नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसी भी कम्प्यूटर के डाटा की जांच पड़ताल करने के केंद्रीय एजेंसियों को दिए गए गृह मंत्रालय के आदेश को नागरिकों की निजता का उल्लंघन बताते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तानाशाही रवैया करार दिया है।
गांधी ने ट्वीट कर कहा कि भारत को पुलिस राज्य में बदलकर आपकी समस्या का समाधान होने वाला नहीं है मोदीजी। इससे देश की एक अरब आबादी को पता चल जाएगा कि आप वास्तव में कितने असुरक्षित तानाशाह हैं।
इसके साथ ही उन्होंने वह खबर भी पोस्ट की है जिसमें कहा गया है कि दस केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति के कम्प्यूटर और टेलिफोन डॉटा की निगरानी करने का अधिकार है। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार के इस रवैये की तीखी आलोचना की और राज्यसभा में भी इसको लेकर काफी हंगामा हुआ। इसके कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में स्पष्ट किया है कि यह आदेश 2009 के कानून के आधार पर लाया गया है। गृृह मंत्रालय का कहना है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों को जांच करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी।
राहुल के ट्वीट पर अमित शाह का पलटवार
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा तानाशाह बताए जाने की तीखी आलोचना करते हुए उन पर पलटवार किया है। शाह ने अपने ट्विटर हैंडल पर गांधी को टैग करते हुए कहा है कि देश के इतिहास में सिर्फ दो ही असुरक्षित तानाशाह हुए हैं। इनमें एक ने देश में आपातकाल लगाया था जबकि दूसरा यह चाहता था कि वह लोगों की चिट्ठियों को बेरोकटोक पढ़ सके।
शाह ने अपने इस ट्वीट में आपातकाल का जिक्र कर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरफ इशारा किया है। चिट्ठियों के संदर्भ में भी उनका इशारा कथित रूप से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की ओर है जिनके बारे में एक जमाने में यह आरोप लगा था कि उन्होंने खुफिया विभाग के जरिये सुभाष चंद्र बोस के परिवार के निजी पत्रों पर निगाह रखी थी। लेकिन, उन्होंने अपने इस ट्वीट में सीधे किसी का नाम नहीं लिया है। भाजपा अध्यक्ष ने ट्वीट के अंत में लिखा है कि वे दो तानाशाह कौन हैं आप स्वयं अंदाजा लगाइए।