जयपुर। माघ का महीना जप, तप, स्नान और ध्यान के लिए जाना जाता है। यह महीना हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। माघ के महीने में ही पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य कमाया जाता है। इसमें पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन द्वापर युग की शुरुआत हुई थी, और मनु ऋषि का जन्म भी हुआ था।अमावस्या का विशेष महत्व होता है क्योंकि इसमें मौन रहकर व्रत, स्नान और ध्यान किया जाता है। इस बार 24 जनवरी 2020 को मौनी अमावस्या पड़ रही है। इस दिन प्रयागराज के संगम, उज्जैन, हरिद्वार में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस तिथि को मौन एवं संयम की साधना, स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है। इस दिन दान-पुण्य भी किया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन ‘मौन व्रत’ रखने से मानसिक-शारीरिक कष्ट दूर होते हैं
माघ मास को कार्तिक माह की ही तरह बहुत पुण्य कहा गया है। मौनी अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। इस तिथि को मौनी अमावस्या इसलिए भी कहा गया है क्योंकि इस व्रत को करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता है। माघ मास की अमावस्या तिथि को बेहद शुभ माना गया है। इसे ही माैनी अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर देवता धरती पर रूप बदलकर आते हैं और संगम में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि मौन व्रत करने से विशेष तरह की उर्जा मिलती है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं।
इसी दिन शनि भी अपनी राशि में परिवर्तन करेंगे
इस बार की मौनी अमावस्या बेहद खास है। दरअसल 24 जनवरी को ही शनि 30 वर्षों के बाद मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अमावस्या तिथि की शुरुआत 24 जनवरी को तड़के 2.17 बजे हो रहा है और इसकी समाप्ति 25 जनवरी को तड़के 3.11 बजे होगा। वहीं, शनि राशि दोपहर 12.10 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के राशि बदलने पर मकर, धनु और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी जबकि वृश्चिक राशि से साढ़े साती उतर जाएगी।
शास्त्रों में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है
शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन सभी पवित्र नदियों और गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है। यदि किसी व्यक्ति की सामर्थ्य त्रिवेणी के संगम अथवा अन्य किसी तीर्थ स्थान पर जाने की नहीं है तब उसे अपने घर में ही प्रात: काल उठकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए और गंगा जल ग्रहण करना चाहिए। स्नान करते हुए मौन धारण करें और जाप करने तक मौन व्रत का पालन करें। इससे चित्त की शुद्धि होती है एवं आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है।
मौनी अमावस्या पर दान-पुण्य करने की रही है परंपरा
मौनी अमावस्या के दिन दान पुन करने की सदियों पुरानी परंपरा रही है। इस दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन तिल, तेल, कंबल, कपड़े और धन का दान करना चाहिए।जिसकी कुंडली में शनि भारी है उनके लिए इन चीजों का दान करना जरूरी बन जाता है। माैनी अमावस्या को दान पुण्य करने का दिन भी कहा जाता है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार