आरा। जम्मू एवं कश्मीर के श्रीनगर के करन नगर इलाके में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए बिहार के भोजपुर जिले के पीरो के जांबाज सपूत मुजाहिद खान को बुधवार को यहां के लोगों ने नम आखों से अंतिम विदाई दी। उनके पार्थिव शरीर को पीरो के एक कब्रिस्तान में राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
शहीद के परिजनों ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पांच लाख रुपये का चेक लेने से इनकार कर दिया। देश की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने वाले मुजाहिद खान के जनाजे में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
शहीद जवान को अंतिम विदाई देने के लिए उनके गांव के अलावा आसपास के गांवों से हजारों लोग पीरो पहुंचे, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार का कोई मंत्री नहीं पहुंचा। हां, राज्य सरकार ने पांच लाख रुपये का चेक जरूर भिजवा दिया। शहीद के परिजनों का कहना है कि सरकार में शामिल लोगों में कोई संवेदना नहीं है, उनके लिए सिर्फ नोट और वोट की अहमियत है।
पीरो के ऐतिहासिक पड़ाव मैदान में शहीद मुजाहिद के जनाजे की नमाज पढ़ी गई, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया। पीरो के दुकानदारों ने अपनी दुकानों को बंद रखा और शहीद के जनाजे में शामिल हुए। जनाजे में शामिल लोगों ने ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाए।
पीरो गांव निवासी अब्दुल खैर खान राजमिस्त्री का काम किया करते थे। उनका बेटा मुजाहिद बचपन से ही देशभक्ति की भावना से लवरेज था। वह सितंबर 2011 में सीआरपीएफ के 49वीं बटालियन में भर्ती हुआ था।
इस बीच, राज्य सरकार द्वारा भेजी गई पांच लाख रुपये की सहायता राशि लेने से शहीद के परिजनों ने इनकार कर दिया। परिजनों ने बिहार सरकार के मंत्री, सांसद या जिले के किसी वरिष्ठ अधिकारी के शहीद की अंतिम विदाई के मौके पर न आने पर नाराजगी जताई।
शहीद के भाई इम्तियाज ने सहायता राशि पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेरा भाई देश की खातिर शहीद हुआ है, शराब पीकर नहीं मरा है। मुझे अपने भाई पर गर्व है। इतनी बड़ी कुर्बानी देने वाले परिवार को कम से कम सम्मानजनक राशि तो मिले, जिससे शहीद के माता-पिता इज्जत से अपनी जिंदगी गुजार सकें।
उल्लेखनीय है कि श्रीनगर के करन नगर सीआरपीएफ कैम्प पर सोमवार को हुए आतंकी हमले में आमने-सामने की गोलीबारी में पीरो का लाल मुजाहिद खान शहीद हो गया था।