सबगुरु न्यूज। निस्सीम शक्ति निज को दर्पण में देख रही, तुम स्वयं शक्ति हो या दर्पण की छाया हो? तुम्हारी मुस्कुराहट तीर है केवल? धनुष का काम तो मादक तुम्हारा रूप करता है। सौंदर्य रूप ही नहीं, अदृश्य लहर भी है। उसका सर्वोत्तम अंश न चित्रित हो सकता, विश्व में सौंदर्य की महिमा अगम है, रूप की प्रतियोगिता में नारियां सबसे श्रेष्ठ हैं। यह चंद लाइनों को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि बात महिलाओं की हो रही है। त्याग, समर्पण के साथ सौंदर्य और प्रेम न जाने कितने रूपों में भारतीय नारियों का वर्णन किया गया है।
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज महिलाओं के तीज और त्योहार की बात करेंगे। जी हां कल 23 जुलाई को ‘हरियाली तीज’ है। यह त्योहार महिलाओं के लिए ही समर्पित है। हरियाली तीज का सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। हरियाली तीज पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के साथ महिलाओं के सौंदर्य और प्रेम का भी उपासक है।
सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ और हरियाली तीज ऐसे त्योहार है जो कि पति की लंबी आयु के साथ व्रत रखने और सोलह श्रृंगार सिंगार करने के लिए जाने जातेे हैं। इस दिन परंपरा रही है कि महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाकर झूला भी झूलती हैं। शाम को घर में पूजा के लिए पकवान भी बनाए जाते हैं। हम आपको बता देंं कि सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृत्यी को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता हैै कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की प्रथम मिलन हुआ था। हरियाली तीज पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है। उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
हरियाली तीज पर्व का संबंध भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा हुआ है
हरियाली तीज पर्व का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। मान्यता है कि माता पार्वती की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और इसी दिन ही माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा भी सुनाई थी। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पिछले जन्मों का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी।
एक बार की बात है माता पार्वती अपने पूर्वजन्म के बारे में याद करने में असमर्थ थीं तब भोलेनाथ माता से कहते हैं कि हे पार्वती, तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए 107 बार जन्म लिया था लेकिन तुम मुझे पति रूप में न पा सकीं लेकिन 108वें जन्म में तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और मुझे वर रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की।
हरियाली तीज के दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार अखंड सौभाग्य की निशानी होती है, इसलिए हरियाली तीज का स्त्रियां साल भर इंतजार करती हैं। हरियाली तीज पर वर्षा ऋतु प्रसन्न होती है और वर्षा ऋतु की प्रसन्नता धरा पर हरियाली के रूप में दिखाई देती हैं।
सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है
हरियाली तीज सावन महीने के सबसे महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। सौंदर्य और प्रेम के इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहते हैं। हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है। इस दिन महिलाएं पूरी श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त, 22 जुलाई शाम 7 बजकर 23 से शुरू होगा और 23 जुलाई शाम 5:04 तक रहेगा। हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं इस प्रकार करें पूजा।
घर को तोरण-मंडप से सजाएं मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं और इसे चौकी पर स्थापित करें। मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें। तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है, इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार