National Anti Terrorism Day Hindi
सबगुरु न्यूज। कोरोना महामारी की वजह से भारत समेत तमाम देशों ने पिछले कुछ दिनों से आतंकवाद जैसी समस्याओं से भले ही ध्यान हटा लिया हो लेकिन दुनिया भर में बड़ी समस्याओं में से एक बन गया है आतंकवाद का जहर। जी हां हम बात कर रहे हैं 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस की। हमारे देश के तत्कालीन और लोकप्रिय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या इसी दिन हुई थी। राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर ही भारत आतंकवादी विरोधी दिवस मनाता है। अगर हम भारत की बात करें तो हमारा देश भी वर्षों से आतंकवाद का दंश लगातार झेलता आ रहा है। भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान से आजादी के बाद से ही नुकसान उठाता आया है।
वर्ष 1980 में पंजाब में आतंकवाद की जड़ें इतनी गहरी हो गई थी कि पूरा पंजाब उस समय जल रहा था। पंजाब से आतंकवाद, उग्रवाद खत्म करने में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की अहम भूमिका थी। 90 के दशक आते-आते में पंजाब से आतंकवाद का सफाया होने लगा था। इस राज्य के लोग फिर से अमन शांति से रहने लगे लेकिन उसके बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद इतनी तबाही मचाई की पूरे देश भर को प्रभावित करके रख दिया है। जम्मू कश्मीर के युवाओं और पाकिस्तान की सीमा से भेजे गए आतंकवादियों ने पूरे राज्य को तहस-नहस करके रख दिया है।
पिछले 20 वर्षों से कश्मीर में आतंकवादियों ने जान और माल की इतनी व्यापक तबाही मचाई है कि आज भी किस राज्य के अधिकांश लोग डरे और सहमे हुए हैं। जम्मू कश्मीर को भारत की नहीं है पूरे दुनिया भर में स्वर्ग कहा जाता है। एक समय भारत का यह राज्य हसीन वादियों के लिए दुनिया भर के पर्यटकों और फिल्मों की शूटिंग के लिए लोकप्रिय हुआ करता था। जम्मू-कश्मीर का आतंकवाद का मुद्दा भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समय-समय पर उठाता रहा है। कश्मीर से आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान का पूरा हाथ है। पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में अपना अधिकार चाहता है इसी को लेकर व सीमा पार से कई आतंकवादी संगठन को लगातार भेजता है। सबसे खास बात यह है इन दोनों कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद भी इस राज्य में आतंकवादी गतिविधियां लगातार जारी है।
आतंकवाद के कारण हजारों बेगुनाहों को जान गंवानी पड़ी है
आतंकवाद के कारण हजारों लोगों को दुनिया में अपनी जान गंवानी पड़ी है और भारत समेत कई देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आतंकवाद जैसी समस्या से निपटने के लिए भारत ने 21 मई का दिन ही इसको समर्पित कर दिया है। हर साल 21 मई को पूरे देश में आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को आतंकवाद के समाज विरोधी कृत्य से लोगों को अवगत कराना है।
आतंकवाद की वजह से लोगों को जानमाल का कितना नुकसान उठाना पड़ता है, उससे भी लोगों को अवगत कराया जाता है। साल 2014 में भाजपा की सरकार बनतेे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कठोर रवैया अपनाया हुआ है। जम्मू कश्मीर में पड़ोसी देश की ओर से भेजे जा रहे आतंकवादी का सफाया करने का अभियान छेड़ रखा है। लेकिन अभी तक केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को मुक्त कराने में सफल नहीं रही है इसका सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान की ओर से नापाक हरकत का जारी होना है।
21 मई को मनाया जाता है आतंकवाद विरोधी दिवस
