नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि प्रदर्शन करना किसानों का हक है, बशर्ते प्रदर्शन हिंसक न हो। साथ ही, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह इस मामले में कानूनों की वैधता पर विचार नहीं करेगा।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी सुब्रमण्यम की खंडपीठ ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ यदि किसानों में नाखुशी है तो उन्हें प्रदर्शन करने का हक है, बशर्ते वह हिंसक न हो।
खंडपीठ ने कहा कि ऐसे प्रदर्शन को रोकने का सवाल नहीं बनता। इसलिए पुलिस किसानों पर बल का प्रयोग न करें। लोगों के मानवाधिकारों का भी हनन नहीं होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली को ब्लॉक करने से शहर के लोग भूख की तरफ बढ़ सकते हैं। आपका (किसानों का) मकसद बातचीत से पूरा हो सकता है। महज प्रदर्शन पर बैठने से काम नहीं चलेगा। पीठ ने कहा कि वह फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा, बल्कि वह प्रदर्शन के अधिकार पर विचार करेगा।
एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रदर्शन में कोई भी फेस मास्क नहीं पहनता है, यह चिंता का विषय है। ये लोग गांवों में जाएंगे और कोविड 19 का संक्रमण बढ़ा सकते हैं। किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं।