आज किसी भी बात का विरोध करने के जनसमूह का इकठठा होकर विऱोध करना या नारे लगाना या अऩशन करना हडताल कहलाता है,इसमें जलूस भी शामिल है।इस तरह से करने से कई बार तो आपकी मांग पूरी हो जाती है।आप लोगो ने कभी सोचा हैं कि खामियाजा कौन भूगतता है हम जनता लोग या रोज कमाने वाले लोग ,ऱोटी कौन सेंकता है, राजनितिक दल या एक वह समूह जो लोगों कि चिता पर रोटी सेंक रहे है और खा रहे है । जान माल का नुकसान किसका हो रहा है हम सधारण गरीब लोगों का ,फिर साफ कर दूँ कि हमारा किसी भी राजनितिक दल से कोई सरोकार नही हैं ।
आपने विरोध किया शांति से तब तो टीक पर बस जला देना, रेल रोक देना कहॉ के विवेक की बात है, कोई कहॉ जा रहा है हमको मालूम नहीं किस काम से जा रहा है मालूम नहीं बस विऱोध करना है तो सब काम छोडकर जूट गये बस कुछ लोग कर रहे है तो हम भी कर लेगे बस अंधा अनुकरण करना है भारत तो विवेकशील लोगों का देश है फिर ऐसी बातें काहे करे कि हमारे देश का नाम खराब हो।
आज कल नया चलन है दो चार खडे हो गये जिंदाबाद जिंदाबाद का नारा लगा दिया फोटो खीचवा ली हो गयी ,और दो कदम आगे बडे जो चाटुकार राजनिति होती है,छुटभैया नेता खडे हो भीड को उसका दिया खुद किनारे खडे हो गये,पुलिस ने जब लाठी भॉजा तो तो भाग निकले जान, माल का नुकसान किसका हुआँ आम जनता का,युवको को बरगला दिया जाता है ।
कितनी दुखद बात है, एक सही दिशा में शांति जलूस या विऱोध करना या अनशन करने के हम भी कायल है आप विरोध करे ना घूस का,गंदी राजनिति का, नारियों की पर होती घरेलू हिंसा का रेप का बहुत सी चीजे का। हमारा आशय किसी का दिल दुखाने का नहीं है मगर किसी हड़ताल तरीका का जनधन हानि का नहीं होना चाहिए ।