सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला मुख्यालय पर निःसन्देह मेडिकल कॉलेज एक अनुपम भेंट है। शहीद स्मारक और टाउन हॉल का पैसा भी राज्य सरकार से लाया गया है, लेकिन बनेगा कब नगर परिषद सिरोही जाने। लेकिन, इन कामों में सिरोही नगर परिषद का योगदान शून्य है, इसकी धनराशि विधायक के प्रयास से राज्य सरकार से आई है।
बाकी सुविधाओं का क्या, जो कथित रूप से विधायक के मार्गदर्शन में शिवगंज निकाय के माध्यम से शिवगंज शहर को तो मिल रही हैं, सिरोही निकाय के माध्यम से सिरोही शहर को नहीं मिल पा रहा है। जबकि नगर पालिका में पार्षदों की संख्या के लिहाज से शिवगंज शहर के लोगों ने सिरोही की तरह संयम लोढ़ा पर उतना विश्वास नहीं लुटाया जितना सिरोही के लोगों ने निकाय चुनाव में लुटा दिया।
सिरोही और शिवगंज में एकसाथ बोर्ड बने थे। लेकिन, शिवगंज सभापति, आयुक्त और नगर पालिका टीम ने सिरोही के सामने लंबी लकीर खींचकर सिरोही सभापति, आयुक्त और स्टाफ के कार्यकाल को सबसे विफल साबित कर दिया है। सिरोही नगर परिषद बोर्ड को दो साल हो चुके हैं, इसे इससे ज्यादा हनीमून पीरियड दिया भी नहीं जा सकता है। दो साल में तो पैदा हुआ बच्चा भी चलने लगता है सिरोही नगर परिषद बोर्ड विधायक की गोद से नीचे नहीं उतर पाया है।
-शिवगंज को नगर पालिका ने दी ये सुविधाएं
विधायक संयम लोढ़ा ने शिवगंज नगर निकाय के माध्यम से शिवगंज शहर में कई कामो का उदघाटन किया। लेकिन सिरोही नगर परिषद के माध्यम से कांग्रेस बोर्ड द्वारा करवाये गए एक भी माइल स्टोन वर्क सिरोही शहर में देखने को नहीं मिल रहे हैं। हां, पैलेस रोड के रूप में बर्बादी जरूर दिखती है, ये प्रोजेक्ट भी पूर्व बोर्ड का है।
शिवगंज में कॉलेज से पैवेलियन के बीच 6 महीने पहले ही फ्री वायफाय जोन की थाली परोस दी गई, जबकि सिरोही के लोगों के कोहनी पर अब तक गुड़ लगाया हुआ है। इसके बिल का भुगतान भी वहां की नगर पालिका करती है।
शिवगंज में करीब सवा करोड़ रुपये से ज्यादा का रिवरफ्रंट गार्डन का काम नगर निकाय ने किया है, संभवतः अगले सप्ताह इसका लोकार्पण हो जायेगा। इसी तरह वहां पर नेहरू उद्यान को बच्चों के लिए विकसित किया जा रहा है। जिसमें टॉय ट्रेन और छोटे तालाब में बच्चों के लिए नाव की भी सुविधा होगी, इसका भी लोकार्पण अगले महीने सम्भावित है। जबकि सिरोही में नगर परिषद ड्रीम प्रोजेक्ट गांधी उद्यान में दो साल से सूखे पत्ते बाहर फेंकने के अलावा कोई काम नहीं करती नजर आती है।
सिरोही नगर परिषद का कांग्रेस बोर्ड सिरोही के बच्चों से सम्भवतः इसलिये सौतेलेपन पर उतारू नजर आता लग रहा है कि उनके अभिभावकों ने कांग्रेस पर सिरोही विधायक के नाम पर इतना विश्वास कैसे कर लिया?
– जब शहर पर थोपा है तो काम कौन लेगा?
