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Special on the death anniversary of Pandit Jawaharlal Nehru - Sabguru News
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जवाहरलाल नेहरू ने वैश्विक और राजनीतिक स्तर पर भारत को नई दिशा दी

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जवाहरलाल नेहरू ने वैश्विक और राजनीतिक स्तर पर भारत को नई दिशा दी
Special on the death anniversary of Pandit Jawaharlal Nehru
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Special on the death anniversary of Pandit Jawaharlal Nehru

सबगुरु न्यूज। पंडित जवाहरलाल नेहरू अपनी शान और शौकत रहन-सहन के लिए पूरे दुनिया भर में उस जमाने में विख्यात थे। जवाहरलाल नेहरू को पिता मोतीलाल नेहरू से जिंदगी के ठाठ बाट मिले थे। महंगी गाड़ी और विदेशों से कपड़े मंगवा कर नेहरू जी पहनते थे । उनका निजी जीवन भी काफी चर्चाओं में रहता था। लेकिन जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की शपथ ली तब उन्होंने अपने आप को उन्हीं उसी के अनुरूप ढाल भी लिया था।‌

पहले प्रधानमंत्री होने के नाते जवाहरलाल नेहरू ने वैश्विक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भारत को नई दिशा दी थी। प्रधानमंत्री के बनने के बाद नेहरू भारत के विकास के लिए निरंतर लगे रहे। आज 27 मई को जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि है। आज से 56 वर्ष पहले इसी तारीख को देश ने एक लोकप्रिय नेता खो दिया था जिसकी भरपाई अभी तक नहीं हो सकी है।‌ पंडित नेहरू राजनीति में जितने कुशल थे उतने ही साहित्य और सामाजिक कार्यों को लेकर भी लोकप्रिय रहे हैं। अपने प्रधानमंत्री काल में नेहरू ने अपनी सफल कूटनीति की वजह से भारत का देश ही नहीं विदेश में भी डंका बजाया था।

14 नवंबर 1889 को जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।‌ उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था। जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित समुदाय से थे, इसलिए उन्हें पंडित नेहरू बुलाया जाता था। नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था। बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। जवाहरलाल नेहरू ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ किया था। जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की।

1919 में नेहरू महात्मा गांधी के संपर्क में आए, नेहरू गांधी जी से प्रभावित हुए और उन्होंने गांधी के उपदेशों के अनुसार खुद को ढाल लिया। नेहरू गांधी की तरह ही कुर्ता और टोपी पहनने लगे थे। जवाहर लाल नेहरू की शादी 1916 में कमला नेहरू से हुई। इसके एक साल बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था ।

देश को आजादी दिलाने में नेहरू जी का खास योगदान रहा था

देश की आजादी में नेहरू का खास योगदान था। 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस्त 1942 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए। नेहरू अपने जीवन में 9 बार जेल गए। चाचा नेहरू को 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है, उन्होंने ही पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया था।

जवाहर लाल नेहरू को अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। नेहरू ने ‘पंचशील’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में ‘भारतरत्न’ से अलंकृत हुए नेहरूजी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व किया। जवाहर लाल नेहरू एक अच्छे लेखक भी थे। उनकी प्रमुख किताबें डिस्कवरी ऑफ इंडिया और ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री हैं।

देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे जवाहरलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1947 में देश स्वतंत्र होने के समय ही ‘अंतरिम प्रधानमंत्री’ बन गए थे। भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे, किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। उसके बाद भारत में पहली बार 1952 में हुए आम चुनाव में वे प्रधानमंत्री चुने गए और वर्ष 1964 तक वे यानी अपनी मृत्यु के समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहे।‌ पंडित जवाहर लाल नेहरू लाल किले पर तिरंगा लहराने वाले पहले शख्स थे।

देश ही नहीं विदेशों में भी उनकी जबरदस्त लोकप्रियता हुआ करती थी

पंडित जवाहरलाल नेहरू की लोकप्रियता देश ही नहीं पूरी दुनिया भर में थी।‌ पंडित नेहरू और सोवियत संघ की दोस्ती पूरी दुनिया जानती है। जवाहरलाल नेहरू ने ही भारत और सोवियत संघ से मैत्री को आगे बढ़ाया था। आज भी रूस हमारा सबसे अच्छा मित्र देश माना जाता है।‌ यही नहीं नेहरू जी के प्रधानमंत्री काल में ही अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनडी ने भारत की यात्रा की थी। उस समय भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हुए थे।

नेहरू के समय ब्रिटेन, फ्रांस के साथ भी संबंध मजबूत रहे हैं भारत के।‌ उसके बाद हमारे पड़ोसी देश चीन को दोस्ती करना नेहरू के लिए सबसे बड़ी जीत मानी जाती है। साठ के दशक में ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ का नारा भी दिया था जो बहुत ही प्रसिद्ध हुआ था। लेकिन बाद में चीन के द्वारा किया गया विश्वासघात नेहरू जी को जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा भी लगा था।

पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध मजबूत नहीं कर पाए थे नेहरू जी

नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे। नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया।

चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से उनकी मौत भी हुई। जवाहरलाल नेहरू की 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। देश प्रति उनका बड़ा योगदान रहा था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कामों को कई फिल्मों में भी दिखाया गया है। बॉलीवुड के ऐसे कई अभिनेता हैं जिन्होंने फिल्मी पर्दे पर जवाहरलाल नेहरू के किरदार को निभाया है। आज नेहरू जी को हमसे बिछड़े 56 वर्ष हो चुके हैं लेकिन वे आज भी देशवासियों खासतौर पर बच्चों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।‌

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार