नई दिल्ली। कानून व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस की सहायता करने वाले होम गार्डों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम ड्यूटी भत्ते मिलने पर संसद की एक समिति ने राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की कड़ी आलोचना की है।
गृह मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की राज्यसभा में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि होम गार्डों को पुलिस कर्मियों के न्यूनतम वेतन के समान ड्यूटी भत्ता देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश को केवल पांच राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने ही लागू किया है।
समिति ने इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया है कि गुजरात, तमिलनाडु और त्रिपुरा जैसे राज्यों में होम गार्डों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम भुगतान किया जाता है। तमिलनाडु सरकार होम गार्ड को प्रतिदिन 150 रुपये, त्रिपुरा 159.25 रुपये और गुजरात 200 रुपये का भुगतान करता है।
मणिपुर होम गार्ड को प्रति माह केवल 4000 रुपए का भुगतान करता है। जम्मू कश्मीर में एक वर्ष में 90 दिन के लिए प्रतिदिन 60 रुपये और 60 दिन के लिए प्रतिदिन 135 रुपये का भुगतान करता है। केवल पांच राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, नागालैंड और पंजाब ने ही सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन किया है।
गृह मंत्रालय की आेर से समिति को बताया गया कि वह वर्ष 2015, 2016 और 2017 में राज्यों को पत्र लिख कर न्यायालय के आदेश को लागू करने के लिए कह चुका है लेकिन राज्यों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है।
मंत्रालय की आेर से समिति को बताया गया है कि कुछ राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों ने तो उसके पत्र का जवाब तक नहीं दिया है। समिति ने राज्य सरकारों के इस रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि गृह मंत्रालय के अधीन केन्द्र शासित प्रदेशों का इस तरह का ढीला ढाला रूख उचित नहीं है।
समिति का मानना है कि यह चिंताजनक स्थिति है और गृह मंत्रालय यह सुनिश्चित करे कि सभी राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेश उच्चतम न्यायालय के आदेश को पूरी तरह लागू करे जिससे कि होम गार्डों के ड्यूटी भत्ते में देश भर में एकरूपता लाई जा सके।
समिति ने मंत्रालय से सिफारिश की है कि वह उसके पत्र का जवाब नहीं देने वाले राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को फिर से पत्र लिखे और उनसे जवाब नहीं देने का कारण पूछे।
समिति ने कहा है कि गृह मंत्रालय इन राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को स्मरण पत्र भेजकर न्यायालय के आदेश को बिना किसी देरी के लागू करने को कहे। उसने कहा है कि यदि राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेश 6 महीने के भीतर इस आदेश को लागू नहीं करते हैं तो गृह मंत्री को राज्यों के संबंधित मंत्रियों की बैठक बुलानी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार अभी दिल्ली सरकार होम गार्ड को प्रतिदिन 528 रुपए, हिमाचल प्रदेश 600, मध्य प्रदेश 568, नागालैंड 520 और पंजाब 1100 रुपए का भुगतान करता है।