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Special essay on 26 january 2022 in hindi - Sabguru News
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हमारे गणतंत्र के गौरवशाली 72 साल

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हमारे गणतंत्र के गौरवशाली 72 साल
Special on 26 January
Special on 26 January
Special on 26 January

जयपुर। हर साल की तरह इस साल भी हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस सेलिब्रेट कर रहे हैं। इस साल हम 72वां गौरवशाली गणतंत्र दिवस मनाएंगे। गणतंत्र दिवस के रूप में पूरे देश में काफी जोश और सम्मान के साथ मनाया जाता है। 26 जनवरी का दिन भारत के तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों में से एक है। यह, वह दिन है जब भारत में गणतंत्र और संविधान लागू हुआ था। यही वजह है कि इस दिन को हमारे देश के आत्मगौरव और सम्मान से भी जोड़ा जाता है।

इस दिन देश भर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में इसे काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह दिन हमारे लिए बहुत खास है, क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। इस संविधान की वजह से ही हम अपनी बेहतर जिंदगी जी पा रहे हैं। इसके अंतर्गत इंसान को वे सारे अधिकार दिए गए हैं, जो किसी भी इंसान के जीवन यापन के लिए जरूरी हैं।

यह हमारा राष्ट्रीय पर्व भी है

26 जनवरी 1950 को ही हमारे देश को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। तभी से हम अपना गणतंत्र दिवस मनाते चले आ रहे हैं। यह हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है, इसलिए इसे हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के हर कोने में झंडावंदन किया जाता है। स्कूल कालेजों में विशेष आयोजन किया जाता है। भव्य रेलियां निकाली जाती हैं। वीरता पुरस्कार दिए जाते हैं। गणतंत्र बनने से लेकर आज तक हमने अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

इन पर समूचे देशवासियों को गर्व है। लेकिन साक्षरता से लेकर महिला सुरक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण मोर्चों पर अभी भी बहुत काम करना बाकी है। आज देश में राष्ट्रीय एकता, सर्वधर्मसमभाव, संगठन और आपसी निष्पक्ष सहभागिता की जरूरत है।

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है

गणतंत्र का मतलब है एक ऐसी व्यवस्था, जिसमें लोगों का शासन हो यानि जनता अपना प्रतिनिधि खुद चुने। शासन व्यवस्था को संचालित करने के एक कानूनी व्यवस्था हो। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है, जिसने आज़ाद भारत की एक नींव में पहली ईंट का काम किया है। इसी दिन 1950 को भारत सरकार अधिनियम 1935 को हटाकर, भारत का संविधान लागू किया गया था।

26 जनवरी के दिन को इसलिए चुना गया था, क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 मिनट पर लागू किया गया था। गणतंत्र दिवस को शौर्यता वीरता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन पर उन लोगों को वीरता ​पुरस्कार दिया जाता है, जो देश के लिए बहादुरी का काम करते हैं।

देश के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है

आज जब देश में असहिष्णुता जैसे मुद्दे लगातार उठ रहे हैं, तो बहुत जरूरी है कि हम अपने राष्ट्रीय पर्वों का महत्व समझें और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं ताकि देश को बुलंदियों तक पहुँचाया जा सके। जिसका सपना हमारे संविधान निर्माताओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। प्रयास होना चाहिए कि यथार्थ के कठोर धरातल पर उन स्वतंत्रता सेनानियों की उम्मीदों को आकार दिया जा सके जिन्होंने भारत के स्वर्णिम भविष्य के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। तो आज यह प्रण लें कि देशभक्ति केवल राष्ट्रीय पर्वों पर ही नहीं बल्कि सदैव लहू में ज्वाला बनकर बहे और राष्ट्रीय पर्व महज एक छुट्टी बनकर ना रह जाए।

72 साल के बाद भी हम भ्रष्टाचार-अपराध और हिंसा की लड़ाई लड़ रहे हैं

हमारे देश के गणतंत्र को 72 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी कई समस्याएं हैं। आज भी आम आदमी अपनी लड़ाई लड़ रहा है। मगर क्या सच में हम उन सब मापदंड को पा सके हैं, जो हमने 72 साल पहले तय किए थे ? बेहतर देश, अच्छी राज्य व्यवस्था, अच्छा कानून, शिक्षा के बेहतर इंतज़ाम, बेहतर रोजगार व्यवस्था, महिलाओं के लिए बेहतर सुरक्षा व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। यह बहुत ही शर्म की बात है कि आजादी के इतने वर्षों के बाद भी हम आज अपराध, भ्रष्टाचार-हिंसा जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हमें दोबारा एक साथ मिलकर अपने देश से इन बुराइयों को बाहर निकाल फेंकना है।

प्रत्येक नागरिक काे अपने दायित्व और कर्तव्य भी समझने होंगे

एक राष्ट्र के रूप में हमने कुछ संकल्प लिए थे जो हमारे संविधान और उसकी प्रस्तावना के रूप में आज भी हमारी अमूल्य धरोहर हैं। संकल्प था एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, समतामूलक और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का जिसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार होगा। देश का प्रत्येक नागरिक अपने दायित्व और कर्तव्य की सीमाएं समझें। विकास की ऊंचाइयों के साथ विवेक की गहराइयां भी सुरक्षित रहें। हमारा अतीत गौरवशाली था तो भविष्य भी रचनात्मक समृद्धि का सूचक बने।

राजनैतिक मतभेद नीतिगत न होकर व्यक्तिगत होते जा रहे हैं

आज हमारी समस्या यह है कि हमारी ज्यादातर प्रतिबद्धताएं व्यापक न होकर संकीर्ण होती जा रही हैं जो कि राष्ट्रहित के खिलाफ हैं। राजनैतिक मतभेद भी नीतिगत न रह कर व्यक्तिगत होते जा रहे हैं। नतीजन, लोकतांत्रिक परंपराओं की दुहाई देते हुए भ्रष्टाचार एवं कालेधन जैसे गंभीर मुद्दों पर नियंत्रण के लिए की गयी नोटबंदी भी सकारात्मक रूप नहीं ले पाई। भ्रष्टाचार एवं कालेधन पर विरोध करने वाले भी सिर्फ राजनैतिक गुटबंदी और गतिरोध का मुजाहिरा ही बन कर रह गए हैं। लोकतंत्र में जनता की आवाज की ठेकेदारी राजनैतिक दलों ने ले रखी है, पर ईमानदारी से यह दायित्व कोई भी दल सही रूप में नहीं निभा रहा है। सारे ही दल एक जैसे है यह सुगबुगाहट जनता के बीच बिना कान लगाए भी स्पष्ट सुनाई देती है।

इस गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि ब्राजील के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया है

देश में हर बार गणतंत्र दिवस पर कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि के तौर पर अपनी भूमिका निभाते आए हैं। इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर मेसियास बोलसोनारो होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर बोलसोनारो 24 से 27 जनवरी तक भारत की यात्रा पर रहेंगे। वह 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में 72वीं गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे। यहां हम आपको बता दें कि 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोलसोनारो को गणतंत्र दिवस समारोह का निमंत्रण दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार