Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
स्टार किड्स में कोई हुआ सुपरहिट तो कोई मिसफिट - Sabguru News
होम Entertainment Bollywood स्टार किड्स में कोई हुआ सुपरहिट तो कोई मिसफिट

स्टार किड्स में कोई हुआ सुपरहिट तो कोई मिसफिट

0
स्टार किड्स में कोई हुआ सुपरहिट तो कोई मिसफिट

मुंबई। बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) के कारण स्टार किड्स को इंडस्ट्री में आसानी से इंट्री ने कई को स्टारडम की बुलंदियों पर पहुंचाया लेकिन बावजूद इसके कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें शुरूआती दौर में सफलता तो जरूर मिली लेकिन वे इसे बरकरार रखने में असफल रहे।

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में जहां एक तरफ स्ट्रगलर्स अपने दम पर कुछ बनने की कोशिश करते हैं। वहीं, मशूहर सितारों के बच्चे भी यहां भाग्य आजमाते हैं। कुछ स्टार्स का इतिहास यह भी रहा है कि जो अपने माता-पिता के स्टारडम के दम पर बॉलीवुड में आए ,लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए।

स्टारकिड होना न अपने आप मे खूबी है न खामी लेकिन यह सच है कि किसी आम इंसान की तुलना में स्टारकिड को फिल्मों में आसानी से ब्रेक मिल जाता है। स्टॉरकिड को सामने आम नायक की तुलना में अधिक कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि दर्शकों को उनसे ज्यादा उम्मीद होती है और उसकी तुलना दर्शक उसके पिता या मां से करने लगते हैं।

बॉलीवुड में स्टारकिड्स का सिलसिला काफी पहले से ही चल रहा है। स्टारकिड के फिल्म इंडस्ट्री में आगमन का सिलसिला सबसे पहले अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के पुत्र राजकपूर के आने से शुरू हुआ था। पृथ्वीराज कूपर यदि चाहते तो वह राजकपूर को फिल्म इंडस्ट्री से आसानी से ब्रेक दे सकते थे लेकिन उन्होंने संघर्ष को अधिक महत्व देते हुए राजकपूर को सलाह दी कि वह खुद अपने पैरो पर खड़ा हो इसलिये उन्होंने राजकपूर को निर्माता केदार शर्मा के क्लैपर ब्वॉय के रूप में काम करने की सलाह दी।

बाद में राजकपूर अपनी मेहनत के बदौलत फिल्म इंडस्ट्री के शो मैन कहलाए। इसी तरह पृथ्वी राज कपूर के दो अन्य पुत्र शम्मी कपूर और शशि कपूर ने भी अपने प्रयास से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। बॉलीवुड अभिनेत्री और फिल्मकार शोभना समर्थ ने फिल्म हमारी बेटी से अपनी बेटी नूतन और फिल्म छबीली से तनुजा को लांच किया और दोनों ही अभिनेत्रियों ने सफलता का परहचम लहराया।

सत्तर के दशक में राजकपूर ने अपने पुत्र रणधीर कपूर को वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म कल आज और कल के जरिये लांच किया। रणधीर कपूर ने न सिर्फ बतौर अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया बल्कि फिल्म का निर्देशन भी किया। रणधीर ने कुछ सफल फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध भी किया लेकिन उन्हें अपने भाई ऋषि कपूर जैसी सफलता नहीं मिली।

फिल्म कल आज और कल के बाद रणधीर कपूर ने धरम करम, हिना का निर्देशन किया साथ ही फिल्म प्रेमग्रंथ और आ अब लौट चले जैसी फिल्मों का निर्माण किया लेकिन इनमें हिना को छोड़कर कोई भी फिल्म कामयाब नही हो सकी इसको देखते हुए रणधीर कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। वहीं, राजकपूर ने पुत्र ऋषि कपूर को वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म बॉबी के जरिये फिल्म इंडस्ट्री में ब्रेक दिया।

युवा प्रेम कथा पर बनी फिल्म बॉबी ने न सिर्फ सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये साथ ही बतौर अभिनेता ऋषि कपूर को भी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। ऋषि ने अपने दमदार अभिनय से चार दशक से अधिक समय तक दर्शकों के बीच अमिट पहचान बनाई।

