड़ा लगातार चौथी बार लोकसभा के सदस्य बने हैं। वह मोदी सरकार के पूरे कार्यकाल के दौरान कैबिनेट मंत्री रहे हैं। पहले कार्यकाल में उन्होंने रेलवे, विधि एवं न्याय, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब दो साल का समय रह गया है। गौड़ा को वहां भाजपा को सत्ता में वापस लाने के लिए पार्टी संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है।
आठ बार के लोकसभा सांसद गंगवार 1989 में पहली बार आम चुनाव जीते थे। इस बीच सिर्फ 15वीं लोकसभा को छोड़कर वह हर बार सदन के सदस्य बने। वाजपेयी सरकार के समय भी वह कई मंत्रालयों के राज्य मंत्री रहे जबकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया गया। वह 03 सितंबर 2017 से 25 मई 2019 तक श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे। दूसरे कार्यकाल में उन्हें इसी मंत्रालय का दुबारा स्वतंत्र प्रभार दिया गया था।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री सुप्रियो लगातार दूसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं। वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी विभिन्न मंत्रालयों में राज्य मंत्री रहे थे। उनका कद इस साल फरवरी-मार्च में हुए बंगाल चुनाव के बाद कम हुआ है। वह स्वयं भी विधानसभा चुनाव हार गए थे।
ओडिशा के बालासोर से पहली बार लोकसभा पहुंचे सारंगी के पास सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालयों में राज्य मंत्री का प्रभार था। महाराष्ट्र की अकोला सीट से लोकसभा सदस्य धोत्रे लगातार चौथी बार सदन में पहुंचे हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया। उन्हें शिक्षा, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी।
हरियाणा की अंबाला सीट से सांसद कटारिया तीसरी बार लोकसभा के सदस्य बने हैं। पहले कार्यकाल में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई थी। दूसरे कार्यकाल में राज्य मंत्री के रूप में उन्हें जल शक्ति और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया था।
पश्चिम बंगाल की रायगंज सीट से लोकसभा सदस्य चौधरी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री के पद पर थीं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें पद से हटाया गया है। इस चुनाव में भाजपा की सीटें तो काफी बढ़ीं, लेकिन वह चुनाव जीत नहीं सकी।
मोदी की नई टीम : 15 कैबिनेट मंत्री और 28 राज्य मंत्रियों ने ली शपथ