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भगवाकरण से शुरू होकर राष्ट्रवाद के शिखर पर पहुंची भाजपा - Sabguru News
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भगवाकरण से शुरू होकर राष्ट्रवाद के शिखर पर पहुंची भाजपा

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भगवाकरण से शुरू होकर राष्ट्रवाद के शिखर पर पहुंची भाजपा
Special on BJP 40th Foundation Day
Special on BJP 40th Foundation Day
Special on BJP 40th Foundation Day

आज 6 अप्रैल 2020 है। आज के ही दिन भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ था। देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा आज अपना 40वां स्थापना दिवस मना रही है।

6 अप्रैल1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गई थी। तब इस पार्टी के लिए सत्ता पाना बहुत ही मुश्किल कार्य था। उस समय देश में कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था। लेकिन भाजपा ने धीरे धीरे देश में अपने विस्तार की शुरुआत की थी। भारतीय जनता पार्टी को देश भर में पहुंचाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने शुरुआत की थी। तब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे, आज 40 साल के बाद जेपी नड्डा पार्टी के प्रमुख हैं। बीजेपी ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2 लोकसभा सीटों से की थी और आज पार्टी लगातार दूसरी बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत पाकर केंद्र की सरकार चला रही है। शुरू में भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में मुख्य रूप से भगवाकरण का आगाज हुआ था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से प्रेरणा लेकर पार्टी देशभर में धीरे-धीरे अपना सिक्का जमाती चली गई। अयोध्या के राम जन्मभूमि का मुद्दा लेकर देश के शीर्ष स्थान पर पहुंची भाजपा आज राष्ट्रवाद को लेकर देशभर में जन-जन में लोकप्रिय बन गई है। इस पार्टी ने एक से बढ़कर एक नेता दिए जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपने शिखर पुरुष होने का डंका बजाया। आज इस पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व में सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं। आज भाजपा के 40 वर्ष पूरे होने पर पार्टी हालांकि कोई बड़ा आयोजन नहीं कर रही है क्योंकि इस समय देश कोरोना वायरस की महाजंग से लड़ रहा है। पार्टी के शीर्ष नेताओं पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा आदि ने कार्यकर्ताओं और पार्टी को शुभकामनाएं दी है।

पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं से कोरोना से जंग लड़ने के लिए कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके पार्टी कार्यकर्ताओं को स्थापना दिवस की बधाई दी। पीएम मोदी ने एक ट्वीट में लिखा कि भाजपा का 40वां स्थापना दिवस ऐसे समय में आया है, जब देश कोविड-19 से लड़ रहा है। कार्यकर्ताओं से मैं आग्रह करता हूं कि वे पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के दिशा निर्देशों का पालन करें और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ज़रूरतमंदों की मदद करें। एकजुट होकर भारत को कोविड-19 से मुक्त करें। जेपी नड्डा की ओर से जारी किए गए संदेश में कार्यकर्ताओं से अपील की गई है कि सभी कार्यालयों और कार्यकर्ताओं के घर में पार्टी का नया झंडा फहराया जाए।

साथ ही इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख़याल रखा जाए, कार्यकर्ताओं से यह भी अपील की गई है कि वो एक समय का भोजन त्याग कर लॉकडाउन की वजह से कष्ट झेल रहे लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करें। वहीं अमित शाह ने ट्वीट करते हुए लिखा भारत के लोकतंत्र की सच्ची वाहक भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस की समस्त कार्यकर्ताओं व देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। उन्होंने आगे लिखा अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा और सिद्धांतों से भाजपा ने सदैव राष्ट्रहित के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया है।

अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दल को भारतीय जनता पार्टी का नाम दिया था

देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा में ‘मेरा देश मेरा जीवन’ में पार्टी के झंडे से लेकर नाम तक के बारे में जानकारी दी है। आडवाणी ने बताया कि शुरू से ही पार्टी का जोर जनसंघ पर वापस लौटने का नहीं बल्कि एक नई शुरुआत करने का था। पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने नई पार्टी के नाम पर गहन विचार-विमर्श किया। कुछ लोग इसे भारतीय जनसंघ का नाम देना चाहते थे। पर बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के दिए गए नाम ‘भारतीय जनता पार्टी’ को भारी समर्थन मिला। इसके साथ ही हम नई पहचान के साथ एक नई पार्टी के रूप में सामने आए।

आडवाणी ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि पार्टी जब नई बनी तो एक नया चिह्न और झंडा को भी अपनाया गया। जनसंघ के ‘दीये’ की जगह ‘कमल’ ने लिया। नया झंडा कुछ-कुछ जनता पार्टी से मिलता था। इसका एक तिहाई हिस्सा हरा और दो तिहाई केसरिया था, जिसमें फूल बना था। बाद में कमल बीजेपी का चुनाव चिह्न भी बन गया। उन्होंने लिखा है कि जनता पार्टी से अलग होने के बाद हमने अपनी पहचान बना ली थी, इसलिए जरूरी था कि हम मतदाताओं के पास जनता पार्टी के हलधर किसान से अलग चुनाव-चिह्न के साथ जाएं। इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी का झंडे और नामकरण हुआ था। आज भले ही हमारे बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी नहीं है लेकिन पार्टी उन्हीं के विचारों पर आगे बढ़ रही है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार