
अजमेर। पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष्य में जवाहर रंगमंच पर समाजवाद के प्रथम प्रवर्तक भगवान अग्रसेन महाराज के जीवन पर आधारित श्री अग्र भागवत कथा की बुधवार को पूर्णाहुति हुई।
कथा के समापन अवसर पर अग्र कथा मर्मज्ञ आचार्य नर्बदाशंकर गुरूजी ने कहा कि मानव के जीवन में परमात्मा सौभाग्य का अवसर खोलते हैं। भगवान किसी को कम नहीं देते। किसी प्राणी को जगत में भेजने से पूर्व परमात्मा उसके जीवन पर्यन्त की व्यवस्था करके भेजते हैं। परमात्मा अत्यंत दयालु है। परमात्मा प्रत्येक रूप, प्रत्येक परिस्थिति, कर्म और स्वभाव में सुन्दर हैं।
परमात्मा की शरण में आने पर आपके दु:ख समाप्त हो जाते हैं। परमात्मा अत्यंत दयालु हैं और वे सब जीवों पर समान रूप से दया करते हैं। वह हमारी कमियों को जानते हुए भी हमसे प्यार करते हैं।
हम प्रतिदिन अपने अमूल्य जीवन को काम, क्त्रोध, लोभ, मोह व अहंकार से लुटते देख रहे हैं- परंतु सत्य का आभास नहीं करते। अहंकार से बचकर ही हम जीवन को सही मायने में सफल बना सकते हैं, क्योंकि अहंकार में हम अपने वास्तविक स्वरूप से धीरे-धीरे दूर हटने लगते हैं।
दुःख का कारण आसक्ति है। अत्याधिक आसक्ति व्यक्ति को न केवल इस जीवन में अशान्त बनाए रखती है वरन् मृत्यु के बाद भी वह उसी तृष्णा वासना से मनुष्य को घुमाती और बेचैन बनाए रहती है। भारतीय ऋषि आसक्ति मोह के अतिरेक को दूर करने का परामर्श और प्रेरणा सतत् देते रहे हैं ताकि चित्त पर स्मृतियों आसक्तियों का बोझ न रहे और हलके-फुलके होकर यह जीवन भी जिया जा सके और अगले जीवन में भी सहज गति में कोई बाधा न रहे।
कभी जीवन में दुःख आए तो सूर्य भगवान की ओर देखना। उन्हें पता है कि प्रातः उदय होकर दोपहर में यौवन को प्राप्त करना और सायंकाल पुनः अस्त हो जाना है। जैसे वे अपने यौवन काल पर गर्व नहीं करते उसी प्रकार मानव को कभी गर्व नहीं करना चाहिए। अपने घर के सबसे सुन्दर स्थान पर ठाकुर जी का स्थान बनाना चाहिए। इससे ठाकुर जी प्रसन्न होने और इच्छित वर प्रदान करेंगे।
गुरूजी ने कहा कि मां-बाप की सेवा करना सर्वोत्तम धर्म है। सेवा चाहे कैसे भी हो, पर यह सेवा करना हमारा धर्म है और जितना हमारे धर्म का पालन करेंगे, उतना सुख हमें उत्पन्न होगा। बुज़ुर्गों की सेवा से सुख भी उत्पन्न होता है। मां-बाप को सुख दें, तो हमें सुख उत्पन्न होता है। जो अपने मां-बाप को सुखी रखते हैं वे लोग कभी भी दुखी नहीं होते।
माता-पिता भगवान का ही रूप होते हैं। भगवान ने हमारी रक्षा के लिए हमारे माता-पिता को भेजा है। माता-पिता की सेवा भगवान की ही सेवा है। माता-पिता की सेवा से भगवान खुश होते हैं। माता-पिता के क़दमों में स्वर्ग होता है, उनके आशीर्वाद से हमें हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मलेन के अध्यक्ष और हरियाणा में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त हरियाणा व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष गोपालशरण गर्ग ने कहा कि घोर कलयुग में धर्म की रक्षा सहज कार्य नहीं है। संतों की वाणी लङने मात्र से जीवन सफल हो जाता है। अग्र भागवत कथा कलयुग में जीवन जीने के सिद्धांतों की शिक्षा देती है।
आज हर कोई जीवन में अशांति महसूस कर रहा है, ऐसे में पूरी दुनिया को शांति प्रदान करने के लिए अग्र समाज दिशा प्रदान कर सकता है। मानव मात्र का कल्याण करना अग्रवंशियों का कार्य है। अग्रवाल महासम्मेलन धर्म के प्रचार का सघन कार्य कर रहा है। जिसने स्वयं को भगवान के सामने समर्पित कर दिया, उसके सामने सारा संसार समर्पित हो जाता है।
सजाई महाराज अग्रसेन की दिव्य सजीव झांकी
कथा समापन पर जवाहर रंगमंच में महाराज अग्रसेन और महारानी माधवी की दिव्य सजीव झांकी सजाई गई। महाराज अग्रसेन का दिव्य दरबार भी सजाय गया जिसका दर्शन कर श्रद्धालु पुलकित हो उठे। राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने महाराज अग्रसेन का राजतिलक किया और महराजा तथा महारानी जी का आशीर्वाद लिया। कथा के दौरान प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई और विजेताओं को पुरुस्कृत किया गया।