राजकपूर के तीसरे पुत्र राजीव कपूर ने भी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर अभिनेता अपनी पहचान बनाने का प्रयास किया। अपने पुत्र को इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए राजकपूर ने वर्ष 1985 में फिल्म राम तेरी गंगा मैली का निर्माण किया। फिल्म राम तेरी गंगा मैली बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट भी हुई और राजीव के अभिनय को भी दर्शकों द्वारा सराहा गया लेकिन इसके बाद राजीव ने जितनी भी फिल्मों में काम किया वह सफल नहीं रही। इससे निराश होकर राजीव कपूर ने भी बतौर अभिनेता काम करने से तौबा कर ली।

फिल्मों मे स्टारसन्स का दौर पुन: अस्सी के दशक मे सबसे अधिक प्रचलित हुआ। इस दौर में जुबली कुमार राजेन्द्र कुमार के साहेबजादे कुमार गौरव, सुनील दत्त के पुत्र संजय दत्त और धमेन्द्र के सुपुत्र सन्नी देओल फिल्मी पर्दे पर नायक के तौर पर अवतरित हुए। राजेन्द्र कुमार ने अपने पुत्र कुमार गौरव को स्थापित करने के लिए फिल्म लव स्टोरी का निर्माण किया।

रोमांटिक फिल्म लव स्टोरी की कामयाबी के बाद कुमार गौरव फिल्म इंडस्ट्री में चॉकलेटी हीरो के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे लेकिन कुछ अरसे बाद वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी कामयाबी को बरकरार नहीं रख सके।

वर्ष 1986 में अपने पुत्र को फिल्म इंडस्ट्री में दुबारा स्थापित करने के उद्देश्य से उन्होंने फिल्म नाम का निर्माण किया। फिल्म नाम ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता दर्ज की लेकिन फिल्म की सफलता का सारा श्रेय अभिनेता संजय दत्त ले गए और कुमार गौरव को कुछ खास फायदा नही हुआ। इस बीच कुमार गौरव फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे।अपने पुत्र को कामयाब बनाने के लिए राजेन्द्र कुमार ने वर्ष 1993 में फिल्म फूल का निर्माण किया लेकिन इस बार भी सफलता उनसे कोसों दूर रही।

अस्सी के दशक में ही संजय दत्त और सन्नी देओल ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने के लिए रूख किया। धमेन्द्र ने अपने पुत्र सन्नी को स्थापित करने के लिए फिल्म बेताब का निर्माण किया। फिल्म की सफलता के बाद सन्नी ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना ली वही सुनील दत्त के पुत्र संजय दत्त भी वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म रॉकी की सफलता के बाद से आज भी अपने सदाबहार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज कर रहे है।

इसी दशक में शशि कपूर के दो बेटे कुणाल कपूर और करण कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री मे बतौर अभिनेता अपनी किस्मत आजमानी चाही लेकिन वे फिल्म इंडस्ट्री में कब आए और कब चले गये यह पता ही नही चला। यही हाल देवानंद के बेटे सुनील आनंद, मनोज कुमार के सुपुत्र कुणाल गोस्वामी का भी रहा। अस्सी के दशक के अंतिम वर्षो में सलीम खान के पुत्र सलमान खान और फिल्मकार ताहिर हुसैन के पुत्र आमिर खान ने बॉलीवुड में कदम रखा और सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए।

नब्बे के दशक में धमेन्द्र के ही सुपुत्र बॉबी देओल, शर्मिला टैगोर के सुपुत्र सैफ अली खान ने फिल्म इंडस्ट्री मे कदम रखा। बॉबी देवोल को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए वर्ष 1995 में धमेन्द्र ने अपने बैनर तले फिल्म बरसात का निर्माण किया। हालांकि फिल्म सफल नहीं रही बावजूद इसके बॉबी दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे।

नब्बे के दशक में ही फाइट मास्टर वीरू देवगन के पुत्र अजय देवगन, तनुजा की पुत्री काजोल, रणधीर कपूर-बबीता की पुत्री करिश्मा कपूर, फिल्मकार रवि टंडन की पुत्री रवीना टंडन ने बॉलीवुड में अपनी-अपनी पारी की शुरूआत की और सफलता का परचम लहराया। वहीं, इसी दशक में राजकुमार के पुत्र पुरू राजकुमार, कबीर बेदी की पुत्री पूजा बेदी, राजेश खन्ना और डिंपल कपाडि़या की बिटिया टिंवकल खन्ना और रिंकी खन्ना, अमजद खान के साहबजादे शादाब खान, अजित के पुत्र अरबाज अली खान ने भी अपनी पारी की शुरूआत की लेकिन सफल नहीं रहे।

