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वृष राशि में सूर्य का प्रवेश, 15 मई से 13 जून तक अधिक मास
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वृष राशि में सूर्य का प्रवेश, 15 मई से 13 जून तक अधिक मास

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वृष राशि में सूर्य का प्रवेश, 15 मई से 13 जून तक अधिक मास
Sun entry into Taurus, adhik maas from 15 May to 13 June
Sun entry into Taurus, adhik maas from 15 May to 13 June

सबगुरु न्यूज। मेष राशि के तारामंडल में भ्रमण करता हुआ सूर्य मानो ऐसा लगता है कि वह धरती पर आग के शोले बरसा रहा है और हर दिन वह अपनी गरमी को बढा रहा है। हर दिन जल स्त्रोतों को सूखाता हुआ पानी को भांप बना कर बादलो का गर्भधारण करवा रहा है।

प्रकृति की बसंत रूपी नायिका अब अपने प्रिय सूर्य से संयोग कर प्रचंड गर्मी की ऋतु बनकर अब अति आनंदित हो गई है और अब बरसने के कगार पर आ रही है। अगले सफर तक सूर्य के साथ रहती हुई वह सूर्य के साथ वृष राशि के तारामंडल में भ्रमण करने को आज प्रवेश कर रही है।

14 मई से 14 जून तक यह वृष राशि के तारामंडल मे भ्रमण करतीं हुई सूर्य की गर्मी से पूर्ण लथपथ होती पूर्णता को प्राप्त कर लेगी। बादल रूपी मेघों को धारण करतीं हुई फिर बरसने की तैयारी कर अपना रूप वर्षा ऋतु में बदलती हुई धरती की गर्मी को खत्म कर देगी।

सूर्य ओर चन्द्रमा के चलने की गति के अंतर के कारण हर साल दस दिन का अंतर आ जाता है और तीन साल बाद यह अंतर 30 दिन पहुंच जाता है। यह चन्द्रमा के कारण होता है। हिन्दु त्योहारों का मुख्य आधार चांद्र मास होता है।

वास्तविक चंद्रमा की गति से त्योहारों में हर वर्ष अंतर आ जाने के कारण यहां चन्द्रमा के बढे तीस दिनों को तीन साल बाद एक वृद्धि वाला मास काल्पनिक रूप से बना लेते हैं और उसके दिनों की संख्या समायोजित कर लेते हैं और यह अधिक मास कहलाता है। अधिक मास को धार्मिक मान्यताओं में दान पुण्य जप तप और अनुष्ठान का मास बताया गया है।

दूसरे इस मास में मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। दूसरे शब्दों में सूर्य की एक ही संक्रांति में जब दो अमावस्या आ जाती है तो दूसरी अमावस्या वाला समय अधिक मास माना जाता है।

वृष संक्रांति मे पहली अमावस्या 15 मई को तथा दूसरी बार अमावस्या 13 जून को होंगी। ओर इन दोनों मे वृष संक्रांति ही रहेगी। यही अधिक मास है।

सूर्य की वृष संक्रांति 14 मई को 29 घंटे व तीन मिनट बाद

सूर्य का वृष राशि में प्रवेश 14 मई को 29:03 बजे होगा। संक्रांति का पुण्य काल 15 मई को दोपहर तक रहेगा। यह संक्राति अनाजों को महंगा करती है। अस्त्र शस्त्र व वस्त्र के व्यापार को हानि करती है। सरकार अल्प संख्यक व पिछड़े लोगों के लिए नई नीतिया व योजनाओं को लाती है।

वृष संक्रांति में प्राकृतिक प्रकोप बढ जाएंगे और वर्षा, आंधी, ओलावृष्टि, भूसखलन, भूकंप, ज्वालामुखी, अग्निकांड, तूफान की संभावना बढ़ती है। संक्रांति में बने ग्रह योग मौसमी बीमारियों को बढाते हैं तथा प्रजा में अशांति देते हैं। धार्मिक विवादों में वृद्धि होती है तथा राजनीतिक माहौल दूषित रहता है। रेल, सड़क व वायु दुर्घटना में वृद्धि के योग बनते हैं तथा विशिष्ट व्यक्ति का अवसान होता है।

विश्व स्तर पर वैमनस्यता बढकर युद्ध के लिए तैयार कर देती है, कई देशों के गुप्त समझौते सामने आते हैं। आतंकी हमलों में वृद्धि होतीं हैं और बमबारी परमाणु बम आदि से क्षति के योग बनते हैं। धार्मिक मान्यताओं में अधिक मास में तीर्थ सरोवर में स्नान व दान करना चाहिए। जप, तप और अनुष्ठान करने चाहिए।

सौजन्य : भंवरलाल