अजमेर। विश्वमित्र दृष्टिबाधित कन्या शिक्षण संस्थान एवं छात्रावास (लाडली घर) तथा सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रबंध समिति की ओर से शास्त्री नगर स्थित भक्त प्रहलाद पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को कथावाचक नीना शर्मा ने ऋषभदेव और जड़ भरत के प्रसंग सुनाए।
उन्होंने कहा कि भारत देश कर्मशील लोगों की भूमि है बाकी विश्व तो भोग भूमि के समान है। भवसागर से पार लगाने वाले गुरु होते हैं। ज्ञान भोग के लिए नहीं होता वरन यह तो भगवान के लिए होता है, ज्ञान के जरिए भगवान की प्राप्ति संभव है।
भगवान तो जगत के हर जीव में विद्यमान है, समझने की बात यह है कि शरीर को जो कष्ट या दुख महसूस होता है वह आत्मा को नहीं होता क्योंकि आत्मा निर्लप्त है। आत्मा हमें परमात्मा से मिलाती है जबकि शरीर तो पंचतत्व में मिल जाता है।
यह संसार मन की कल्पना मात्र है। मन विकृत होने पर बुद्धि रूपी इन्द्री कलुषित हो जाती है। पाप बढने लगता है। जितने पाप करेंगे उतने ही नरक भोगने पडेंगे। जीव का मन सुधर जाए तो आत्मा को मुक्ति मिल जाती है। जीवन में कभी कष्ट से सामना हो तब भी भगवान के प्रति आस्था और विश्वास नहीं डिगना चाहिए। मन की शुद्धि के लिए संतों का सम्मान और महापुरुषों का गुणगान करो।
कथावाचक दीदी ने भगवान ऋषभदेव व शिव के बीच समानता को भागवत महापुराण के जरिए रेखांकित करते हुए कहा कि शिव और ऋषभदेव दोनों एक ही हैं। दोनों ही योगी हैं, दोनों को केवल्य ज्ञान यानी मोक्ष प्राप्त है। ऋषभदेव का निर्वाण स्थल कैलाश पर्वत था तो शिव का निवास स्थान भी कैलाश पर्वत है। शिव मोक्ष के दाता है तो शिवलिंग मोक्ष का स्थान है। भगवान ऋषदेव के स्थान पर शिवलिंग जैसी अनुभूति होना स्वाभाविक है।
लाडली घर की दृष्टिबाधित कन्याओं ने कराए देव दर्शन
विश्वमित्र दृष्टिबाधित कन्या शिक्षण संस्थान एवं छात्रावास (लाडली घर) की छात्राओं के कल्याणर्थ चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रीमद् भागवत कथा के दौरान दृष्टिबाधित नन्हीं बच्चियों ने देवताओं के स्वांग रचे तथा नारद, महिषाषुर, भक्त प्रहलाद सरीके देवताओं की पांडाल में मौजूदगी का अहसास कराया।
राष्ट्रसंत डॉ कृष्णानंद गुरुदेव ने भागवत कथा का महात्म्य भक्त प्रहलाद व भगवान नृसिंह के माध्यम से भक्त व भगवान के बीच के पवित्र रिश्ते को समझाया। उन्होंने कहा कि प्रेम, करुणा व अनुराग हो तो आपके समक्ष भगवान स्वयं ही प्रकट हो जाते हैं।