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वीर सावरकर की अंडमान कारावास से मुक्ति की शताब्दी पूर्ति पर विशेष संवाद - Sabguru News
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वीर सावरकर की अंडमान कारावास से मुक्ति की शताब्दी पूर्ति पर विशेष संवाद

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वीर सावरकर की अंडमान कारावास से मुक्ति की शताब्दी पूर्ति पर विशेष संवाद

जयपुर। मुसलमानों की बढती जनसंख्या के संदर्भ में वीर सावरकर ने हिन्दुओं को सदैव सतर्क किया। उनकी अनेक भविष्यवाणियां सत्य हुई हैं। वर्ष 1920 में तत्कालीन भारत के मुसलमानों की जनसंख्या 22 प्रतिशत होने पर खिलाफत आंदोलन का समर्थन करने के नाम पर देशभर में दंगे कर केरल-बंगाल में लाखों हिंदुओं की हत्या की गई।

विगत वर्ष 2020 में पुन: 22 प्रतिशत जनसंख्या प्राप्त कर मुसलमानों ने 100 वर्ष बाद पुन: इतिहास की पुनरावृत्ति कर दिल्ली में दंगे किए और अनेक हिन्दुओं को मार डाला। वर्ष 1947 में उनकी जनसंख्या 35 प्रतिशत होने पर उन्होंने उस समय पूरे देश में दंगे कर भारत का विभाजन किया था। यदि वर्ष 2047 में उनकी लोकसंख्या 35 प्रतिशत हो गई, तो भारत के विभाजन की पुनरावृत्ति होने की संभावना है।

इतिहास की यह पुनरावृत्ति टालनी हो और हिन्दुओं को बचाना हो, तो वीर सावरकर के मार्ग का पालन करना होगा। यह विचार वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने व्यक्त किए। वे हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित हिन्दू हृदयसम्राट वीर सावरकर : अंडमान कारावास से मुक्ति की शताब्दी पूर्ति ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम ‘यू-ट्यूब’ के माध्यम से 5431 लोगों ने देखा।

कार्यक्रम में बोलते हुए भारत के सूचना आयुक्त तथा ज्येष्ठ पत्रकार उदय माहूरकर ने कहा कि वीर सावरकर का प्रखर राष्ट्रवाद मुसलमानों के तुष्टीकरण में बाधा बन रहा था, इस कारण कांग्रेस ने उसका विरोध किया। सावरकर की सुनी होती, तो वर्ष 1947 में देश का विभाजन नहीं होता। विभाजन की सिद्धता चालू होने के संदर्भ में वे वर्ष 1936 से बता रहे थे। सावरकरजी के विचार कृति में लाएं, तो संपूर्ण देश एक हो सकता है; लेकिन इन लोगों को यह नहीं चाहिए।

सावरकरजी का विरोध तीन प्रकार के लोग करते हैं, प्रथम मुसलमान पक्ष, दूसरे कम्युनिस्ट और तीसरे मुसलमानों के मतों की भीख मांगने वाले राजनीतिक दल। प्रसिद्ध लेखक और प्रवचनकार सच्चिदानंद शेवडे ने कहा कि अंडमान की यातनाओं के कारण कुछ कैदियों ने आत्महत्या की तो कुछ पागल हो गए लेकिन ये सभी कठोर यातनाएं सहकर वीर सावरकर ने राष्ट्रहित में हजारों पृष्ठों का अजरामर साहित्य लिखा।

‘धर्म का स्थान हृदय में होता है; पेट में नहीं’ ऐसा कहकर उन्होंने कारावास में धर्मांतरित हिन्दुओं का शुद्धीकरण किया। सावरकरजी ने हिन्दुओं को राष्ट्रीय अस्मिता बचाना सिखाया।

संवाद को संबोधित करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के युवा संगठक सुमीत सागवेकर ने कहा कि सावरकरजी को माफी वीर कहने वाले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की हिम्मत हो, तो अंडमान में जाकर कोल्हू घुमाकर दिखाएं। केवल दो-तीन भाषण देकर विश्रांति के लिए बैंकाक में जाने वालों से और क्या आशा कर सकते हैं? जेएनयू में सावरकरजी के पुतले को काला रंग लगाने वाली ‘टुकडे-टुकडे गैंग’ पहले यह बताए कि ‘काम्रेड डांगे ने ब्रिटिशों से माफी क्यों मांगी थी और ‘ब्रिटिशों के प्रति निष्ठावान रहूंगा’, ऐसा क्यों कहा था?