इन्हें एक ऐसे फिल्म निर्देशक के रूप में शुमार किया जाता है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनाई है। जितनी लोकप्रियता बॉलीवुड में हासिल की है, उतनी ही हॉलीवुड में भी उन्हें शोहरत दी है। बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों की उनको अच्छी परख है। हम बात कर रहे हैं निर्देशक शेखर कपूर की। शेखर कपूर वो नाम है जो बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड में भी गूंजता है। आज इनका जन्मदिन है।
हिंदी सिनेमा के निर्देशक शेखर कपूर का जन्म 6 दिसंबर 1945 को पंजाब प्रांत के लाहौर में हुआ था। फिल्मकार शेखर कपूर को यथार्थपरक फिल्मों के लिए जाना जाता है। शेखर कपूर हिंदी सिनेमा के लीजेंड कलाकार देवानंद के भांजे हैं । शेखर के आज 74वें जन्मदिन पर आइए उनके फिल्मी सफरनामा पर एक नजर डालते हैं।
शेखर बचपन के दिनों से ही फिल्मों में काम करना चाहते थे
शेखर कपूर के पिता का नाम कुलभूषण कपूर है। जो ब्रिटिश काल में चिकित्सक थे। उनकी मां का नाम शीलाकांता कपूर है।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पूरी की। आगे पढ़ाई भी उन्होंने यहां दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से की। यहां उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की है। इसके बाद से शेखर कपूर ने मायानगरी का रुख किया। फिल्म-जगत में कदम रखने से पहले शेखर कपूर लंदन में चार्टर्ड अकाउंटेंट भी रह चुके हैं।
वर्ष 1975 से की फिल्मी करियर की शुरुआत
शेखर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता1975 में प्रदर्शित फिल्म ‘जान हाजिर’ से की थी। बतौर निर्देशक शेखर कपूर ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म ‘मासूम’ से की। एरिक सहगल के उपन्यास पर आधारित मैन ओमेन एंड चाइल्ड पर बनी इस फिल्म का स्क्रीन प्ले गुलजार ने तैयार किया था। फिल्म में नसीरउद्दीन शाह, शबाना आजमी, उर्मिला मंतोडकर और जुगल हंसराज ने मुख्य भूमिका निभायी थी। इस फिल्म का यह गीत लकड़ी की काठी, काठी पर घोड़ा बच्चों के बीच आज भी लोकप्रिय है।
फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ से शेखर कपूर घर घर लोकप्रिय हो गए थे
शेखर कपूर ने ही साइंस-फिक्शन फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ का निर्देशन किया था। इस फिल्म में अभिनेता अनिल कपूर और श्रीदेवी महत्वपूर्ण भूमिका में थे। इसमें अमरीश पुरी खलनायक ‘मोगैम्बो’ बने थे, जिसके बाद वह दर्शकों के बीच इसी नाम से मशहूर हो गए। यह फिल्म 1987 की सबसे बड़ी सुपर डुपर हिट फिल्म थी।
1989 में शेखर कपूर ने जोशीले और दुश्मनी फिल्मों का सह निर्देशन किया। यह दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। इसके अलावा उन्होंने टूटे खिलौने’, ‘इश्क-इश्क’ और ‘बिंदिया चमकेगी’ फिल्में निर्देशित की।
बैंडिट क्वीन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
वर्ष 1997 में शेखर कपूर ने दस्यु सुंदरी फुलन देवी पर आधारित बैंडिट क्वीन का निर्देशन किया। इस फिल्म में बैंडिट क्वीन की भूमिका सीमा विश्वास ने निभाई थी। बैंडिट क्वीन के जरिये शेखर कपूर ने न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनायी। इस फिल्म के लिए शेखर को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया।
बैंडिट क्वीन के बाद शेखर कपूर को हॉलीवुड फिल्म एलिजाबेथ का निर्देशन का अवसर मिला। यह फिल्म ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित की गई। वर्ष 2007 में इस फिल्म के सीक्वल एलिजाबेथ द गोल्डन एज का भी शेखर कपूर ने निर्देशन किया। इन सबके बीच शेखर ने हॉलीवुड फिल्म ‘द फोर फीदर्स, ‘न्यूयार्क आई लव यू’ और ‘पैसेज’ का निर्देशन भी किया था।
शेखर कपूर का पारिवारिक जीवन इस प्रकार रहा
शेखर कपूर की पहली शादी मेधा जलोटा से हुई थी, लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों के बीच अलगाव हो गया। मेधा की मौत न्यू जर्सी में हुई थी। उनकी दूसरी शादी सुचित्रा कृष्णमूर्ति के साथ हुई है। सुचित्रा फिल्म ‘कभी हां कभी न’ में शाहरुख खान की हीरोइन थी। उनकी एक बेटी भी है, जिसका नाम कावेरी कपूर है। कावेरी ने पहले अपना पहला गाना ‘डिड यू नो’ डिजिटल प्लेटफार्म यूट्यूब पर लांच किया था जिसे काफी पसंद किया गया। कावेरी भी अच्छी सिंगर है। शेखर कपूर इन दिनों अपनी नई फिल्म में व्यस्त हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार