सबगुरु न्यूज़| हिमाचल प्रदेश खूबसूरत वादियों के साथ यह धर्म और मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहां एक ऐसा मंदिर है, जिसका निर्माण महाभारत काल में पांडवों ने किया था। इस मंदिर का नाम बाथू की लड़ी है।यह मंदिर साल के आठ महीने पानी में डूबा रहता है और सिर्फ चार महीने ही नजर आता है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाली कस्बे से करीब आधा घंटे की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में स्वर्ग की 40 सीढ़ियां हैं। इस मंदिर तक पहुंचने का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। गग्गल हवाई अड्डे से इस मंदिर की दूरी की डेढ़ घंटे की है। पर्यटक रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे से ज्वाली पहुंच सकते हैं, जहां से इस मंदिर की दूरी 37 किमी की है। इस मंदिर में केवल मई-जून में ही जा सकते हैं। बाकी महीने यह मंदिर पानी में डूबा रहता है।
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इस मंदिर के निर्माण में लगे पत्थर को बाथू का पत्थर कहा जाता है। इस मंदिर में आठ मंदिर है, जो दूर से देखने पर एक माला में पिरोए प्रतीत होते हैं इसीलिए इस मंदिर को बाथू की लड़ी (माला) कहा जाता है। ये मंदिर 5000 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान शिव की पूजा करने क् लिए किया था।
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इस मंदिर में ही पांडवों ने स्वर्ग जाने की सीढ़ियां बनाई थीं। अज्ञातवास के समय पांडवों ने यहां स्वर्ग में जाने के लिए सीढ़ी बनाने का फैसला किया। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से गुहार लगाई और कृष्ण ने छ महीने की एक रात कर दी। लेकिन फिर भी स्वर्ग की सीढ़ियां नहीं तैयार हुईं।
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