Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
State govt order to probe of Devsthan board sirohi working - Sabguru News
होम Sirohi Aburoad सिरोही जिला कलक्टर को देवस्थान बोर्ड के जांच के आदेश, खुल सकेगी मंदिरों के विकास की राह

सिरोही जिला कलक्टर को देवस्थान बोर्ड के जांच के आदेश, खुल सकेगी मंदिरों के विकास की राह

0
सिरोही जिला कलक्टर को देवस्थान बोर्ड के जांच के आदेश, खुल सकेगी मंदिरों के विकास की राह
sarneshwer temple sirohi
sarneshwer temple sirohi

सबगुरु न्यूज-सिरोही। देवस्थान बोर्ड ने सिरोही के देवस्थान बोर्ड की जांच के आदेश जिला कलक्टर को दिए हैं। विधायक संयम लोढ़ा द्वारा विधानसभा में 19 जुलाई को पर्ची के माध्यम से सिरोही जिले के मंदिरों में जनसुविधाओं के अभाव व जिला कलक्टरों की रिपोर्टों पर कार्रवाई के संबंध में उठाए गए मामले के बाद देवस्थान मंत्री ने विधानसभा में इस जांच की घोषणा की थी।

इसके बाद 13 अगस्त को केसरलाल मीणा ने जिला कलक्टर को राजस्थान लोक न्यास अधिनियम 1959 की धारा 48 के तहत जिला कलक्टर को 45 दिनों में यह जांच करके देने के आदेश दिए हैं।
-क्या होगा इस जांच से?
राजस्थान लोक न्यास अधिनियम 1959 की धारा 48 के तहत राज्य सरकार को राजस्थान की न्यासों (ट्रस्टों) की कार्यप्रणाली की जांच के अधिकार हैं। यदि इस जांच में वाकई ट्रस्ट द्वारा नियमों की पालना में अनदेखी या अनियमितता पाई जाती है तो ऐसे न्यासों को भंग करने का अधिकार है।

ऐसे में राज्य सरकार न्यास के अधीन संस्थानों व संपत्तियों की देखरेख के लिए स्थानीय स्तर की समितियां बनाने का अधिकारी भी रखती हैं। यदि सिरोही देवस्थान बोर्ड में वाकई नियम पालना में कमी पाई जाती है तो इसे भंग करके इसके अधीन आने वाले सिरोही के सारणेश्वर मंदिर, मूंगथला के मंदिर, माउण्ट आबू के अधर देवी और अचलगढ़ मंदिर, आबूरोड के ऋषिकेश स्थित भद्रकाली व विष्णु मंदिर जैसे जिले के बड़े मंदिरों विकास के लिए स्थानीय स्तर की समितियां बनाई जा सकती हैं जो मंदिरों में जनसु्िरवधाओं को विकास कर सकती हैं।
-ड्यू कोर्स में पडी हैं तीन जनहित याचिकाएं
राजस्थान विधानसभा में लोढ़ा के सवाल के लिखित जवाब में देवस्थान मंत्री ने बताया था कि सिरोही के देवस्थान बोर्ड से मंदिरों के विवाद की तीन जनहित याचिकाएं राजस्सथान उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं।
1. एस. बी. सिविल रिट नं. 2628/2013 रिडमल सिंह व अन्य बनाम राज्य सरकार व अन्य देवस्थान बोर्ड ट्रस्ट सिरोही से संबंधित है। प्रकरण में आगामी दिनांक 17.7.2019 है। इस प्रकरण में आफिसर इन्चार्ज सहायक आयुक्त, देवस्?थान विभाग, जोधपुर है। यह याचिका सन 2013 से विचाराधीन है।
2. सिविल रिट (पी.आई.एल.) संख्या 4929/2003 कैलाश वोरा व अन्य बनाम राज्य सरकार व अन्य विचाराधीन है। जो देवस्थान बोर्ड सिरोही से संबंधित है। प्रकरण में याचिका ड्यू कोर्स में लम्बित है । इस प्रकरण में ऑफिसर इन्चार्ज सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग, जोधपुर है।
3 एस. बी. सिविल रिट याचिका संख्या 1800/2003 देवस्थान बोर्ड सिरोही बनाम राज्य सरकार माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में विचाराधीन है। वर्तमान में रिट याचिका ड्यू कोर्स में लम्बित है। उक्त रिट याचिका में प्रभारी अधिकारी पर्यटन अधिकारी स्वागत केन्द्र, आबूपर्वत/अतिरिक्त जिला कलक्टर, सिरोही नियुक्त है।
-जिला कलक्टर ने मंदिरों की स्थिति के लिए भेजेे हैं पत्र
लोढ़ा के लिखित सवाल के जवाब में देवस्थान मंत्री ने बताया कि सिरोही के देवस्थान बोर्ड के अधीन मंदिरों की स्थिति को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशों व अन्य जांचों के आधार पर जिला कलक्टर ने समय समय पर पत्र भी दिए। इसमें बताया गया कि 27 जनवरी 2001 को लिखे पत्र में जिला कलक्टर ने मधुसूदन मंदिर समेत सिरोही देवस्थान बोर्ड के अधीन आने वाले 51 मंदिरों की सपत्ति के दुरुपयोग के लिए देवस्थान विभाग के उपशासन सचिव को पत्र लिखा था, जिसमें मंदिरों की आय को बोर्ड द्वारा व्यक्तिगत हित में इस्तेमाल करने का लिखा गया था।

इसमें राजस्थान लोक न्यास अधिनियम की धारा 48 के तहत न्यास की आय-व्यय की जांच प्रशासनिक अधिकारी द्वारा करवाने तथा धारा 52 व 53 के तहत धर्मावलंबियों की समिति गठित करके इन मंदिरों को बोर्ड के चंगुल से मुक्त करवाने का अनुरोध किया था। इसी तरह 8 अगस्ता 2001, 20 जुलाई 2001, 5 जून 2004, 12 जुलाई 2004, 28 सितम्बर 2004 को भी राज्य सरकार को पत्र लिखे गए थे। 25 सालों से निरतंर राज्य सरकारों को लिखे गए पत्रों के आधार पर अब राज्य सरकार ने जिला कलक्टर से देवस्थान बोर्ड सिरोही के आय-व्यय की जांच के आदेश दिए हैं।