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पीएम मोदी के मुरीद बने अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव - Sabguru News
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पीएम मोदी के मुरीद बने अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव

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पीएम मोदी के मुरीद बने अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव

इटावा। राजनीति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के जाने माने यादव परिवार का एक और सदस्य भारतीय जनता पार्टी की ओर तेजी से आकर्षित होता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव और समधी हरिओम यादव विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा का दामन थाम चुके थे जबकि अब उनके भाई और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर फालो करना शुरू कर दिया है।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अध्यक्ष एवं जसवंतनगर के सपा विधायक शिवपाल ने चुनाव के बाद से ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के प्रति तल्ख तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे, इसके साथ ही भाजपा के साथ उनकी नजदीकियों के निहितार्थ निकाले जाने लगे थे मगर अब शिवपाल ने इस दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए पीएम मोदी को अपने अधिकारिक टिवटर एकाउंट से फालो करना शुरू कर दिया है।

शिवपाल ने प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा को भी फालो किया है। इससे पहले, चर्चा थी कि शिवपाल यादव ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मिले थे जबकि बाद में उन्होंने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। हालांकि उन्होंने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया था। यह भी कहा कि वक्त आने पर बोलेंगे। शिवपाल ने कहा था कि मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट हुई है। भविष्य के फैसले पर कहा कि वक्त आने पर इसका खुलासा करेंगे। शिवपाल के इस रहस्यमयी बयान से सियासी हलके में चर्चा का दौर शुरू हो गया।

सूत्र बताते हैं कि इटावा से दिल्ली जाने के दौरान शिवपाल ने पूर्व विधायक हरिओम यादव से भी मुलाकात की थी। हरिओम रिश्ते में उनके समधी हैं और सपा से नाता तोड़कर भाजपा में चले गए हैं। सियासी गलियारे में इस मुलाकात को भविष्य में होने वाले विधान परिषद और राज्यसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। फिलहाल इस हलचल के बीच भाजपा और सपा के नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

सपा के साथ गठबंधन करने के बाद शिवपाल को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी के नेताओं को भी टिकट मिलेगा। उन्होंने करीब 25 नेताओं की सूची अखिलेश यादव को सौंपी थी और कहा था कि जो भी जिताऊ हों, उन्हें टिकट दे दें लेकिन सपा ने सिर्फ उन्हें ही टिकट दिया और वह भी साइकिल चुनाव चिन्ह के साथ। ऐसे में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए प्रसपा के कई नेता दूसरे दलों में चले गए लेकिन, ज्यादातर उनके साथ जुड़कर चुनाव अभियान में उतरे। इसके बाद भी विधायक मंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने को वे अपनी उपेक्षा के तौर देख रहे हैं।

दस मार्च को चुनावी नतीजे आने के बाद जब सपा गठबंधन सत्ता तक नही पहुंचा तो शिवपाल ने अखिलेश पर सवाल खडा किया कि सपा सगंठन मे कमी थी, इसलिए गठबंधन को सही तरह से फायदा नहीं मिल सका है। 26 मार्च को सपा विधायको की बैठक मे ना बुलाए जाने से खफा शिवपाल ने अपने अपमान का ज्रिक करते हुए लखनऊ से इटावा लौट आए। 27 मार्च को इटावा से दिल्ली पहुंचे जहां पर शिवपाल ने अपने बडे भाई मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और अपना दर्द साझा किया। इसी बीच शिवपाल के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं चल निकली जो आज हर कोई सुनता हुआ देख रहा है।

29 मार्च को सपा गठबंधन की बैठक में भी शिवपाल को शामिल होना था लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने बैठक में शामिल होने के बजाय भागवत सुनना ज्यादा पंसद किया। टिवटर के जरिये शिवपाल भाजपा हाईकमान को अपने पक्ष मे रखने की कोशिश कर रहे हो लेकिन अभी तक उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।