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राज्य बनाएं रीवर मैनेजमेंट अथॉरटीज : गजेन्द्र सिंह शेखावत - Sabguru News
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राज्य बनाएं रीवर मैनेजमेंट अथॉरटीज : गजेन्द्र सिंह शेखावत

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राज्य बनाएं रीवर मैनेजमेंट अथॉरटीज : गजेन्द्र सिंह शेखावत

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने नदी और भूजल लेकर बताईं केंद्र की योजनाएं
जोधपुर/जयपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि राज्यों को रीवर मैनेजमेंट अथॉरटीज बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन केवल घरों तक पाइप लाइन बिछाने की योजना नहीं है। हम 2024 तक हर घर नल से जल पहुंचाएंगे।

देश की सभी नदियों की सफाई पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संविधान के तहत नदियों की जिम्मेदारी राज्यों की है। वो अपने हिस्से की नदी का प्रबंधन करें। हालांकि, नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा की जिम्मेदारी हमारे पास है।

देश की सारी नदियों को रेगुलेट करने के लिए नेशनल रीवर कान्सर्वैशन डाइरेक्टरट (एनआरसीडी) बना है, जो अब जलशक्ति मंत्रालय के अधीन है। मंत्रालय देश की अन्य नदियों का भी अध्ययन कर रहा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने भी अपने अभिभाषण में कहा था कि गंगा के बाद हम पांच और प्रमुख नदियों के बेसिन पर काम करेंगे। यदि गंगा और इन पांच बेसिन को जोड़ दें तो देश की 80 प्रतिशत नदियां इसमें समाहित हो जाती हैं।

किसान को पता होगा, जमीन में कितना पानी

शेखावत ने कहा कि हमने भूजल की मैपिंग शुरू की है। यदि हमारे किसान को ज्ञान होगा कि अगले पांच साल में पानी खत्म होने वाला है तो वो आज से इसका प्रबंधन शुरू कर देगा। हम क्रिटिकल एरिया का अगले डेढ़ साल और बचे ढाई साल में पूरे देश का ऐक्वफर (जलभर) मैप तैयार करेंगे। हर ग्राम पंचायत को जमीन के ऊपर की थ्री-डी इमेज और जमीन के अंदर के जलभर को देंगे। उनके साथ चर्चा करेंगे कि गांव में इतना पानी है और इस तरह से पानी का प्रबंधन करें।

गंगा का आमजन से कनेक्ट जरूरी

शेखावत ने कहा कि गंगा केवल आस्था का विषय और वाटर रिसोर्स नहीं है। हमारे लिए गंगा जो है, उसके बहुत सारे मायने हैं। नमामि गंगे का मतलब केवल निर्मल गंगा नहीं है, वो अविरल गंगा है। नमामि गंगे का तीसरा चरण जनगंगा है। हम आमजन को इससे जोड़ रहे हैं।

चौथा चरण ज्ञान गंगा यानी इसके अनुभव को दूसरे नदी बेसिन पर प्रयोग में लाएंगे। पांचवां चरण है अर्थ गंगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था के साथ गंगा को जोड़ने को कहा है। इससे लोगों का गंगा के साथ कनेक्ट बन जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा लगभग साफ हो गई है। अब हमें अपने दिमाग से निकालना होगा कि राम तेरी गंगा मैली हो गई।

बड़ी चुनौती पानी के प्रबंधन की

शेखावत ने कहा कि आज भी 4000 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी हमें हर साल बरसात, बर्फ या इंटरनेशनल बेसिन से मिलता है, जबकि हमारी वाटर होल्डिंग क्षमता 250 बिलियन क्यूबिक मीटर है। हमारी चुनौती पानी के प्रबंधन की है।

खेती पर राज्य बनाएं पॉलिसी

उन्होंने कहा कि हमारी खेती 80 प्रतिशत भूजल पर निर्भर है। हरित क्रांति की सफलता में किसी का योगदान है तो वो ट्यूबवेल टेक्नोलॉजी है। यही कारण है कि हमारे भूजल स्रोत धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। हम 1 किलो चावल पैदा करने के लिए 5600 लीटर पानी खर्च करते हैं, जबकि दुनिया के कई देश उसे 350 लीटर में पैदा कर लेते हैं। हमें इस दिशा में सोचने की आवश्यकता है कि क्या उगाएं? वर्तमान हरियाणा सरकार और तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार इस दिशा में उपाय किए। राज्यो को पॉलिसी में चेंज करना पड़ेगा।

जब बच्ची ने रोका मां को…

केंद्रीय मंत्री ने एक किस्सा बताया। उन्होंने कहा कि मैं एक बार मुंबई से दिल्ली फ्लाइट से आ रहा था। मेरे बगल की सीट पर छह साल की बच्ची और उसकी मां बैठी थी। मैंने पानी पीकर ग्लास अपने पास रखा। बच्ची ने भी आधा ग्लास पानी पीकर रख लिया, जबकि मां ने एक घूंट पानी पिया। जब एयर होस्टेस आई तो बच्ची ने पूरा ग्लास पानी पीकर ग्लास दे दिया, लेकिन मां पूरा पानी फेंकने लगी तो बच्ची ने तुरंत रोक और कहा, मां आप पानी वेस्ट नहीं कर सकतीं, पीएम ने कहा है कि पानी वेस्ट नहीं करना है। शेखावत ने कहा कि यह प्रभाव होता है। ऐसे ही शुरुआत होगी, तभी देश में परिवर्तन आएगा।