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Sports Minister Rajyavardhan Singh Rathore news-शीशे के सामने खड़े हो तो खुद को ईमानदार देख सको : राज्यवर्धन सिंह राठौड़ - Sabguru News
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शीशे के सामने खड़े हो तो खुद को ईमानदार देख सको : राज्यवर्धन सिंह राठौड़

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शीशे के सामने खड़े हो तो खुद को ईमानदार देख सको : राज्यवर्धन सिंह राठौड़

नई दिल्ली। केंद्रीय खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने खिलाड़ियों को डोपिंग के कलंक से बचने की सलाह देते हुए गुरूवार को कहा कि उन्हें यह देखना होगा कि जब वह खुद को शीशे में देखें तो खुद को ईमानदार महसूस कर सकें।

राठौड़ ने खेल और युवा मामलों के मंत्रालय के सहयोग से नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी और फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय एंटी डोपिंग विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में कहा कि जब हम प्रतिस्पर्धा करते थे तब हमें एक भय रहता था कि कहीं गलती से कुछ गलत न हो जाए। हमने कभी कुछ गलत लिया नहीं इसलिए यह भय बना रहता था। हमारे लिए देश का सम्मान सर्वोपरि है।

खेल मंत्री ने कहा कि हम तो अपना पानी भी फूंक फूंक कर पीते थे। जब मुकाबला बहुत कड़ा हो जाता है तो तमाम आशंकाएं बनी रहती हैं। इसलिए आप खुद भी एलर्ट रहे और अपने साथियों को भी एलर्ट रखें। आप शीशे के सामने खुद को गर्व से देखकर कह सकें कि आप ईमानदार हैं। बेईमानी से जीत का कोई फायदा नहीं क्योंकि आप खुद से नजरें नहीं मिला पाएंगे।

उन्होंने कहा कि आपको हारने से नहीं डरना चाहिए। हारने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है और आप जीवन में मजबूती से आगे बढ़ सकते हैं। खिलाड़ी को अपने जीवन में नकारात्मक चीजों से दूर रहना चाहिए और चुनौती को काबू करना सीखना चाहिए तभी आप चैंपियन बन पाएंगे।

समापन समारोह में विश्व विजेता, ओलम्पिक मेडलिस्ट, राज्यसभा सांसद, बॉक्सिंग खिलाड़ी एमसी मैरीकॉम, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल, भारतीय खेल प्राधिकरण की महानिदेशक नीलम कपूर और कई द्रोणाचार्य अवार्डी उपस्थित थे।

पूरे देश भर से करीब 1000 खेल कूद और शारीरिक शिक्षा के विषय विशेषज्ञ, खिलाड़ी और छात्र-छात्राओं ने सम्मेलन में हिस्सा लिया। पेफ़ी के सचिव पीयूष जैन ने खेल मंत्री का स्वागत किया।

राठौड़ ने मैरीकॉम का उदाहरण देते हुए कहा कि वह तीन बच्चों की मां हैं लेकिन उनकी फिटनेस देखिये। उनके अंदर अब भी देश के लिए कुछ हासिल करने की भूख है। खेल मंत्री ने साथ ही कहा कि भारतीय खिलाड़ियों के दृष्टिकोण में पिछले कुछ वर्षों में काफी बदलाव आया है और अब वे खेलों में पदक जीतने के इरादे से उतरते हैं।

इस अवसर पर नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने कहा कि दो दिन के इस सम्मेलन में इस बात पर गंभीरता से विचार किया गया कि डोपिंग पर कैसे नियंत्रण पाया जा सकता है। पहले नाडा डोपिंग के दोषियों को पकड़ने और उन्हें सजा देने का काम करता था लेकिन फिर हमने महसूस किया कि बहुत कम खिलाड़ी ही ऐसे थे जो जानबूझकर डोपिंग लेते थे जबकि अनजाने और अज्ञानता में इसके शिकार होने वालों की संख्या ज्यादा थी।

अग्रवाल ने कहा कि हमने डोपिंग की रोकथाम करने का सिलसिला शुरू किया और इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। भारत पहले डोपिंग मामलों में दुनिया में तीसरे नंबर पर था लेकिन हमारे प्रयासों से अब यह छठे नंबर पर आ गया है। हम डोपिंग को लेकर जागरूकता फ़ैलाने के काम में पूरी गंभीरता से लगे हुए हैं।

इस अवसर पर हॉकी ओलम्पियन जफ़र इकबाल, द्रोणाचार्य कुश्ती कोच रामफल, हॉकी कोच एके बंसल, पूर्व टेबल टेनिस खिलाड़ी इंदु पुरी और जूडो कोच गुरचरण गोगी ने भी डोपिंग को रोकने पर अपने-अपने विचार रखे।