2000 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में स्टार सन के आगमन की बाढ़ सी आ गई। इस दशक में सबसे ज्यादा स्टार सन ने फिल्म इंडस्ट्री में रूख किया। इनमें अमिताभ बच्चन के पुत्र अभिषेक बच्चन, राकेश रौशन के पुत्र ऋतिक रौशन, जीतेन्द्र के पुत्र तुषार कपूर, सुरेश ओबेराय के पुत्र विवेक ओबेराय, फिरोज खान के पुत्र फरदीन खान, संजय खान के पुत्र जायेद खान, विनोद खन्ना के दो पुत्र अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना, राजबब्बर के पुत्र आर्यन बब्बर और प्रतीक बब्बर, मिथुन चक्रवर्ती के सुपुत्र मिमोह चक्रवर्ती भी नायक के तौर पर फिल्मो में आए।

इसके अलावा रणधीर कपूर की पुत्री करीना कपूर, माला सिन्हा की सुपुत्री प्रतिभा सिन्हा तथा शर्मिला टैगोरी की पुत्री सोहा अली खानने भी इंडस्ट्री में कदम रखा। इन कई स्टारकिड्स में कई ऐसे रहे जो शुरूआती सफलता के बाद फिल्म इंडस्ट्री में अपना सिक्का जमाने में कामयाब नहीं हो सके।

वर्ष 2000 में अपने पुत्र को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिये निर्माता-निर्देशक राकेश रौशन ने फिल्म कहो ना प्यार है का निर्माण किया। फिल्म कहो ना प्यार है की सफलता के बाद ऋतिक रौशन दर्शकों के दिल की धड़कन बन गए। इसके बाद उन्होंने अपने अभिनय के जादू से दर्शको का मन मोहे रखा। 2000 के दशक में ही ऋतिक रौशन की तरह ही फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन का फिल्म इंडस्ट्री में आगमन हुआ।

सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के पुत्र होने के कारण फिल्म जगत और दर्शकों को उनसे काफी उम्मीदें थी लेकिन अपने करियर के शुरूआती दौर में अभिषेक बच्चन की फिल्में एक के बाद एक फ्लाप होती गई। वर्ष 2004 में प्रदर्शित फिल्म युवा के जरिये अभिषेक ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना ली। इसके बाद अभिषेक ने बंटी और बबली, धूम, धूम 2, धूम 3, गुरू जैसी कई कामयाब फिल्मों में काम किया लेकिन वह अपने पिता अमिताभ की तरह सफल नहीं हो सके।

इसी दौर में अन्य स्टार सन्स अभिनेताओं में फरदीन खान, अक्षय खन्ना, विवेक ओबेराय, और तुषार कपूर शुरूआती दौर की सफलता को बरकरार नहीं रख सके वहीं अरबाज अली खान,राहुल खन्ना, पुरू राजकुमार, शादाब खान, आर्यन बब्बर, मिमोह चक्रवर्ती जैसे स्टार सन कब आए और कब गए यह पता ही नही चला।

इसी दशक में धर्मेन्द्र हेमा की बिटिया इशा देओल, शुत्रुध्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा और पुत्री सोनाक्षी सिन्हा, ऋषि कपूर के पुत्र रणबीर कपूर, अनिल कपूर की पुत्री सोनम कपूर, तनुजा की पुत्री तनीषा मुखर्जी, दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार कमल हसन की साहबजादी श्रुति हसन, शेखर सुमन के पुत्र अध्यमान सुमन, मुकेश के पौत्र नील नितिन मुकेश, अनुपम खेर के पुत्र सिकन्दर खेर, राज बब्बर की पुत्री जूही बब्बर, नसीरउद्दीन साह के पुत्र विवन शाह और इमाद शाह, शक्ति कपूर की सुपुत्री श्रद्धा कपूर ने भी बालीवुड में अपना पर्दापण किया।

हाल के वर्षो में जैकी श्राफ के पुत्र टाइगर श्राफ, सुनील शेट्टी की पुत्री अथिया शेट्टी, आदित्य पंचोली के पुत्र सूरज पंचोली, कमल हसन की पुत्री अक्षरा हसन, गोविन्दा की पुत्री नर्मदा, अनिल कपूर के पुत्र हर्षवर्धन कपूर, विनोद मेहरा के पुत्र रोहन मेहरा, सनी देओल के पुत्र करण देओल, श्रीदेवी और फिल्मकार बोनी कपूर की बड़ी बेटी जाह्नवी कपूर, सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान, पूजा बेदी की बेटी आलिया फर्नीचरवाला, चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे, पदमिनी कोल्हापुरी के पुत्र प्रियांक शर्मा, रवि किशन की बेटी रीवा किशन समेत कई स्टार किड्स ने कदम रखा जो इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं।