सबगुरु न्यूज-सिरोही। आबूरोड तलहटी स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान के द्वारा माउंट आबू वन्यजीव सेंचुरी में किए गए अतिक्रमण पर माउंट आबू उपवन संरक्षक के द्वारा दिए गए निर्णय पर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा लगाया गया स्टे वेकेट हो गया है।
अब ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा माउंट आबू वन्यजीव सेंचुरी की भूमि पर करीब 5 बीघा 10 बिस्वा जमीन पर किये गए अतिक्रमण को हटाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस भूमि पर बहुमंजिला इमारतें गुफाएं आदि बनाकर वन्यजीवों का आश्रय स्थल को नुकसान पहुंचाने का प्रकरण वन्यजीव अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था। स्टे हट जाने के बाद ब्रह्माकुमारी संस्थान के खिलाफ अब तक कि सबसे बड़ी कार्रवाई होने की संभावना है।
-ये था मामला
ब्रह्माकुमारी के अंदरूनी विवाद के बाद राज्य और केंद्र स्तर पर कई पत्राचार इस बात के हुए कि ब्रह्माकुमारी संस्थान ने माउंट आबू वन्य जीव सेंचुरी की भूमि और अतिक्रमण करके उसमें निर्माण कार्य का कर लिया है। इसके बाद जिला कलेक्टर सिरोही ने 13 सितंबर 2017 को एक संयुक्त जांच दल गठित किया। इस दल ने जिला कलेक्टर को जो रिपोर्ट सौंपी वो वाकई चौंकाने वाली थी।
जांच रिपोर्ट में ब्रह्माकुमारी संस्थान ने माउंट आबू वन्यजीव सेंचुरी की आरक्षित भूमि में वनखण्ड आबू नम्बर 1 और नम्बर 2 की में 5 बीघा 10 बिस्वा जमीन पर अतिक्रमण की पुष्टि हुई। रिपोर्ट में पुष्टि के बाद माउंट आबू वन्य जीव अभयारण्य के अधिकृत अधिकारी ने ब्रह्माकुमारी संस्थान शांतिवन के सेकेट्री जनरल और मैनेजर व अन्यों के खिलाफ वनवाद दर्ज किया।
इसकी सुनवाई करते हुए माउंट आबू के उपवन संरक्षक हेमंत सिंह ने 26 दिसम्बर 2017 को प्रकरण ओर सुनवाई करते हुए तलेटी के क्षेत्रीय वन अधिकारी को अतिक्रमन हटाने और वन्यजीव अधिनियम तथा उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के लिए सम्बंधित लोगों के खिलाफ परिवाद दर्ज करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद संस्थान ने राजास्थान उच्च न्यायालय में इस बात को लेकर राहत मांगी की उनकी सुनवाई किये बिना ही वन विभाग ने एकतरफा फैंसला कर दिया है।
जिस जमीन पर वन विभाग दावा कर रहा है वो उनकी है। इस पर उच्च न्यायालय ने वन विभाग के 26 दिसम्बर 2017 के आदेश की पालना पर स्टे लगा दिया। इसके बाद ये स्टे 23 मई को हटा। अब माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण्य इस अतिक्रमण को हटाने में सक्षम है।
– बना ली बहुमंजिला इमारतें और गुफा
जिला कलेक्टर के आदेश से गठित जांच दल ने जो रिपोर्ट पेश की उसके अनुसार संस्थान ने वन भूमि और जो अतिक्रमण किया उसमें बहुमंजिला इमारत बना ली। इमारत मनमोहिनी के क्षेत्र का है। इतना ही नहीं जांच दल को अतिक्रमित भूमि पर चट्टाने तोड़कर व अवैध खनन करके बनी हुई गुफा भी मिली।
संस्थान ने दीवार, श्रमिक क्वार्टर, सड़क फेंसिंग करके वन्यजीवों के आश्रय स्थल को नुकसान भी पहुंचाया था। अब स्टे हटने के बाद बहुमंजिला इमारत को तोड़ने या उसे वन विभाग के कब्जे में लेने का रास्ता खुल गया है। अपने निर्णय में डीएफओ आबू ने ब्रह्माकुमारी संस्थान के सेकेट्री जनरल और मैनेजर के साथ शशिकांत दास गंगाराम व्हतकर को अतिक्रमण का दोषी माना था। स्टे हटने के बाद वन विभाग इन लोगों और भी कार्रवाई।करने के स्वतंत्र है।
– केजी श्रीवास्तव पर किया परिवाद भी खारिज
जिला कलेक्टर के आदेश पर जांच कमेटी बनने से पहले माउंट आबू के पूर्व उववन अधिकारी केजी श्रीवास्तव ने भी मनमोहिनी क्षेत्र के निकट अवैध खनन करने पर संस्थान पर कार्रवाई की थी। उन्होंने इस कार्रवाई में संस्थान से अवैध खनन करने पर ब्रह्माकुमारी संस्थान पर लाखों रुपये जुर्माना वसूला था।
संस्थान ने जुर्माना तो भर दिया लेकिन कथित रूप से अधिकारियों और दबाव की रणनीति अपनाने के लिए केजी श्रीवास्तव पर संस्थान के ही एक पदाधिकारी से स्थानीय न्यायालय में मानहानि का परिवाद दाखिल करवाया। इस परिवाद को भी इसी वर्ष स्थानीय न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
– हटने लगा अतिक्रमण
तलहटी में मनमोहिनी क्षेत्र के निकट अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई गुरुवार को शुरू की है। ये अतिक्रमण वन विभाग द्वारा हटाये जा रहे हैं। लेकिन, ये वही अतिक्रमण है जिसे हटाने के लिए दिसम्बर 2017 में हेमंत सिंह ने आदेश दिए थे या फिर कोई और इस सम्बंध में माउंट आबू उपवन संरक्षक से दूरभाष पर बात नहीं हो पाई है।