सबगुरु न्यूज। मनुष्य के लिए प्रकृति की भूमिका हमेशा से सबसे अग्रणी रहती है। स्वच्छ पर्यावरण ही हमें स्वस्थ बनाता है। हमारा पर्यावरण के बीच गहरा संबंध है, मनुष्य भी तो पर्यावरण और पृथ्वी का एक हिस्सा ही हैं। प्रकृति के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। इस भौतिक युग में लोग इसकी अनदेखी करते चले जा रहे हैं। प्रकृति जब-जब रूठी है, इसका प्रभाव सीधे हमारे ऊपर पड़ा है। आज 5 जून को पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मनाता है। आज मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया हैै कि वह प्रकृति तभी याद करता है जब उसको जरूरत रहती है। हम अपने पर्यावरण को हरा-भरा और सहेजने में कभी गंभीर नहीं रहे। लोग स्वार्थ के लिए पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं, पेड़ काट रहे हैं। जिसके नतीजे यह रहे कि हमारा वातावरण दूषित होता चला गया।
हालांकि यह समस्या भारत की ही नहीं है बल्कि विश्व के तमाम ऐसे देश है जो आज प्रदूषण के वजह से बेहाल हैं। बढ़ते प्रदूषण की वजह से इसका सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ रहा है। हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना होगा। प्रकृति जब बिगड़ती है तब वह इंसानों को संदेश भी देती है के अभी भी मौका है संभल जाओ विश्व पर्यावरण दिवस को तब ही सफल बनाया जा सकता है जब हम पर्यावरण का ख्याल रखेंगे। हर व्यक्ति को ये समझना होगा कि जब पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तब ही इस धरती पर जीवन संभव है।
लॉकडाउन ने हमारे पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बना दिया
लॉकडाउन ने पर्यावरण को सबसे अधिक फायदा पहुंचाया। केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय भी करोड़ों रुपए खर्च करके वह काम नहीं कर सका जो कि लॉकडाउन ने कर दिया। लोगों के घरों पर रहने और वाहनों की आवाजाही बंद होने से पर्यावरण को जैसे बैठे-बैठाए ऑक्सीजन मिल गई। इस महामारी से पर्यावरण पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है। देश में प्रदूषण का स्तर भी घट गया। कोरोना वायरस महामारी के चलते एक साथ देश और दुनिया में लॉकडाउन लगाया गया। इससे न केवल उद्योग धंधे, कल-कारखाने बंद हो गए, बल्कि लोगों की गाड़ियां चलाने पर रोक भी लग गई।
इससे प्रदूषण स्तर बहुत कम गया। वहीं लॉकडाउन के चलते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम हुआ है। जबकि प्रदूषण स्तर भी कम हो गया है। इससे हवा भी शुद्ध और साफ हो गई है, पर्यावरण में भीहरियाली छा गई है। यही नहीं हमारे देश की गंगा, यमुना समेत कई नदियों का पानी भी स्वच्छ हो गया। इससे पहले लोग नदियों में कचरा फेंक देते थे, लेकिन कोरोना वायरस महामारी में लोगों के घरों से नहीं निकल पाए थे। लॉकडाउन ने हमारे पर्यावरण को स्वच्छ और हरा भरा बनाने में मदद की है अब हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम भी प्रकृति को ही आगे ऐसा ही बनाए रखें।
आज संकल्प लें पुरानी गलतियों को अब नहीं दोहराएंगे पर्यावरण का रखेंगे ध्यान
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आओ हम संकल्प ले की पुरानी गलतियों को नहीं दोहराएंगे, हर रोज कुछ समय अपनी प्रकृति की भी चिंता करेंगे और इसे हरा भरा बनाने का पूरा प्रयास करेंगे। अभी भी हमारे पास समय है इसे हम सहेज लें, कहीं ऐसा न हो जब तक हम जागे, देर हो जाए। आज पर्यावरण दिवस के अवसर पर आप अपने घर के अंदर रहकर पेड़-पौधे लगाएं।
चीजों को रीसाइकल करने के बारे में सोचें और अपने परिवार के लोगों को भी इसका हिस्सा बनाएं। पॉलीथीन के इस्तेमाल को रोके और उसकी जगह कपड़े की थैली का इस्तेमाल करें। घर की किसी भी चीज को फेंकने से पहले, उसका किसी और तरीके से इस्तेमाल करें। पर्यावरण के प्रति अपनी और दूसरों की इस आदत को सुधारें। नई पीढ़ी को प्रकृति, पर्यावरण, पानी व पेड़-पौधों का महत्व समझाएं। पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत समेत विश्व भर में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश रहता है लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना।
वर्ष 1972 में हुई थी पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत
कई सालों से हम देखते, सुनते और पढ़ते आ रहे हैं विश्व में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है। इंसानों ने अपनी सुविधाओं के लिए संसाधनों का निर्माण किया, जिससे पर्यावरण पर बुरा असर हुआ। इस बुरे असर से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए वैश्विक मंच बनाया गया। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की वजह है लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है । संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी।
उसी साल संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण और प्रदूषण पर स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें 100 से अधिक देशों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा। यहां आपको बता दें कि हर साल विश्व पर्यावरण दिवस को एक थीम दी जाती है। विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम है ‘प्रकृति के लिए समय’ इसका मकसद पृथ्वी और मानव विकास पर जीवन का समर्थन करने वाले आवश्यक बुनियादी ढांचे को प्रदान करने पर ध्यान दिया जाए। आइए आज प्रकृति के बारे में गंभीरता से विचार करें और इसे हरा-भरा बनाएं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार