आज 3 मई है। यानी प्रेस की स्वतंत्रता का दिन। आज विश्व प्रेस अपनी स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज चाहे हालात जितने भी बदल गए हो लेकिन चुनौती और कठिनाइयों से भरी हुई है प्रेस की स्वतंत्रता। आज भी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए तमाम बंदिशें लगी हुई हैं। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस को मानाने का मुख्य उद्देश्य प्रेस स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का जश्न मनाने के साथ दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति का आकलन करना, इसके साथ ही हमलों से मीडिया की रक्षा करना और उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने कर्तव्य के चलते अपना जीवन खो दिया है। हां, हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम भी बदल जाती है। इस साल की थीम की बात करें तो वह है, ‘बिना डर या पक्षपात के पत्रकारिता’।
मीडिया के सामने वर्तमान चुनौतियों के साथ-साथ शांति और सुलह प्रक्रियाओं के समर्थन करना है। दुनिया के किसी भी देश के उदय और उसकी प्रगति में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है। कोई भी देश पत्रकारों को अंदेखा कर तरक्की नहीं कर सकता है। भारत की आजादी के समाय भी पत्रकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। दूसरी ओर भारत समेत आज कई देशों में प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास खुले तौर पर किया जाता है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने का कारण भारत सहित कई देशों से पत्रकारों के ऊपर हुए अत्याचारों की खबर आती रहती हैं। इसके अलावा मीडिया हाउस के एडिटर, प्रकाशकों और पत्रकारों को डराया जाता है।
वर्ष 1993 में ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे’ मनाने की हुई थी शुरुआत
साल 1991 में अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए एक छोटी सी शुरुआत की थी। तीन मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों से संबंधित एक बयान जारी किया था जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है। साल 3 मई को हर वर्ष ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे’ के तौर पर मनाया जाता है। यूनेस्को की आम सम्मेलन की सिफारिश के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया था। तब से 3 मई को विंडहोक की घोषणा की सालगिरह को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह रहता है। मीडिया की रक्षा करना और उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने कर्तव्य के चलते अपना जीवन खो दिया है। हर साल प्रेस फ्रीडम डे की थीम अलग होती है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के दिन गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार उस संस्थान के व्यक्ति को दिया जाता है जो प्रेस की फ्रीडम के लिए बड़ा कार्य किया है। इसके साथ ही प्रेस स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों और यूनेस्को के सदस्य राज्यों द्वारा नाम प्रस्तुत किए जाते हैं।
विश्व भर में हर क्षेत्रों में मीडिया का है महत्वपूर्ण स्थान
प्रेस यानी मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यूं तो पूरी दुनिया में आज भी प्रेस आम आदमी की जुबान है, लेकिन बात भारत की करें तो आजादी की लड़ाई से लेकर आज के हालात में मीडिया की काफी अहम भूमिका रही है। अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने का मकसद था दुनियाभर में स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करना और उसकी रक्षा करना। प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। प्रेस की आजादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता मौलिक जरूरत है।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता के मौलिक सिद्धांतों का जश्न मनाने के साथ-साथ दुनिया भर में प्रेस की आजादी का मूल्यांकन करते हुए हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
यह भी पढें
राजस्थान में कोरोना पाॅजिटिव की संख्या 2886 पहुंची, तीन की मौत
अजमेर लॉकडाउन-3 : खुलेंगी शराब की दुकान, तंबाकू उत्पादों पर रोक जारी
केवल फंसे हुए लोगोंं के लिए है ट्रेन और बस की सुविधा: गृह मंत्रालय
सरकारी व निजी कार्यालय सोमवार से खुलेंगे : अरविंद केजरीवाल
सीमित ओवर क्रिकेट में विराट से आगे हैं रोहित : गौतम गंभीर
ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगी : जफरूल इस्लाम
सोहा अली ने 50 हजार प्रवासी मजदूरों की मदद करने की अपील की