नयी दिल्ली । देश के चार बड़े हवाई अड्डों पर समय पर उड़ान भरने के मामले में अगस्त में किफायती विमान सेवा कंपनी स्पाइसजेट अव्वल रही। वहीं, यात्रियों की सबसे ज्यादा शिकायतें एयर ओडिशा और एयर डेक्कन के खिलाफ आयीं।
नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, अगस्त में दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु हवाई अड्डों पर स्पाइसजेट की 87.4 प्रतिशत उड़ानें समय पर रवाना हुईं। इंडिगो और गो एयर की 87.2 प्रतिशत तथा विस्तारा की 83.6 प्रतिशत उड़ानें समय पर रवाना हुईं। इस मामले में सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। उसकी 75.3 प्रतिशत उड़ानें ही समय पर जा सकीं। तय समय से 15 मिनट के भीतर रवाना होने पर उड़ान को समय पर माना जाता है।
यात्रियों की शिकायत के मामले में एयर ओडिशा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। प्रति एक लाख यात्री उसके खिलाफ 362 शिकायतें आयीं। इस मामले में राष्ट्रीय औसत 5.9 शिकायत प्रति लाख यात्री का रहा। प्रति एक लाख यात्री एयर डेक्कन के खिलाफ 218 शिकायतें, एयर इंडिया के खिलाफ 16, जेट एयरवेज तथा जेट लाइट के खिलाफ 12, ट्रूजेट के खिलाफ छह, गोएयर के खिलाफ चार, इंडिगो के खिलाफ तीन, स्पाइसजेट के खिलाफ दो और एयर एशिया तथा विस्तारा के खिलाफ एक-एक शिकायत मिली।
अगस्त में यात्रियों की सबसे ज्यादा शिकायत बैगेज को लेकर रही। कुल शिकायतों में 28 प्रतिशत बैगेज को लेकर थी। इसके अलावा 27.8 प्रतिशत शिकायतें उड़ान की समस्या के बारे में, 24.7 प्रतिशत ग्राहक सेवा को लेकर, 6.6 प्रतिशत कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर और 2.8 प्रतिशत रिफंड को लेकर रही।
देश के कुछ हिस्सों में बारिश तथा बाढ़ के कारण अगस्त में बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। जूम एयर की सभी उड़ानें रद्द रहीं। एयर ओडिशा की 66 प्रतिशत और एयर डेक्कन की पाँच प्रतिशत उड़ानें रद्द रहीं। ट्रूजेट की भी 4.44 प्रतिशत उड़ानें रद्द रहीं। विमान रद्द होने का राष्ट्रीय औसत 2.27 प्रतिशत रहा।
बड़ी विमान सेवा कंपनियों में एयर इंडिया की सबसे ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं। उसकी 3.17 प्रतिशत उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इंडिगो की 2.52 प्रतिशत, जेट लाइट की 2.48 प्रतिशत, जेट एयरवेज की 0.69 प्रतिशत, एयर एशिया की 0.56 प्रतिशत, स्पाइसजेट की 0.47 प्रतिशत, विस्तारा की 0.42 प्रतिशत और गोएयर की 0.30 प्रतिशत उड़ानें रद्द हुईं।
सबसे ज्यादा 50.7 प्रतिशत उड़ानें मौसम संबंधी कारणों से रद्द करनी पड़ी। एक उड़ान रद्द होने के कारण उसी विमान की अगली उड़ान रद्द करनी पड़ती है। इस कारण 39.1 प्रतिशत उड़ानें रद्द हुईं। तकनीकी कारणों से 6.9 प्रतिशत और परिचालन संबंधी कारणों से 1.8 प्रतिशत उड़ानें रद्द हुईं। वाणिज्यिक कारणों से विमान सेवा कंपनियों ने 1.6 प्रतिशत उड़ानें रद्द कीं।