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सुख और दुख तो जीव के कर्मों का फल : रमणराम महाराज - Sabguru News
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सुख और दुख तो जीव के कर्मों का फल : रमणराम महाराज

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सुख और दुख तो जीव के कर्मों का फल : रमणराम महाराज

अजमेर। ईश्वर ने तो किसी को दुख देता है और न ही सुख, ये दोनों तो जीव को खुद के कर्मों के अनुसार भोगने होते हैं। ठाकुरजी तो सब पर समान कृपा दृष्टि रखते हैं।

ये विचार तोपदडा स्थित गढवाल पैलेस में चल रही सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा महायज्ञ के तीसरे दिन रामस्नेही युवा संत रमणराम महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में सब कुछ संभव है, जरूरत है दृढ इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास की। ये दोनों मार्ग ध्येय की तरफ ले जाते हैं और उत्साहवर्धन करते हैं।

श्रीहरि के प्रति पूर्ण विश्वास और दृझ संकल्प से ही भक्त अपने इष्ट के दर्शन पाते हैं। महाराज ने श्रीमदभागवत कथा में जडभरत, अजामिल कथा, नृसिंह अवतार, प्रहलाद चरित्र के प्रसंगों का वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भक्तिभाव पर विचार व्यक्त किए।

महाराज ने प्रभु की भक्ति और भाव के भजनों की प्रस्तुति दी तो कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालू भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।

कथा के दौरान मोहनलाल साबू, विजय भाई, निर्मल गर्ग, गोपाल शर्मा, भंवरलाल सांखला, बसंत भट्ट और महिला मंडल में किरण गढवाल, विमला कुमावत, सावित्री सोनी, विमला चौहान, गोमा बाई समेत समिति सदस्य मौजूद रहे।