नयी दिल्ली । दक्षिण अफ्रीका की टीम बेहतरीन प्रदर्शन और जबरदस्त टीम संयोजन के बावजूद अहम मौकों पर लय गंवाने के कारण ‘चाेकर्स’ के रूप में बदनाम हो चुकी है, लेकिन अपनी मौजूदा फार्म की बदौलत इसी सप्ताह शुरू होने जा रहे 12वें आईसीसी विश्वकप का खिताब पहली बार अपने नाम करने की वह प्रबल दावेदार मानी जा रही है।
अफ्रीकी टीम ने 1992 में पहली बार विश्वकप पदार्पण किया था और सेमीफाइनल में जगह बनाई, उसके बाद से वह 1999, 2007 और 2015 में भी अंतिम चार में पहुंची लेकिन इससे आगे नहीं पहुंच सकी। वर्ष 1996 और 2011 में वह क्वार्टरफाइनल तक पहुंची थी।
हालांकि फाफ डू प्लेसिस की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका इस बार खिताब की दावेदारों में शामिल है। विश्वकप से पहले अपने अभ्यास मैच में उसने श्रीलंका को 87 रन के बड़े अंतर से पराजित किया था और बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुये निर्धारित ओवरों में 7 विकेट पर 338 रन का बड़ा स्कोर भी खड़ा किया।
टीम का दूसरा अभ्यास मैच वेस्टइंडीज़ से बारिश के कारण रद्द रहा था। लेकिन अपने इस प्रदर्शन की बदौलत उम्मीद है कि वह मेज़बान इंग्लैंड के खिलाफ 30 मई को आईसीसी टूर्नामेंट के उद्घाटन मैच में पूरे आत्मविश्वास के साथ बराबर की टक्कर के लिये उतरेगी। उसका दूसरा मैच 5 जून को भारत से है।
दक्षिण अफ्रीकी टीम में अनुभवी खिलाड़ियों की भरमार है जिसमें उसके कप्तान प्लेसिस अपना तीसरा विश्वकप खेलने उतर रहे हैं। वहीं हाशिम अमला का भी यह तीसरा , डेल स्टेन तीसरा, जेपी डुमिनी तीसरा, क्विंटन डी काक का दूसरा, डेविड मिलर दूसरा विश्वकप खेलने उतर रहे हैं। बाकी टीमों की तुलना में चयनकर्ताओं ने इस विश्वकप में अपनी सबसे अनुभवी टीम उतारी है।
प्लेसिस टीम के सबसे निरंतर खिलाड़ियों में शामिल हैं और पिछले कुछ वर्षाें में उनका प्रदर्शन बल्ले से कमाल का रहा है। आखिरी 2015 विश्वकप में उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ 109 रन की अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी खेली थी जबकि अब तक तीन विश्वकप के 14 मैचों में उन्होंने 539 रन बनाये हैं, इसी प्रदर्शन की इस बार भी अपेक्षा उनसे है।
प्लेसिस ने श्रीलंका के खिलाफ अभ्यास मैच में भी 88 रन की कमाल की पारी खेली थी। अनुभवी अमला को तीन विश्वकप में 15 मैचों का अच्छा अनुभव है और इन आईसीसी मैचों में उन्होंने 639 रन बनाये हैं। पिछले विश्वकप में उन्होंने भी आयरलैंड के खिलाफ 159 रन की अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी खेली थी।
तीसरा विश्वकप खेलने उतर रहे तेज़ गेंदबाज़ स्टेन की भी इंग्लिश पिचों पर कड़ी परीक्षा होगी। पिछले कई वर्षाें से चोट के कारण खराब फार्म से जूझ रहे स्टेन की मौजूदा फार्म अच्छी है और टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में होने के कारण उनकी मार्गदर्शक की भी भूमिका रहेगी। भारत में 2011 में हुये विश्वकप में उन्होंने 50 रन पर 5 विकेट का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था।
इसके अलावा डुमिनी भी पिछले तीन वर्षाें से कमाल की फार्म में खेल रहे हैं और अपने तीसरे विश्वकप में उनसे भी बड़ी भूमिका की अपेक्षा है। वर्ष 2011 और 2015 विश्वकप में उन्होंने टीम के लिये 13 मैचों में कुल 388 रन बनाये थे और जिम्बाब्वे के खिलाफ पिछले विश्वकप में नाबाद 115 रन की उनकी पारी सर्वश्रेष्ठ थी।
अनुभवी खिलाड़ियों के साथ साथ दक्षिण अफ्रीकी टीम में कुछेक नये चेहरे भी हैं जो पहली बार विश्वकप में उतर रहे हैं और बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। ओपनर एडेन मारक्रम, रासी वेन डेर डुसेन, आंदिले फेहलुकवायो अपनी टीम की तरफ से पहली बार विश्वकप खेलने उतरेंगे और अपने प्रदर्शन से चौंका सकते हैं।