शिवगंज और सिरोही नगर निकायों के बीच इतने सौतेलेपन की पड़ताल की तो जो चीज सामने आई वो ये है कि वहां बने पालिकाध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी समेत अन्य कार्मिकों को विधायक की साख की परवाह है।
जबकि सिरोही के काँग्रेस कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की ही बात पर विश्वास करें तो सिरोही में सभापति और नगर परिषद आयुक्त दोनों ही इस बात से बेपरवाह हैं कि उनके काम नही करने पर संयम लोढ़ा की साख पर भी नगर परिषद के नकारेपन का उतना ही प्रभाव पड़ेगा जितना पूर्व विधायक पर पड़ा था।
लेकिन इन दोनों प्रमुख प्रशासनिक पद पर बैठे लोगों को विधायक ने ही चयन किया है तो फिर इनकी मोनिटरिंग की ज़िम्मेदारी से वो मुंह भी नहीं मोड़ सकते। यदि सिरोही में नगर परिषद का शून्य आउटपुट सभापति, आयुक्त और अन्य अधिकारी व कर्मचारी में से किसी की भी है तो फिर ये सवाल तो विधायक से ही बनता है कि वो लोग यहां हैं क्यों?
– इसलिए हो रहा है शिवगंज में काम
शिवगंज नगर पालिका शहर में काम इसलिए करवा पा रही है कि वहां की टीम संयुक्त रूप से राजस्व उगाहने का काम कर रही है। जबकि शिवगंज के अधिशासी अधिकारी सिरोही से ही स्थानांतरित होकर गए हैं। ये सारे प्रोजेक्ट निकाय की निजी आय से हो रही है।
सिरोही में सभापति के साथ आयुक्त और इनका साथ देने के लिए राजस्व अधिकारी और सचिव का पद भी भरा हुआ है। इनके मातहत लंबी चौड़ी टीम है।
जब इतना बड़ा लवाजमा शहर के विकास के लिए समुचित राजस्व नहीं जुटा पा रहा है तो फिर इन्हें सरकार से जबरन सिरोही पर थोपा हुआ क्यों है?बोर्ड के शुरुआती समय को छोड़ दें तो सिरोही विधायक का लंबे अर्से से किसी प्रेस नोट में ऐसा कोई प्रयास देखने को नहीं मिला है कि राजस्व वसूली के प्रयासों और उसके खर्च की समीक्षा की हो।
शिवगंज में आय का एक स्रोत कन्वर्जन व निर्माण अनुमतियाँ हैं। सिरोही में कन्वर्जन प्रभारी आयुक्त और भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष तो खुद सिरोही कांग्रेस के नगर अध्यक्ष हैं, कन्वर्जन व निर्माण अनुमतियाँ से कितना राजस्व आ रहा है इसकी समीक्षा कोई मुश्किल नहीं है। सभापति और आयुक्त काइन हाउस की नालामी से ही चाहते तो एक बगीचा दुरस्त करवा सकते थे।
– विधायक जी बोलेंगे तभी काम करेंगे का कल्चर
सिरोही नगर परिषद में एक और कल्चर सबसे ज्यादा पनप रहा है जो सिरोही नगर परिषद के मुखिया के कमजोर राजनीतिक नेतृत्व की ओर इशारा करता है। यहां के कार्मिकों ने एक नया कल्चर बना लिया है कि ‘विधायक जी, बोलेंगे तभी हम कुछ करेंगे।’ इस कल्चर से पार्षद तक परेशान हैं। सिरोही नगर परिषद के साथ दिक्कत ये है कि सभापति व्यवसायी हैं पॉलिटिशियन नहीं।
ऐसे में किसी को रोकने टोकने की बजाय टालने की प्रवृति खुद विधायक के लिये नुकसानदायक साबित हो रही है। खुद संयम लोढ़ा ने सिरोही में बढ़त सिरोही में भाजपा बोर्ड में सभापति और आयुक्तों की दूषित कार्यप्रणाली को उजागर करके लिए थे। इतिहास की पुस्तको के साथ एक कहावत अधिकांशतः लिखी होती है कि ‘उससे कुछ सबक नहीं लेते हैं तो वो अपने आपको फिर से दोहराता है।’