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Socio-political organisation can save lives by working this way - Sabguru News
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सामाजिक और राजनीतिक संगठनों की ये पहल भी बचा सकती है जानें

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सामाजिक और राजनीतिक संगठनों की ये पहल भी बचा सकती है जानें
कोरोना की दूसरी लहर, second wave of corona
कोरोना की दूसरी लहर, second wave of corona
कोरोना की दूसरी लहर, second wave of corona

सिरोही। कोरोना से मौत के आंकड़े सिरोही जिले में भी बढ़ रहे हैं। रोज सोशल मीडिया और टेलीफोन पर दुःखद सूचनाएं मिल रही हैं। इनमे से 90 प्रतिशत मौतें ऐसी हैं जो जांच में नहीं आने से संदिग्ध कोरोना में दर्ज हो रही है।

चिकित्सालयों से बाहर घरों और बाहर होने वाली ये मौतें सरकारी आंकड़े में कोरोना में दर्ज नहीं हो रही हैं। सोमवार को जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में अब तक 10 हजार 167 कोविड पॉजिटिव मरीज डिटेक्ट हुए हैं। इनमे से 10 हजार 112 डिस्चार्ज और एक्टिव केस हैं। 55 संक्रमित अब भी कम हैं।

ये आंकड़े मई 2020 से 26 अप्रैल 2021 तक के हैं। विभाग का कहना है कि इन 55 में कुछ दूसरे राज्यों के हैं। यानी कोरोना से मौत का आंकड़ा 55 से भी कम है। लेकिन हकीकत ये है कि कोरोना और इसके संदिग्ध मरीजों की मौत की पिछले सप्ताह में ही संकाय इतनी है। इन मौतों के पीछे कुछ वजह प्रॉब्लम डिटेक्शन है जिसमे कोई भी केंद्रीकृत संगठन जगरुकता फैला सकता है।

ऑक्सीजन की गणना का तंत्र विकसित हो जाए

कोरोना से होने वाली मौतों में असली वजह ब्लड ऑक्सीजन की कमी है। जिला प्रशासन द्वारा विकसित कोरोना वॉरियर तंत्र, राजनीतिक और सामाजिक संगठन इसमें मदद कर सकते हैं।

जिले में विकेन्द्रीकृत व्यवस्था का फायदा कुछ जान बचाने में की जा सकती है। इसमें शहरों और गांवों में मोहल्ले स्तर पर ऐसा तंत्र विकसित हो सके जिससे मोहल्ले के बीमारों में ऑक्सिमिटर के माध्यम से ऑक्सीजन लेवल नापकर उसके डाउन होने पर सही समय चिकित्सालय पहुंचा जा सके। जितनी मौतें हो रही है उनमें से 50 प्रतिशत तो इसी जानकारी के अभाव में हो रही है।

राजनीतिक दल के पन्ना प्रभारी निभा सकते हैं रोल

कोविड के इस महामारी में काम करने के लिए राजनीतिक और सामाजिक दल आगे आए हैं। इन लोगों ने चुनावों में पन्ना प्रभारी बनाकर घर घर सम्पर्क साधने के काम किया है।

संसद, विधायक, जिला प्रमुख, प्रधान, सरपंच, वार्डपंच अपनी इस चुनावी स्किल का इस्तेमाल कोविड में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने को कर सकते हैं। बस इन्हें ऑक्सिमिटर उपलब्ध करवा दिया जाए और खुद को संक्रमण से मुक्त रखने के लिए ट्रेनिंग दे दी जाए।