नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम को सफलता की नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले पूर्व कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी मंगलवार को 39 वर्ष के हो गए लेकिन उन्होंने अपने संन्यास को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है।
धोनी पिछले वर्ष इंग्लैंड में हुए एकदिवसीय विश्व कप में भारत की सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों सनसनीखेज हार के बाद से क्रिकेट मैदान से बाहर हैं। उनके 29 मार्च से शुरू होने वाले आईपीएल के 13वें सत्र से मैदान में लौटने की उम्मीद थी लेकिन कोरोना के कारण आईपीएल को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
माही के नाम से मशहूर धोनी ने अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स के साथ आईपीएल की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं लेकिन पहले लॉकडाउन के कारण चेन्नई ने अपना शिविर बंद किया और माही अपने गृहनगर रांची लौट गए। आईपीएल के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाने के कारण धोनी के संन्यास को लगातार अटकलें लग रही हैं लेकिन धोनी ने इस मामले में गहन चुप्पी साध रखी है।
धोनी निकट भविष्य में कभी भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर सकते हैं लेकिन वह अभी 2-3 साल तक आईपीएल खेलना जारी रख सकते हैं। भारत और दुनिया के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने धोनी के संन्यास पर कहा है कि इसका फैसला धोनी पर छोड़ देना चाहिए कि वह अपने दस्ताने और बल्ला कब टांगना चाहते हैं।
23 साल की आयु में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पदार्पण करने वाले धोनी आईसीसी की तीनों विश्व प्रतियोगिताएं जीतने वाले दुनिया के इकलौते कप्तान है। खिलाड़ियों के दिमाग को पढ़कर उसे क्रिकेट के खेल में इस्तेमाल करने की अनोखी ताकत रखने वाले धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को झारखंड (तब बिहार) के रांची में हुआ था।
धोनी झारखंड से निकलकर टीम इंडिया में जगह बनाने वाले पहले खिलाड़ी हैं। एक निम्न मध्यमवर्गी परिवार में जन्मे धोनी को बचपन से क्रिकेट के बजाय फुटबॉल खेलना पसंद था। धोनी को फुटबॉल टीम में एक गोलकीपर के तौर पर खेलते देख उस समय के उनके कोच ने उन्हें क्रिकेट में एक विकेटकीपर के तौर पर खेलने की सलाह दी। यहीं से माही का खेल बदला।
बिहार के लिए रणजी खेलने के बाद उन्हें रेलवे की तरफ से भी खेलने का मौका मिला। रेलवे ने उनके शानदार खेल को देखते हुए नौकरी ऑफर की। धोनी ने परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर की नौकरी स्वीकार कर ली। लेकिन धोनी की किस्मत में ‘क्रिकेट का बादशाह’ बनना लिखा था, अंततः एक दिन वह नौकरी छोड़कर वापस खेल की मैदान की ओर लौट आए। धोनी का यह फैसला उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
इसके बाद धोनी को जिम्बाब्वे और केन्या के दौरे पर इंडिया ए टीम में पहली बार जगह मिली। धोनी ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाया और सात मैचों में 362 रन बनाए। धोनी ने इस दौरान विकेटकीपिंग में भी हाथ अजमाते हुए सात कैच लपके और चार स्टंपिंग भी की। उस समय टीम इंडिया को एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी जो निचले क्रम में बल्लेबाजी भी कर सके। धोनी के इस प्रदर्शन ने तत्कालीन कप्तान सौरभ गांगुली को आकर्षित किया। और इस तरह वर्ष 2004 में धोनी को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला।
बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले धोनी शुरुआती मैचों में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए, लेकिन टीम प्रबंधन ने उन पर भरोसा दिखाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ अगली सीरीज में फिर मौका दिया। उन्होंने विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए अपने करियर के पांचवे मैच में 123 गेंदों पर 148 रन की विस्फोटक पारी खेली और इस पारी ने धोनी के करियर को एक झटके में आसमान पर पहुंचा दिया।
उन दिनों धोनी की बल्लेबाजी और उनके लंबे बाल भी देश-दुनिया में चर्चा का विषय रहे। उस समय उनके हेयर स्टाइल के दीवाने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ भी थे। उन्होंने एक सम्मान समारोह में धोनी के बालों की खुल कर चर्चा की।
तीन साल के भीतर धोनी को टी-20 और वनडे का कप्तान नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने अपनी कप्तानी में 2007 में दक्षिण अफ्रीका में हुए टी-20 विश्वकप टूर्नामेंट को जीत कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। इसके बाद धोनी को 2008 में टेस्ट कप्तानी सौंपी गई। इसके बाद उनकी कप्तानी में टीम ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में जीत हासिल की और दिसंबर 2009 में पहली बार भारत टेस्ट क्रिकेट इतिहास में नंबर-1 रैंकिंग पर काबिज हुआ।
इसके बाद वर्ष 2011 विश्वकप के फाइनल में उन्होंने नाबाद 91 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलकर भारत को 28 वर्षों बाद विश्व कप खिताब दिलाया। फाइनल में धोनी के लगाये ऐतिहासिक छक्के की तारीफ केवल उनके प्रशंसकों ने ही नहीं बल्कि कई क्रिकेट दिग्गजों ने भी की। उनकी तारीफ में भारत के क्रिकेट दिग्गज सुनील गावस्कर ने कहा था कि मैं मरने से पहले विश्वकप फाइनल 2011 में धोनी का आखिरी छक्का देखना चाहूंगा। उन्होंने वर्ष 2013 में इंग्लैंड को उसके मैदान पर हराकर आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी भी जीती।
धोनी ने भारत के लिए अब तक सबसे अधिक 200 वनडे में कप्तानी की है जिसमें टीम को 110 मैचों में जीत हासिल हुई है। उन्होंने 350 वनडे मैचों में 50.57 के औसत से 10773 रन बनाए, जिसमें 10शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान उन्होंने विकेट के पीछे 444 शिकार किये हैं। धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 38.09 के औसत से 4876 रन बनाए हैं, जिसमें 6 शतक और 33 अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट मैचों में उन्होंने विकेट के पीछे 294 शिकार किए हैं।
माही ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा आईपीएल में कुछ ऐसे रिकॉर्ड बनाये हैं जिन्हें तोड़ना किसी भी खिलाड़ी के लिए बेहद कठिन होगा। वह आईपीएल में सबसे ज्यादा नौ बार फाइनल खेलने वाले अकेले खिलाड़ी हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स को तीन बार खिताबी जीत दर्ज कराई।
विश्वकप 2019 में धोनी को अपनी सुस्त बल्लेबाजी के चलते आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। भारत के उस विश्वकप में सेमीफाइनल में मिली हार के बाद से वह क्रिकेट से दूर हैं। उम्मीद है कि आईपीएल में एक बार फिर से धोनी को खेलते देखने का मौका मिलेगा।