अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद की पत्थर तराशने वाली कार्यशाला अब सिमटती जा रही है।
कार्यशाला में मजदूरों की संख्या लगातार कम हो रही है जिससे पत्थरों को तराशने की गति काफी धीमी हो गई है। आलोचकों ने इसे विहिप की अयोध्या में समाप्त हो रही लोकप्रियता बताया है जबकि विहिप का दावा है कि पत्थरों की आपूर्ति लगातार हो रही है।
सितम्बर 1990 में स्थापित इस कार्यशाला के सुपरवाइजर अन्नू भाई का कहना है कि किसी समय कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम 150 कारीगर हर रोज करते थे लेकिन आज सिर्फ एक कारीगर ही इस काम में लगा हुआ है। उन्होंने बताया कि पत्थरों की आपूर्ति तो बराबर हो रही है।
अन्नू भाई ने बताया कि रामजन्मभूमि न्यास की इस कार्यशाला में प्रस्तावित माडल के अनुसार मंदिर के एक मंजिल के लिये पत्थरों को तराशने का काम पूरा हो गया है इसलिए अब लगातार कार्यशाला में एक कारीगर द्वारा पत्थर को तराशने का काम किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मॉडल के अनुसार 16 गुणे 16 फिट के 222 खम्भों का निर्माण किया जाना है। मंदिर की लम्बाई, चौड़ाई और ऊंचाई क्रमश: 268 गुणे 140 गुणे 128 फिट है। पत्थरों का खेप कार्यशाला में इतना ज्यादा आ गया है कि उसको रखने में भी दिक्कत हो रही है। अगर मंदिर बनना शुरू हो जायेगा तो हमारे पास इतने पत्थर इस समय हैं कि दूसरे मंजिल मंदिर के तराशने का काम तेजी से शुरू कर दिया जाएगा।
इस बारे में विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा का कहना है कि मंदिर केवल पत्थरों से बनेगा। सीमेंट, लोहा का प्रयोग नहीं होगा। उन्होंने बताया कि मंदिर 270 फुट लम्बा, 135 फुट चौड़ा तथा शिखर 125 फुट ऊंचा होगा। मंदिर दो मंजिला है। हर मंजिले पर 106 खम्भे होंगे। भूतल के खम्भे 16़ 5 फुट ऊंचे, उसके ऊपर तीन फुट मोटे पत्थर का विम तथा एक फुट मोटी पत्थर की छत होगी।
उन्होंने बताया कि ऊपर की मंजिल के खम्भे 14़ 5 फुट ऊंचे फिर विम व छत होगी। उसके ऊपर शिखर, मंदिर की दीवारें छह फुट मोटे पत्थरों की तथाा चौखट सफेद संगमरमर पत्थर की होगी।
शर्मा के मुताबिक मंदिर में लगने वाले सम्पूर्ण पत्थर का 60 प्रतिशत भाग 2006 तक कुशल कारीगरों द्वारा पत्थरों पर नक्काशी करके श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में रखा है जो नित्य हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं। उन्होंने बताया कि प्रथम मंजिल के साथ ही फर्श और छत तैयार हो गई है। अब शिखर पर लगने वाले पत्थर तराशे जा रहे हैं।
मंदिर निर्माण से सम्बन्धित संभावना सम्बन्धित पूछे एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जिस तरह अचानक ढांचा टूटा था उसी तरह अचानक मंदिर भी बनेगा। उन्होंने कहा कि लोगों को लगता था कि ढांचा नहीं टूटेगा लेकिन वह ध्वस्त हो गया। इसी तरह मंदिर भी एक दिन अवश्य बनेगा।
इस बीच अयोध्या के लोगों का कहना है कि दिगम्बर अखाड़ा के महंत रहे परमहंस रामचन्द्र दास तथा विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल के न रहने की वजह से भी मंदिर आंदोलन कमजोर हो गया है और अयोध्या में विहिप की गतिविधियों को जनता से अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पा रहा है।
कटरा के रहने वाले रामअभिलाष ने बताया कि परमहंस की मृत्यु के पहले विहिप को आज की अपेक्षा यहां अधिक समर्थन मिलता था क्योंकि अयोध्या के लोगों में उनके प्रति काफी आदर भाव था। यहां की जनता मंदिर-मस्जिद मामले को शीघ्र ही सुलझता देखना चाहती है। चाहे वह किसी भी रूप में हो।