लखनऊ। लगातार दो लोकसभा चुनाव में शिकस्त झेलने के बाद जीत की सीढ़ी पर कदम रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता संतोष गंगवार को सामाजिक कार्यों से सरोकार रखने वाले राजनेता के तौर पर जाना जाता है।
बरेली के तिओलिया गांव में एक नवम्बर 1948 में जन्मे गंगवार ने राजनीतिक जीवन में प्रवेश करने से पहले रूहेलखंड विश्वविद्यालय से विज्ञान से स्नातक तक जबकि आगरा विश्वविद्यालय से उन्हें कानून की पढाई पूरी की। गंगवार दशकाें से समाज सेवा से जुड़े हैं। वह बरेली में शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड के संस्थापक सदस्यों में एक है और वर्ष 1996 में वह इसके अध्यक्ष भी रहे।
आपातकाल के दौरान उन्होंने सरकार की नीतियों का विरोध किया और इस दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। वर्ष 1996 में उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई का महासचिव नियुक्त किया गया। गंगवार ने 13वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री के साथ-साथ संसदीय कार्य राज्य मंत्री का पदभार भी बखूबी संभाला। इसके अलावा वह विज्ञान एवं तकनीकि राज्यमंत्री भी रहे।
गंगवार ने अपना पहला चुनाव 1981 मे बरेली से भाजपा के टिकट पर लडा था और उनकी करारी हार हुई थी। वर्ष 1984 मे हुए आम चुनावो में उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पडा। हालांकि वर्ष 1989 से 2009 के बीच वह लगातार बरेली के सांसद चुने गए। पन्द्रहवीं लोकसभा के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन के हाथों हार झेलनी पड़ी थी।
बरेली में विकास पुरुष के नाम से प्रसिद्ध गंगवार को चौपला रेलवे स्टेशन का निर्माण, स्टेट आर्ट लाइब्रेरी, मिनी बाई पास सहित तमाम प्रोजेक्ट्स के निर्माण के लिए जाना जाता है।