सबगुरु न्यूज़, पटना| जनता दल (युनाइटेड) ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नाम गुरुवार को एक खुला पत्र जारी कर तेजस्वी की ‘संविधान बचाओ न्याय यात्रा’ के दौरान राजद के कार्यकाल में विकास कायरें का ब्योरा देने की मांग की है। दरअसल, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव 10 फरवरी से ‘संविधान बचाओ न्याय यात्रा’ निकालने जा रहे हैं। जद (यू) के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नाम लिखे पत्र में तंज कसते हुए कहा, आपके पुत्र और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद अपनी कथित ‘संविधान बचाओ न्याय यात्रा’ 10 फरवरी को निकालने जा रहे हैं। लेकिन यहां भी उनकी उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं करना, आड़े आ गया।
पत्र में तेजस्वी की शिक्षा पर सवाल उठाते हुए कविता ‘विद्या सब से बड़ा धन है, जीवन में और दूसर नाए। मात-पिता दुश्मन बना, जो बच्चों को नहीं दिया पढ़ाए’ लिखकर कहा गया है कि भारत का संविधान इतना कमजोर नहीं की कोई उसे खराब या बर्बाद कर दे। यह देश का ग्रंथ हमारे पुरखों के बलिदान और उनके नि:स्वार्थ कुर्बानी की देन है।
पत्र में यात्रा के नामाकरण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘न्याय यात्रा’ की नकल करने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि यह तेजस्वी की मजबूरी है।
पत्र में कहा गया है कि जद (यू) की अपेक्षा है कि तेजस्वी जिस जिले में अपनी यात्रा के दौरान पहुंचे, उससे पूर्व वे अपने पिताजी और माताजी के कार्यकाल के विकास कायरें का ब्योरा भी प्रस्तुत करें। उन जिलों में राजद के शासन काल में अपराध, शिक्षा, दलित, अति पिछड़ा और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए चलाई गई योजनाओं, छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा के प्रति रूचि बढाने के लिए चलाई गई योजनाओं, सड़क और बिजली जैसी बातों का भी लेखा-जोखा प्रस्तुत करें। इसके अलावे तेजस्वी जी यह भी बताएं कि उनके नाम कितनी बेनामी संपत्ति उन जिलों में है। आखिर यह न्याय यात्रा है।
नीरज ने पत्र में आगे कहा है कि यह जानना बिहार के लोगों का हक है और यही उनके साथ सच्चा न्याय भी। पत्र में चेतावनी भी दी गई है कि अगर इन ब्योरों को अगले 24 घंटे के अंदर प्रस्तुत नहीं किया गया तो जद (यू) खुद तेजस्वी की यात्रा के पूर्व जिलावार दोनों सरकार में अंतर को बताने का कार्य करेगी।
पत्र में राबड़ी देवी से अपने पुत्रों को सार्वजनिक जीवन में त्याग, धर्मनिपरपेक्ष और समाजवाद का पाखंड और जाति के नाम पर लोगों को लड़ाने की रणनीति छोडकर आगे बढ़ने की सलाह देने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि यहां के लोग राजद के शासनकाल को याद कर अब भी कहते हैं, ‘यह जो तेरे हाथों में फूलों का गुलदस्ता है, वह मेरे पांव के कांटों पे बहुत हंसता है।
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