नई दिल्ली। राज्यसभा के शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद अब विवादास्पद तीन तलाक विधेयक का भाग्य संसद के बजट सत्र के खाते में चला गया है। बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू हो रहा है। सरकारी सूत्रों ने इस बात से इनकार किया कि राज्यसभा में अटके इस विधेयक को लेकर अध्यादेश जारी हो सकता है।
लोकसभा में पारित यह विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। राज्यसभा में विपक्ष ने इस विधेयक को जांच-परख के लिए प्रवर समिति को भेजने की मांग की।
संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 को पारित करने पर राजी होंगे। विधेयक में एक ही बार में पत्नी को तीन तलाक कहकर विवाह संबंध विच्छेद करने वाले मुस्लिम पुरुषों के लिए तीन साल के दंड का प्रावधान है।
विधेयक पारित नहीं होने की स्थिति में अध्यादेश लाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर अनंत कुमार ने कोई साफ जवाब नहीं देते हुए कहा कि बजट सत्र के तारीखों का ऐलान पहले ही किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर जनभावना को समझेगी, अपने रुख पर पुनर्विचार करेगी और बजट सत्र में इसे पारित कराएगी। इस मुद्दे पर लोगों में गुस्सा है।
मंत्री ने विधेयक को पारित न होने देने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वे भारत में मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के खिलाफ हैं।
कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का विरोध किया है। कुमार ने कहा कि सरकार इस विधेयक को पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
कुमार ने कहा कि मोदी सरकार का इरादा बिलकुल साफ है। हम मुस्लिम महिलाओं के लिए समानता और सम्मान चाहते हैं जबकि कांग्रेस इसके खिलाफ है। उन्होंने अपना दोहरा मानदंड दिखाया है।