21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कि हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद ही आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया। इस दिन सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों और अन्य सरकारी संस्थानों में आतंकवाद विरोधी शपथ दिलाई जाती है। गौरतलब है कि 21 मई 1991 को राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक रैली को संबोधित करने गए थे। उसी दौरान एक महिला उनके सामने आई। महिला का संबंध आतंकवादी संगठन एलटीटीई से था। उसके कपड़ों के नीचे विस्फोटक छिपा था।
वह जैसे ही राजीव गांधी का पैर छूने के लिए झुकी तेज धमाका हुआ। उस धमाके में राजीव गांधी समेत करीब 25 लोगों की मौत हो गई थी। आतंकवाद के कारण ही देश ने राजीव गांधी को खो दिया था। युवाओं को आतंकवाद और हिंसा के मार्ग से दूर रखने के उद्देश्य से आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। इस दिन आतंकवाद तथा हिंसा का मार्ग राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक होने का संदेश देने के लिए विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से हमारे देश में फैली महामारी कारण शायद इस बार यह आयोजन इतना व्यापक रूप न ले पाए, लेकिन एक बात जरूर है कि इस दिन आतंकवाद विरोधी दिवस को मिटाने के लिए संकल्प हमारा देश जरूर लेगा।
दुनिया के कई देश आतंकवाद की समस्या से प्रभावित हैं
दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश माना जाने वाला अमेरिका भी आतंकवाद से जूझ रहा है । 11 सितंबर साल 2001 को आतंकवादियों ने अमेरिका में घुसकर भारी तबाही मचाई थी। उस दिन न्यूयॉर्क समेत कई ऐतिहासिक इमारतों में आतंकवादियों ने तबाह कर दी थी और इस हादसे में कई अमेरिका की तो जान भी गंवानी पड़ी थी। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश जूनियर को भी जान बचाने के लिए अपने ही देश में छिप कर भागना पड़ा था। यही नहीं फ्रांस, इंग्लैंड अफ़गानिस्तान, श्रीलंका न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कई देश आतंकवाद से प्रभावित हैं।
विश्व के कई देश जब जब एक मंच पर आते हैं उनमें आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए सभी देशों की एक राय रहती है लेकिन आतंकवाद लगातार इतने पैर पसार रहा है कि अभी तक दुनिया आतंकवाद से मुक्त नहीं हो पाई है। आज सीरिया, पाकिस्तान अफगानिस्तान में कई आतंकवादी संगठन खूब फल-फूल रहे हैं। इन आतंकवादियों का मकसद दुनिया को तबाह करना हैं। हिज्बुल मुजाहिदीन अलकायदा, आईएसआई आतंकवादी संगठनों ने दुनिया की नाक में दम कर रखा है। अमेरिका के बगदादी, ओसामा बिन लादेन जैसे खूंखार आतंकवादियों को मार गिराने के बाद भी अभी भी यह समस्या खत्म नहीं हुई है। आज भी कई देशों में कई आतंकवादी संगठन खूनी खेल खेलने में लगे हुए हैं।
आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का यह रहा है मकसद
आज संसार भर में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो आतंकवाद की वकालत करता हो बल्कि आज कई देश अमन और शांति की राह पर चलना चाहते हैं। आज दुनिया जान गई है कि आतंकवाद से किसी भी देश का भला नहीं हो सकता है। भारत समेत कई देशों का आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह रहा है। शांति और मानवता का संदेश फैलाना, आतंकी गुटों और वे कैसे आतंकी हमलों को अंजाम देने की योजना बनाते हैं, लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना।
लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देना। युवाओं को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे आतंकी गुटों में शामिल न हों। देश में आतंकवाद, हिंसा के खतरे और उनके समाज, लोगों और पूरे देश पर खतरनाक असर के बारे में जागरूकता पैदा करना। आज आतंकवादी विरोधी दिवस के मौके पर आओ हम भी इस मानवता रूपी राक्षस को जड़ से खत्म करने का आह्वान करें, तभी दुनिया में शांति कायम हो सकेगी और बेगुनाहों की जान भी बच सकेगी।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
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