सबगुरु न्यूज। दिमाग के हालात जब मन मे चल रहे द्वंद के कारण तनावपूर्ण हो जाते हैं तब विचारों की भीड़ से हट जाना जरूरी होता है, अन्यथा दिमाग की हालात बद से बदतर हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में दिमाग दर्द से पीड़ित होकर व्यक्ति को अवसाद में डाल देता है या अनावश्यक संघर्ष करता हुआ वह व्यक्ति को एक नई परेशानी में डाल देता है और समाज में असंतोष को पैदा कर देता है।
इस तरह से उत्पन्न हुआ असंतोष अनजाने नुकसान दायक परिणाम देता है। मन को विचारों की भीड़ से स्वयं हट जाना ही श्रेष्ठ होता है अन्यथा बाहरी शक्तियां जबरदस्ती मन को विचारों की भीड़ से हटाने के लिए दंड देती है और कई प्रतिबंध लगा देती है। यही प्रतिबंध शनैः शनैः मन के द्वंद को हटाकर व्यक्ति के दिमाग को सामान्य स्थिति में लाने का काम करते हैं।
मन का स्वयं विचारों की भीड़ से हटना ही स्वयं पर लगाया गया नियंत्रण है और जब मन स्वयं विचारों की भीड़ से नहीं हटता है तो दूसरी शक्तियों द्वारा लगाया गया नियंत्रण है। एक स्थान पर रहने वाले दो समूहों में जब मन के द्वंद सघंर्ष कर खून खराबे करने लग जाते हैं तो शासन इस पर हस्तक्षेप कर जबरदस्ती कर सबको भगा देते हैं और उस क्षेत्र में पूर्णतया आवाजाही बंद कर सुरक्षा दलो के पहरे लगा देतीं हैं तब यह स्थिति सरकारी कर्फ्यू कहलाती है।
अन्य शब्दों में जहां हालात तनावपूर्ण हो गए थे वहां से भीड़ को हटा दिया। यदि समुदाय के लोग भारी भरकम भीड़ होने के बावजूद भी समझदारी रखते हुए स्वयं ही हालातों को भांपते हुए हट जाते और संघर्ष की भावना हटने के बाद फिर बाहर निकलते हैं तो यह स्वविवेक कर्फ्यू होता है जहां दूसरों की बाध्यता नहीं है केवल तनावपूर्ण हालातों से स्वयं को हटा लेने का स्वविवेक होता है।
संतजन कहते हैं कि हे मानव, जब संक्रमण रोग खतरनाक रूप ले लेता है तो ऐसे तनावपूर्ण हालातों से स्वविवेक के जरिए भीड़ से दूरी बना लेनी चाहिए अन्यथा महामारी बना संक्रमित रोग फिर दो समूहों में हिंसा के जैसा हो जाता है, जहां पर अदृश्य रूप धारण कर महामारी अपने संक्रमण रोग के विषाणु लेकर हिंसा पर उतारू हो जाती है और दूसरा पक्ष यानी भीड़ का समूह निहत्था बनकर महामारी का शिकार होने लग जाता है।
इसलिए हे मानव, वर्तमान में यह कोरोना वायरस जो संक्रमण के विषाणु लेकर और अदृश्य बन कर घरों के बाहर विचरण कर रहा है जिसनें विश्व को अपनी चपेट में लिया है तथा हजारों लोगों को काल के गाल में समाता जा रहा है। इसकी प्रचंडता अब चरम सीमा पर है इसलिए अपने घरों में ही रहें तथा सामाजिक दूरियां बनाएं रखे। यही समय स्वविवेक से भीड़ से हटने का है और वही एक सुरक्षित रास्ता है।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर