सबगुरु न्यूज। मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू, आई रुत मस्तानी कब आएगी तू…यह जो मोहब्बत है यह उनका काम.. ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा.. प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है.. इस गाने को सुनकर आपको भी किसी की याद जरूर आ गई होगी। जी हां, आप सही सोच रहे हैं हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना को लेकर आज होंगी बातें। 18 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना ने दुनिया को अलविदा कहा था। आज हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार की आठवीं पुण्यतिथि पर उनके फिल्मी करियर पर चर्चा की जाए।
देवानंद ऐसे पहले अभिनेता रहे हैं जिनके प्रति महिलाओं और लड़कियों में सबसे ज्यादा दीवानगी थी। लेकिन 70 के दशक के बाद जब देवानंद धीरे-धीरे ढलाल पर आते गए तब राजेश खन्ना का उदय होना शुरू हुआ। पंजाब के अमृतसर में 29 दिसंबर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना का नाम असली नाम जतिन खन्ना था। उनके चाचा ने उन्हें राजेश खन्ना का नाम दिया। चाचा ही उनको अमृतसर से मायानगरी लेकर आए थे। यहां आकर कुछ संघर्ष करने के बाद टैलेंट के धनी राजेश खन्ना को सफलता शीघ्र मिल गई। फिल्म इंडस्ट्रीज में उनको प्रणाम ‘काका’ से भी जाना जाता है। राजेश खन्ना को अपनी फिल्मों में साइन करने के लिए उस दौर में निर्माता और निर्देशकों की अच्छी खासी संख्या उनके घर के बाहर घंटों इंतजार किया करती थी।
लगातार 15 सुपरहिट फिल्में देने वाले इंडस्ट्रीज के पहले अभिनेता थे
हम बात करते हैं वर्ष 1967 की। यहां से राजेश खन्ना ने अपना फिल्मी करियर शुरू किया। वर्ष 1968 से 1972 तक राजेश खन्ना फिल्म इंडस्ट्रीज में अपने सबसे पीक पर माने जाते हैं। इन 4 वर्षों में राजेश खन्ना ने 15 फिल्म में लगातार सुपरहिट दी। हिंदी सिनेमा के वे पहले अभिनेता थे जिनको इतनी बड़ी सफलता मिली हो। आराधना, कटी पतंग, दो रास्ते, मर्यादा, महबूब की मेहंदी, रोटी, अमर प्रेम, सच्चा झूठा, खामोशी, आन मिलो सजना, दुश्मन, हाथी मेरे साथी आदि यह ऐसी फिल्में रही जिनके बल पर राजेश खन्ना ने बॉलीवुड में अपने लिए एक मजबूत सिंहासन खड़ा कर लिया था।
70 के दशक में राजेश खन्ना के प्रति दीवानगी का आलम यह था कि उनके बंगले ‘आशीर्वाद’ के बाहर हर रोज सैकड़ों प्रशंसकों की भीड़ जमा हो जाती थी। राजेश खन्ना को बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार माना जाता है, यही नहीं उनके निधन के इतने साल बाद भी वो फैंस उन्हें याद करते हैं। फैंस तो राजेश खन्ना के इतने बड़े दीवाने थे कि उस दौर में भी ऐसी फैन फॉलोइंग और दीवानगी किसी और स्टार के लिए नहीं थी।
अमिताभ बच्चन ने राजेश खन्ना का फिल्मी करियर किया प्रभावित
हम आपको बता दें कि राजेश खन्ना के लिए वर्ष 1973 तक सब कुछ ठीक चलता रहा। अमिताभ बच्चन की 1969 में फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से बॉलीवुड में एंट्री हो गई थी। उसके बाद 1972 में आई फिल्म ‘आनंद’ में दोनों ने एक साथ काम किया था। फिल्म आनंद से ही अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की एक्टिंग को लेकर उस दौर में सिनेमा पंडितों में एक बहस ऐसी चली कि वह कई वर्षों तक जारी रही। लेकिन अधिकांश सिनेमा प्रशंसकों ने दोनों की एक टीम की सराहना की। फिर आया वर्ष 1973, इस साल अमिताभ बच्चन की प्रकाश मेहरा निर्देशित फिल्म जंजीर रिलीज हुई थी। यह फिल्म जबरदस्त सुपरहिट हुई।
इसके बाद वर्ष 1975 में शोले और दीवार फिल्मों में अमिताभ को फिल्मी पर्दे पर एक ऐसा एक्टर लाकर खड़ा कर दिया, जिसने एंग्री यंगमैन के रूप में सिनेमा प्रशंसकों के बीच अपनी घुसपैठ कर थी। राजेश खन्ना के रोमांटिक फिल्मी अंदाज को दर्शक तक धीरे धीरे नजरअंदाज करने लगे थे। उसके बाद अमिताभ राजेश खन्ना पर धीरे-धीरे हावी होते चले गए। वर्ष 1980 के समय अमिताभ के फिल्म इंडस्ट्रीज में बढ़ते कद को देखते हुए राजेश खन्ना कुछ वर्ष डिप्रेशन में भी रहे। राजेश खन्ना ने 1980 के बाद कई सुपरहिट फिल्में दी। सौतन, थोड़ी सी बेवफाई, राजपूत, अवतार आदि फिल्में राजेश खन्ना ने सुपरहिट दी, लेकिन वह अपने आप ही समय तक अमिताभ बच्चन को लेकर उभर नहीं सके, इसका कारण था राजेश खन्ना के जितने प्रशंसक थे वह सब अमिताभ बच्चन के हो गए थे। अपने निधन से कुछ वर्ष पहले राजेश खन्ना ने एक फिल्मी कार्यक्रम के स्टेज पर अमिताभ बच्चन से कहा था ‘बाबूमोशाय मेरे फैंस मुझसे कोई नहीं छीन सकता है’।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार