नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को अपने संविधान में संशोधन की अनुमति दे दी। शीर्ष अदालत के इस फैसले से बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सचिव जय शाह को अपने-अपने पदों पर अगले तीन साल और बने रहने का रास्ता साफ हो गया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने बीसीसीआई पर सुनवाई करते हुए उसके द्वारा संविधान में प्रस्तावित संशोधनों की गुहार स्वीकार कर ली।
बीसीसीआई का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, न्याय मित्र के रूप वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और अन्य की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश पारित किया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका विचार है कि प्रस्तावित संशोधन ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि की भावना और उद्देश्य को कमजोर नहीं करेगा। अगर किसी व्यक्ति ने बीसीसीआई या राज्य संघ स्तर पर दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं।
संविधान संशोधन के बाद पदाधिकारियों का अब अधिकतम 12 वर्ष, राज्य संघ स्तर पर तीन वर्ष के दो कार्यकाल और बीसीसीआई में तीन वर्ष के भी दो कार्यकाल हो सकता हैं।
शीर्ष अदालत द्वारा 2018 में अदालत द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति द्वारा सुझाए गए बड़े सुधारों को स्वीकार करने के बाद बीसीसीआई ने बड़े पैमाने पर सुधार किए हैं।