सीकर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इंदिरा गांधी नहर का पूरा पानी लेने को राजस्थान सरकार के अधिकारी तैयार नहीं है। राज्य सरकार नहरों की मरम्मत के लिए दिए धन का उपयोग भी नहीं कर रही है।
शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य को मिलने वाले पानी को लेकर शेखावत ने कहा कि हमने राजस्थान, पंजाब, हरियाणा की सरकारों और भाखड़ा-व्यास मैनेजमेंट बोर्ड को पत्र लिखा कि आप जितना पानी चाहते हैं, उतना पानी उठाएं, क्योंकि इस बार जितनी बारिश हुई है, जितनी बर्फ गिरी है, यदि इसे नहीं लिया तो हमें पानी नदी में छोड़ना पड़ेगा।
दुर्भाग्य यह है कि राजस्थान सरकार के अधिकारी इसके लिए तैयार नहीं हैं। इस बाबत जब दिल्ली में बैठक बुलाई थी, लेकिन राजस्थान से सिंचाई विभाग के मुखिया उसमें नहीं आए। मैं मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से लिखित में विरोध दर्ज कराया था। मैंने लिखा था कि राज्य के हितों की अनदेखी आप सब मिलकर कर रहे हो।
नहर से राजस्थान को उसके हिस्से का पानी मिलना चाहिए। इस पर किसानों और जनता का अधिकारी है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने राजस्थान सरकार को नहरों की मरम्मत के लिए जितना पैसा दिया गया था, उसका उपयोग भी राज्य सरकार नहीं कर पा रही है। समस्या पानी की नहीं, समस्या यह है कि नहरों में गाद के कारण उसकी क्षमता 40 प्रतिशत घट गई है।
राजस्थान को उसके हिस्से का पानी क्यों नहीं मिल रहा है, के सवाल पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि यमुना के पानी को लेकर राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और हरियाणा सरकार ने बीच एमओयू हुआ था। उस एमओयू के आधार पर 22 हजार करोड़ रुपए की योजना बनी थी, ताकि हथनीकुंड बैराज से लेकर सीकर, झुंझुनू और चूरू जिले की 2 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सके। इन जिलों में पीने का पानी मिल सके।
उस योजना पर कुछ बिंदु केंद्रीय जल आयोग ने लगाकर भेजे थे, ताकि नई तकनीक के पाइपों को लगाया जा सके, जिससे योजना की लागत कम हो जाएगी, लेकिन राजस्थान के इंजीनियर्स का मत है कि डक्टल पानी ही लगाए जाएं। चूंकि यह राज्य की योजना है, राज्य को अपने संसाधनों से पूरी करनी है, इसलिए राज्य की सरकार फैसला करे।
हमारा काम केवल तकनीकी आधार पर सलाह देने का था। यदि राज्य सरकार प्लेटियम का पाइप बनाकर पानी पहुंचाना चाहे तो भी हमें आपत्ति नहीं है। दुर्भाग्य यह है कि 15 महीने से गहलोत सरकार उस फाइल को दबाकर बैठी है। इसके अलावा जितनी राजस्थान की पानी की परियोजनाएं हैं, उनमें एक भी परियोजना को दिल्ली वापस भेजने का कष्ट इस सरकार ने नहीं किया है।
नदियों को जोड़ने की परियोजना पर शेखावत ने कहा कि अटल बिहारी सरकार के समय नदियों को जोड़ने को लेकर आयोग बना था, लेकिन दस साल तक यूपीए की सरकार ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। हमें पिछले छह साल में उसका अध्ययन करके 31 लिंक चिह्नित किए हैं। उनकी तकनीकी रिपोर्ट तैयार की हैं। इस दिशा में संवैधानिक स्वीकृतियों को लेने की दिशा में काम प्रारंभ हो चुका है।
लेकिन, राज्यों को स्वस्थ्य मानसिकता से साथ बैठकर समझौता करना चाहिए। इसमें केंद्र सरकार किसी तरह का आदेश जारी नहीं कर सकती। राज्य ही साथ बैठकर इस पर काम करेंगे। संविधान ने पानी को राज्य के विषय में रखा है। इसे परिवर्तित करना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उन्होंने कहा कि आगामी तीन-चार माह में देश में नदियों को जोड़ने का काम प्रारंभ होने का शुभ समाचार मिलेगा।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि राज्य में तत्कालीन भाजपा सरकार के समय ईस्टर्न कैनल प्रोजेक्ट बनाया गया था, ताकि मध्य प्रदेश के कैटमेट में जो राजस्थान के हिस्से का पानी है, उससे पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने का पानी मिल सके। बीसलपुर से लेकर इसरदा और धौलपुर तक पानी ले जाने की योजना थी, लेकिन राज्यों में आपस में सहमति नहीं है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। दोनों साथ बैठकर क्यों नहीं समझौता कर रहे हैं।