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मां का समर्पण और ममता आज भी नहीं बदली - Sabguru News
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मां का समर्पण और ममता आज भी नहीं बदली

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मां का समर्पण और ममता आज भी नहीं बदली
Special on mother day
Special on mother day
Special on mothers day

सबगुरु न्यूज। सदियां बदल गई, जमाना और लोगों में बदलाव आया या कहें पिछले कुछ वर्षों में संसार ही बदल गया। केवल मां का ही समर्पण और ममता में कोई बदलाव नहीं आया है। जब जब मां की याद आती है तब तब उसका अपनापन और निस्वार्थ सेवा भाव स्वयं ही जुबान पर आ ही जाता है। मां का जीवन ऐसा है वह अपने बच्चों के लिए ताउम्र ममता न्योछावर करती रहती है।

सही मायने में आज संसार मां की ममता पर ही आकर टिका हुआ है। हम बात कर रहे हैं मदर्स डे यानी मातृत्व दिवस जो कि रविवार यानी 10 मई को है। मां नाम जुबान पर आते हैं मन और मतिष्क में मातृत्व और करुणा से भरा वो चेहरा नजरों के सामने आ जाता है जिसे हम सब मां कहते हैं। लोग इस दिन को पूरी तरह अपनी मां को समर्पित करते हैं।

मां एक ऐसा शब्द है जो प्यार, सम्मान और आदर के पाने के लिए किसी दिन या वक्त का मोहताज नहीं होता। सदियों से हर युग में मां की महिमा का बखान हुआ है और ऐसे में मदर्स डे मां के सम्मान का एक और दिन महज है। हालांकि, इस दिन का काफी महत्व भी है और लोग इस खास दिन अपनी मां के प्रति अपने प्यार को शब्दों में बयां करते हैं। कोरोना वायरस के चलते देश में लॉकडाउन घोषित है। ऐसे में बेटे घर में रहकर मां के साथ इस दिन को यादगार बना सकते हैं। यह पूरा दिन मां के नाम समर्पित करें और घर के सभी लोग इस दिन को जश्न के तौर पर मनाएं।

मां के प्यार-त्याग और तपस्या में नहीं रहती है मिलावट

कहते हैं न कि मां के प्‍यार का कर्ज चुकाया नहीं जा सकता। मां के प्‍यार, त्‍याग और तपस्‍या के बदले हम चाहे कुछ भी कर लें वो कम ही होगा। हमें इस दुनिया में लाने वाली और इंसान बनाने वाली उस मां के प्रति सम्‍मान और प्‍यार जताने के लिए वैसे तो किसी विशेष दिन की जरूरत नहीं, लेकिन मदर्स डे हमें अपनी भावनाओं को जाहिर करने का एक बहाना जरूर देता है। मां के लिए कोई एक दिन नहीं होता है, वो अलग बात है कि एक खास दिन को मां के नाम निश्चित कर दिया गया है।

अपनी हर तकलीफें एक तरफ कर बच्चों की हर खुशी का ध्यान रखने वाली मां के साथ इस खास दिन को बिताना चाहिए। मदर्स डे लोगों को अपनी भावनाओं को जाहिर करने का मौका देता है। मां का सभी के जीवन में योगदान अतुलनीय है। फिर चाहे उसे ऑफिस और घर दोनों जगह में संतुलन क्यों ना बैठना पड़ा हो, मां ने कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा है। इस मदर्स डे के खास मौके पर अपनी मां के साथ समय बिताएं, वो सब करें जो व्यस्त होने के कारण आप नहीं कर पाते और मां को खास तोहफे देकर जरूर खुश करें।

अपना पूरा जीवन बच्चों की खुशियों में ही निकाल देती है मां

मां जैसा प्‍यार इस दुनिया में और कोई नहीं कर सकता। हम मां को कितना भी प्यार और सम्मान कर लें लेकिन वो कम ही पड़ जाता है। मां के प्‍यार, त्‍याग और तपस्‍या के बदले व्यक्ति उसे कुछ नहीं लौटा सकता। हर इंसान की जिंदगी में मां सबसे अहम होती है। मां हमारी हर जरूरतों से लेकर छोटी-बड़ी खुशियों का ख्याल रखती है और बदले में कभी कुछ नहीं मांगती। इसलिए हम लोगों को भी अपनी मां को हर दिन ही खास महसूस कराना चाहिए।

कोरोना लॉकडाउन के चलते इस बार मदर्स डे सभी के लिए काफी अलग होगा, लेकिन इसको मनाने के पीछे लोगों के जज़्बात और अपनी मां के लिए उनका प्यार पहले की तरह ही रहेगा। वैसे तो हम में से कई लोग हमेशा की तरह इस मदर्स डे को भी अपनी मां के लिए खास बनाना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते बाहर जाना संभव नहीं हो पा रहा है। मां अपनी पूरी जिंदगी दूसरों की ख्वाहिशों को पूरा करने में निकाल देती है लेकिन हम कभी मां को उनके प्यार और ममता के लिए थैंक्स नहीं कह पाते हैं। मदर्स डे का दिन मां को थैंक्यू कहने के लिए सबसे बेस्ट है।

1912 में ‘मदर्स डे’ मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी

1912 में मदर्स डे की शुरूआत अमेरिका से हुई। एना जार्विस एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं जो अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं। उन्होंने कभी शादी नहीं की। उनकी कोई संतान भी नहीं थी। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। मां भगवान का बनाया गया सबसे नायाब तोहफा है। हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में मातृ दिवस समारोह को पहली बार 20वीं शताब्दी में अन्ना जार्विस ने मनाया था। 1905 में उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने अपनी मां की स्मृति में एक स्मारक का आयोजन किया।

यह स्मारक पश्चिम वर्जीनिया के ग्राफ्टन के सेंट एंड्रयू मैथोडिस्ट चर्च में आयोजित किया गया था। इस प्रकार, मातृ दिवस के उत्सव ने हमारे जीवन में उनके प्रयासों और मूल्य को पहचानना शुरू कर दिया। 1941 में वुड्रो विल्सन ने एक घोषणा पर हस्ताक्षर करने के बाद आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया। हालांकि, यह अलग-अलग देशों में अलग-अलग तारीखों में मनाया जाता है। जबकि यूके इसे मार्च के चौथे रविवार को मनाता है, लेकिन ग्रीस में इसे 2 फरवरी को चिह्नित किया गया। अमेरिका, भारत और कई देशों में मदर्स डे मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार