देश में बैडमिंटन खेल को आधुनिक और स्मार्ट बनाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही। अगर भारत में बैडमिंटन पिछले एक दशक से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक रहा है तो उन्हीं का योगदान है। वे खिलाड़ी से भी ज्यादा दुनिया भर में कोच के रूप में मशहूर होकर बन गए ‘गुरु गोपी’।
इस पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी ने भले ही ओलंपिक में पदक न जीते हो लेकिन कोच को तौर पर उन्होंने साइना नेहवाल और पीवी सिंधु के जरिए देश का नाम रोशन किया। जी हां हम बात कर रहे हैं पुलेला गोपीचंद की। आज इस द्रोणाचार्य का जन्मदिन है। 16 नवंबर 1973 में आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में जन्मे बैडमिंटन की दुनिया में सुपर काेच के नाम से मशहूर पुलेला गोपीचंद अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं। आज इन्हीं के बारे में बात करेंगे। इनके बचपन के दिन फिर खेल और कोच के तौर पर भूमिका कम दिलचस्प नहीं रही।
बचपन में गोपीचंद को क्रिकेट पसंद था
पुलेला गोपीचंद को बचपन में बैडमिंटन नहीं क्रिकेट खेलना पसंद था। लेकिन उनकी किस्मत में शायद बैडमिंटन ही लिखा था। जब वे केवल 10 साल के थे, तभी बैडमिंटन में इतने कुशल हो गए कि उनके चर्चा आसपास जिलों में होने लगी।
गोपीचंद अपने परिवार में अकेले नहीं थे, जिन्हें बैडमिंटन का शौक था। उनके भाई भी एक शानदार खिलाड़ी थे। गोपीचंद के भाई भी बैडमिंटन में स्टेट चैंपियन थे। गोपीचंद पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। गोपीचंद जब 1986 में 13 साल के थे तभी उन्हें किसी गंभीर चोट की समस्या को झेलना पड़ा। लेकिन उसी साल उन्होंने इंटर स्कूल प्रतियोगिता में सिंगल्स और डबल्स के खिताब जीते।
चोट से विचलित हुए बिना वे जल्दी ही वापस लौटे और आंध्र प्रदेश राज्य की जूनियर बैडमिंटन प्रतियोगिता के फाइनल तक अपनी जगह बनाई। उसके बाद वर्ष 1991 में इंजीनियरिंग परीक्षा में विफल रहने से चिंतित भी हो गए। हालांकि हालांकि उस समय वह जूनियर राष्ट्रीय बैडमिंटन का खिताब जीत चुके थे। उसके बाद जमशेदपुर में टाटा स्टील से जुड़ गए।
गोपीचंद ने बैडमिंटन में नेशनल चैंपियन बनने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा
23 साल की उम्र में उन्होंने नेशनल चैंपियनशिप जीती और फिर अगले पांच साल तक जीतते ही रहे। 2001 में वह प्रकाश पादुकोण के बाद प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने। इस दौरान उन्होंने वर्ल्ड नंबर वन पीटर गेड को सेमीफाइनल में और फाइनल में अपने से ऊपर रैंक के खिलाड़ी चीन के चेंग हॉन्ग को फाइनल में हराया।
गोपी ने ऑल इंग्लैंड समेत अपने जीवन में 5 अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते।
2003 में लिया सन्यास, बैडमिंटन अकादमी खोलने के लिए घर गिरवी रखा
साल 2003 में बैडमिंटन से संन्यास लेने के बाद गोपीचंद हैदराबाद में बैडमिंटन अकादमी खोलने में जुट गए। एक कोच के रूप में उन्होंने और बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। यह साल 2004 था जब पुलेला गोपीचंद ने अपनी अकादमी की शुरुआत की। उनकी आंखों में एक ही सपना था कि भारत को बैडमिंटन के शिखर पर पहुंचाना है। उन्हें मालूम था कि मौका और सही ट्रेनिंग मिले तो ऐसा किया जा सकता है।
आखिर वह खुद भी ऐसा कर चुके थे। गोपी को मालूम था कि भारतीय बैडमिंटन की ‘चीनी दीवार’ को भेद सकता है और आखिर वह ऐसा करने में सफल भी हुए। लेकिन कोई भी सपना सस्ता नहीं होता। गोपी काे अपनी अकादमी खोलने के लिए अपना घर तक गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन वह डिगे नहीं।
कोच के रूप में उनकी लगन और जुनून ने उनका सपना पूरा किया
दुनिया के चोटी के खिलाड़ी रहे पुलेला गोपीचंद को भारतीय बैडमिंटन का द्रोणाचार्य कहा जाता है। वह भारत के राष्ट्रीय कोच हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर उनकी उपलब्धियां लाजवाब हैं लेकिन एक कोच के रूप में उनकी लगन, जुनून और जोश ने उन्हें ‘गुरु गोपी’ का सम्मान दिलाया है। अपनी अकादमी के बारे में गोपीचंद ने कहा था हमने यह अकादमी बहुत जुनून से बनाई है।
हम नहीं जानते थे कि हमें कामयाबी मिलेगी अथवा नहीं लेकिन हमने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। जब तक हमने साबित नहीं किया किसी को यकीन नहीं हुआ कि यह अकादमी इतनी बड़ी उपलब्धि होगी। पुलेला गोपीचंद को भारत सरकार ने अर्जुन अवॉर्ड – 1999, राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड- 2001, पद्मश्री- 2005 द्रोणाचार्य- 2009, पद्मभूषण- 2014 में सम्मानित किया था।
गोपी की बैडमिंटन अकादमी ने भारत को ओलंपिक में दो मेडल दिलाए
इसी अकादमी ने भारत को साइना नेहवाल, पीवी सिंधु और किदांबी श्रीकांत जैसे बेहतरीन खिलाड़ी दिए हैं। पहले गोपीचंद की कोचिंग में साइना ने साल 2012 लंदन ओलिंपिक में इतिहास रचते हुए बैडमिंटन में भारत के लिए पहला पदक जीता। साइना ने भारत के लिए कांस्य पदक हासिल किया, वहीं सिंधु ने साल 2016 में सिल्वर पदक जीता।
भले ही खिलाड़ी अलग अलग हो लेकिन दोनों का कोच गोपीचंद ही हैं। जितनी मेहनत वह अपने खिलाड़ियों से चाहते हैं उतनी ही वह खुद भी करते हैं। वह खिलाड़ियों के साथ खुद भी सुबह चार बजे अकादमी में पहुंच जाते हैं। खिलाड़ियों के खेल के साथ-साथ फिटनेस और डाइट पर भी पूरा ध्यान देते हैं।
सिंधु- साइना के अलावा भी इस अकादमी ने कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए
पीवी सिंधु और साइना नेहवाल के अलावा भी गोपीचंद की अकादमी से कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर नाम कमा रहे हैं। किदांबी श्रीकांत, पुरुपल्ली कश्यप, समीर वर्मा, एचएस प्रणॉय और साई प्रणीत सिंगल्स में नाम कमाने वाले खिलाड़ी हैं। श्रीकांत और साइना तो दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी भी रह चुके हैं।
सिंधु से खटास के बाद साइना ने गोपीचंद की अकादमी 2014 में छोड़ दी थी
पीवी सिंधु और साइना नेहवाल में धीरे-धीरे खटास पैदा होने लगी। सिंधु के अच्छे खेल के चलते ही साइना ने सितंबर 2014 में गोपीचंद की ट्रेनिंग छोड़ दी थी। उन तीन साल साइना ने कोच विमल कुमार के साथ ट्रेनिंग की थी। उस दौरान ही साइना ने नंबर वन रैंक भी हासिल की थी।
हालांकि, पिछले साल वह गोपीचंद के अकादमी में वापस आ गई। उसके बाद साइना ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में सिंधु को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। इस समय पुलेला गोपीचंद दोनों काे अलग-अलग ट्रेनिंग दे रहे हैं। अब सिंधु और साइना के रिश्ते भी अच्छे हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार