
अजमेर। जीव का संकल्प शुद्ध हो तो परमात्मा उसे पूरा करते हैं। अभिमान और भगवान में कभी नहीं बनती। भगवान को पाने के लिए अभिमान त्यागना होगा। जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करते हैं। ये बात रामस्नेही संत रमणराम महाराज ने श्रीमद भागवत कथा महायज्ञ के दौरान कही।
तोपदडा स्थित गढवाल पैलेस में आयोजित कथा में उन्होंने कहा कि रुक्मणी का संकल्प शुद्ध था और वह तन, मन से भगवान कृष्ण को अपना मान चुकी थी। उसकी मनोभावना और दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते द्वारकाधीश को उससे विवाह करने के लिए आना पड़ा।
महाराज ने रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुकमणी के भाई रुकमि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी।
महाराज ने कहा कि शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण सत्य मार्गी हैं इसलिए वे असत्य को नहीं सत्य को अपनाएंगे अंत भगवान द्वारकाधीश ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पत्नी के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया।
कृष्ण बारात में उमडे भक्त
तोपदड़ा अंधेरी पुलिया शिव मंदिर से भगवान कृष्ण की घोड़ी और बैण्ड और बाजों के साथ बारात निकाली गई जिसमें सैकड़ों स्त्री पुरुष और बाल गोपाल व बुजर्ग नाचते गाते चल रहे थे। बारात का कई जगह पर स्वागत किया। पाण्डाल में बारात आने पर भगवान कृष्ण का स्वागत किया गया। पंडित राकेश शर्मा ने वैदिक मंत्रों के बीच भगवान कृष्ण रुकमणि का विवाह संपन्न कराया। पाण्डाल में श्रद्धालुओं ने एक दूसरे को विवाह की बधाई दी।
रुक्मणी विवाह प्रसंग पर प्रसिद्ध महाराज ने भजन आज मुझे ब्हाणे द्वारकाधीश आए हैं… आज मेरे कृष्ण की शादी है…. आदि की प्रस्तुति दी तो माहौल शादी के मंडप जैसा हो गया। इस दौरान महिलाओं ने विवाह प्रसंग पर जमकर नृत्य किया। कथा के पश्चात महाआरती की गई और श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
इस दौरान राजस्थान ब्राह्मण महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष निर्मला शर्मा, प्रदेश सचिव संध्या शर्मा, महासचिव केडी शर्मा, अंजू गौड़, मिथलेश शर्मा, मंजू ओझा व समस्त महासंघ परिवार के सदस्य मौजूद थे।