जैसलमेर। राजस्थान में जैसलमेर पूर्व राजघराने के 44वें महारावल चैतन्यराज सिंह का शुक्रवार को राजतिलक कर मंत्रोचार के बीच बकायदा जैसलमेर की रियासत कालीन राजगद्दी पर बैठाया गया।
चैतन्यराज की राजतिलक एवं ताजपोशी को देखने के लिए जैसलमेर के इतिहास में पहली बार इतनी भीड़ उमड़ी की सौनार किले के द्वार बंद करने पड़े। राजतिलक होने के बाद नए महारावल चैतन्य राज सिंह का पूरा लवाज्मा घोड़े, ऊंट एवं नगाड़ो के साथ शहर में निकला।
वे स्वयं खुली जीप में बैठकर अपने छोटे भाई जनमेजय के साथ बैठकर निकले एवं सड़कों पर तथा बाहर चबूतरों पर खड़े लोगों तथा आम जनता का अभिवादन स्वीकार किया। आम जनता ने नए महारावल पर पुष्प वर्षा की। पूरे शहर में रंगबिरंगी पगड़ियां ही नजर आ रही थी। चारों तरफ रंग बिरंगी पगड़ी बांधे हुए स्थानीय लोग अदभुत नजारा प्रस्तुत कर रहे थे। चारों तरफ उनकी जयजयकार हो रही थी। पुलिस को भीड़ नियंत्रण करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।
सूत्रों ने बताया कि जैसलमेर के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी आयोजन में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े। बढ़ती भीड़ को रोकने के लिए फोर्ट का मुख्य द्वार अखेप्रोल तक को बंद करना पड़ गया। किले के अंदर पैलेस में भी जाने के लिए गिने चुने लोगो को अनुमति दी गई थी।
गौरतलब हैं कि सोनार फोर्ट में इससे पूर्व वर्ष 1982 में चैतन्यराज सिंह के दिवंगत पिता ब्रजराज सिंह की ताजपोशी का आयोजन हुआ था। उस समय वे महज 14 वर्ष के थे। ब्रजराज सिंह का 28 दिसम्बर को निधन हो गया था। आजादी के बाद जैसलमेर के फोर्ट में यह तीसरा आयोजन है। इससे पूर्व वर्ष 1950 में नए महारावल चैतन्यराज सिंह के दादा रघुनाथसिंह की ताजपोशी की गई थी।