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ईद का त्योहार भाईचारे और शांति का पैगाम देता है - Sabguru News
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ईद का त्योहार भाईचारे और शांति का पैगाम देता है

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ईद का त्योहार भाईचारे और शांति का पैगाम देता है
Special on eid festival
Special on eid festival
Special on eid festival

सबगुरु न्यूज। कोरोना महामारी ने हमारे देश के त्योहारों पर पूरी तरह ग्रहण लगा दिया है। पिछले दिनों कई त्योहार कोरोना के बीच में ही घरों में ही लोगों ने मनाए हैं। ऐसा ही त्योहार ईद है, जो पूरे देश भर में खुशियों के पैगाम के साथ भाईचारे का संदेश देता है।‌‌‌‌ देश के केरल और जम्मू कश्मीर में रविवार को ईद मनाई गई है। देश के और अन्य भागों में सोमवार को धूमधाम के साथ ईद मनाई जाएगी। लेकिन इस बार हर वर्ष की तरह रौनक दिखाई नहींं देगी। ईद ऐसा त्योहार रहा है क्या छोटा क्या बड़ा सभी धर्म मिलजुल कर एक दसरे को मुबारकबाद देते हैं और मुस्लिम भाइयों की खुशियों में खुलकर शामिल होते रहे हैं। सही मायने में ईद घरों में समाज में और लोगों के बीच दूरियां कम करती है।

प्यार, मोहब्बत को यह त्योहार बढ़ावा देता आया है। मुस्लिम धर्म में ईद का त्योहार सबसेे बड़ा मानाा जाता है। रमजान मुस्लिम धर्म में सबसे पवित्र माह माना जाता है। इसके खत्म होते ही ईद का त्योहार आता है।‌ रमजान के आखिरी दिनों में मुस्लिम भाई ईद की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर देते हैं। देश में इस त्योहार के दिन सेवइयों की मिठास, लोगों का एक दूसरे से गले मिलना मुबारकबाद बोलना देश में गंगा जमुनी तहजीब को बढ़ावा देता है। साथ ही हिंदू मस्लिम एकता की मिसाल को भी एक पैगाम देता है। चाहे किसी धर्म में कितनी भी खटास क्यों न हो लेकिन ईद के दिन सब मिलजुल का एक दूसरे का सहयोग करते हैं।

कोरोना ने छीन ली ईद की खुशियां, घरों से ही देनी होगी एक दूसरे को मुबारक

एक वायरस के दहशत से सदियों बाद देश और दुनिया में पहली बार ऐसी ईद मनााई जाएगी इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। ईद को लेकर बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। लेकिन इस महामारी ने इस त्योहार का स्वरूप ही बदल कर रख दिया है।

न बाजारोंं में ईद की रंगत दिखाई देगी और न ही सड़कोंं पर भाईचारे का पैगाम सुनाई देगा। हम जिंदगी में बहुत सारी कल्पनाएं करते हैं, लेकिन बहुत सारी ऐसी चीज होती हैं जो कल्पना से परे होती हैं। हैदराबाद, लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, केरल आदि शहरों में ईद मनाने का अपना अलग अंदाज रहा है । इस महामारी के खौफ से किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इस बार यह रौनक वाला त्योहार कुछ इस तरह गुजारना पड़ सकता है ।

यह देश की पहली ऐसी ईद होगी जिसमें न तो लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ेंगे, न किसी के घर जाएंगे, न हाथ मिलाएंगे, न गले मिलेंगे।‌ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस पर रोक लगा दी है। यह भी अपील की है कि ईद के बजट की आधी रकम लॉकडाउन से बेरोजगार हुए लोगों की मदद पर खर्च करें। ईद, दीवाली के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है जिसमें सैकड़ों करोड़ की खरीदारी होती है, जो इस बार बंद हो गई। देशभर के कई मौलानाओं ने अपील की कि ईद में नमाज तो घर में पढ़ें ही और किसी से ईद मिलने न जाएं बल्कि फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर और वीडियो मैसेज से मुबारकबाद दें।

मुस्लिम धर्म में ईद सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है

ईद को मीठी ईद ईद-अल-फितर और ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। ईद मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है, ईद का जश्न तब शुरू होता है जब मुसलमान तीस दिन तक रोजा रखते हैं, और उसके बाद चांद का दीदार करते हैं। दरअसल, इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने रमजान में दुनिया भर के मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। माना जाता है कि इस महीने अल्लाह अपने बंदों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं और उनके हर गुनाहों को माफ करते हैं।

इस महीने रोजेदार 5 वक्त की नमाज अदा करते हैं, कुरान पढ़ते हैं और अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं। चांद के दिखने पर ही ईद की तारीख तय की जाती है। इन दिनों कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है, ऐसे में मस्जिद भी कोई नमाज पढ़ने के लिए जा नहीं पा रहा है। तो इस बाद घर में ही लोग ईद मनाते हुए नजर आने वाले हैं।

चांद दिखने के बाद ही ईद की रौनक शुरू हो जाती है

देशभर में रमजान का माह खत्म होने के बाद चांद दिखने पर ईद की रौनक शुरू हो जाती है लेकिन इस बार कोरोना महामारी के फैलने के कारण बाजारों, गली मोहल्लों में रौनक कम ही दिखाई देगी। देर रात तक घरों में खुशियां छाई रहती है। सोमवार को ईद होने पर रविवार शाम से ही लोग ईद की तैयारियों में जुट गए।‌ घरों की साफ-सफाई और सजाने के लिए महिलाएं देर रात तक जुटी रहीं। इसमें घर के पुरुषों ने भी उनका साथ दिया। लॉकडाउन से पहले खरीदे गए पर्दे आदि लगाए गए।

ईद के दिन पकवान बनाने के लिए महिलाओं ने तरह-तरह की रेसिपी भी तैयार कर ली है। रविवार की शाम से ही वह पकवान बनाने में जुट गई। लॉकडाउन की वजह से शहर में कपड़े, जूते आदि की दुकानें नहीं खुली है। यहां तक कि बाजार भी नहीं लगे हैं। इस वजह से इस बार लोगों ने पुराने कपड़े में ही ईद मनाने का मन बना लिया है। शॉपिंग के पैसों को जरूरतमंदों के बीच बांट दिया गया। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार