कोरोना वायरस के आगे चीन, इटली, ईरान अमेरिका, स्पेन, फ्रांस और रूस असहाय नजर आए लेकिन दक्षिण कोरिया ने कोरोना वायरस को लेकर डटकर मुकाबला किया और इसमें सफल भी रहा। आज विश्व के तमाम देश दक्षिण कोरिया के द्वारा किए गए कारगर उपायों की प्रशंसा कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया में न तो अपने देश में कर्फ्यू लगाया, न ही लॉकडाउन किया और न ही बाजारों को बंद करवाया।
दक्षिण कोरिया ने इसकी टेस्टिंग और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को प्राथमिकता दी और लोगों को जागरूक किया। ये चीन का पड़ोसी देश है, वुहान जहां से कोरोना वायरस फैला, वहां से 1382 किलोमीटर दूर मौजूद है ये देश, लेकिन इस देश ने कोरोना को हरा दिया। इस देश के लोगों ने इसे हराने के कई तरीके भी अपनाए, जो कारगर रहे। दक्षिण कोरिया कोरोना संक्रमित देशों की लिस्ट में 8वें नंबर पर है, अब तक यहां संक्रमण के 9137 मामले मिले हैं। 3500 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं, 129 लोगों की मौत हुई है जबकि सिर्फ 59 मरीज गंभीर हैं।
दक्षिण कोरिया ने कोरोना की जांच के लिए 600 से अधिक टेस्टिंग सेंटर खोलें
8-9 मार्च को 8000 संक्रमित लोगों के मामले सामने आए थे. लेकिन बीते दो दिनों में सिर्फ 12 मामले मिले हैं। चौंकाने वाली बात है कि पहला मामला मिलने से आज तक यहां न लॉकडाउन हुआ और न ही बाजार बंद हुए। कोरिया के विदेश मंत्री कांग युंग वा ने बताया कि जल्द टेस्ट और बेहतर इलाज से ही कोरोना वायरस के मामले कम हुए हैं, इसलिए मौतें भी कम हुईं।
हमने 600 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर खोले 50 से ज्यादा ड्राइविंग स्टेशनों पर स्क्रीनिंग की। कांग युंग वा ने बताया कि रिमोट टेम्परेचर स्कैनर और गले की खराबी जांची, जिसमें महज 10 मिनट लगे। एक घंटे के अंदर रिपोर्ट मिले, इसकी व्यवस्था की गई थी, हमने हर जगह पारदर्शी फोन बूथ को टेस्टिंग सेंटर में तब्दील किया।
संक्रमित व्यक्तियों की जांच के लिए थर्मल इमेजिंग लगवाए गए
दक्षिण कोरिया में संक्रमण जांचने के लिए सरकार ने बड़ी इमारतों, होटलों, पार्किंग और सार्वजनिक स्थानों पर थर्मल इमेजिंग कैमरे लगाए, जिससे बुखार पीड़ित व्यक्ति की तुरंत पहचान हो सके। होटलों और रेस्टोरेंट भी बुखार जांचने के बाद कस्टमर को अंदर जाने की अनुमति देते थे। कोरिया के विशेषज्ञों ने लोगों को संक्रमण से बचने के लिए हाथों के इस्तेमाल का तरीका भी सिखाया।
यह तरीका बेहद नया था, इसमें अगर व्यक्ति दाएं हाथ से काम करता है, तो उसे मोबाइल चलाने, दरवाजे का हैंडल पकड़ने और हर छोटे-बड़े काम में बाएं हाथ का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। इसी तरह बाएं हाथ से ज्यादातर काम करने वालों को दाएं हाथ के इस्तेमाल के लिए कहा गया, ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति जिस हाथ का ज्यादा इस्तेमाल रोजमर्रा के कामों के लिए करता है, वही हाथ सबसे पहले चेहरे पर भी जाता है, यह तकनीक बेहद कारगर रही।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार