जयपुर । आप माने या ना माने लेकिन यह सत्य है कि कम या अधिक नींद के कारण आम नागरिकों में हृदयाघात की संभावना तो बढ़ती ही है इसके साथ ही वह अपने शरीर से पहले ही बुढा हो रहा है।
नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हास्पीटल के हृदयरोग विशेषज्ञ डा़ निखिल चौधरी ने हाल ही में इस संबंध में किये गये सर्वे में यह पाया। उन्होंने 29 सितम्बर को विश्व हृदय दिवस के अवसर पर आज पत्रकारों से बातचीत करते हुये यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अस्पताल में 35 से 70 वर्ष तक की आयु वर्ग के 598 लोगों पर किये गये अध्ययन में पाया कि इनमें से 306 लगभग 72 प्रतिशत लोगों का दिल उनकी उम्र से लगभग 10 से 15 वर्ष अधिक बुढा हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि इनमें से 61 प्रतिशत लोगों में नियमित व्यायाम के प्रति कोई रूझान नही है।
उन्होंने बताया कि अध्ययन में शामिल लोगों में अपर्याप्त नींद सात घंटे से कम और प्रति दिन नौ घंटे से अधिक नींद को सबसे प्रचलित जोखिम भरा पाया गया। अध्ययन में 47 प्रतिशत लोगों में अधिक नींद जबकि 53 प्रतिशत लोगों में कम नींद के साथ अपर्याप्त नींद की समस्या भी पायी गयी। उन्होंने बताया कि प्राय: यह माना जाता है कि हृदयाघात रक्तचाप , मानसिक तनाव , मधुमेह जैसी बीमारियाें से होता है लेकिन अध्ययन में यह भी पाया गया कि इसके साथ ही अपर्याप्त नींद भी हृदयाघात का प्रमुख कारण है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को प्रतिदन कम से कम सात घंटे नींद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नींद में व्यवधान नहीं होना चाहिये और यदि रात में चार से पांच घंटे बगैर बाधा और दिन में दो घंटे की नींद होती है तो ऐसे लोगों के दिल के बुढा होने की संभावना कम हो जाती है1 उन्होंने कहा कि “ कोरोनरी हार्ट डिजीज ” का प्रकोप भारत में लगातार बढ़ रहा है। जिसके वर्ष 2025 तक हृदयाघात से मौत की दर प्रति एक लाख की आबादी में 296 हो जायेगी ।