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Supreme Court clears permanent commission command roles for women officers in Indian Army - Sabguru News
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सेना में ‘स्थाई कमीशन’ की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की हुई जीत

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सेना में ‘स्थाई कमीशन’ की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की हुई जीत
Supreme Court clears permanent commission, command roles for women officers in Indian Army
Supreme Court clears permanent commission, command roles for women officers in Indian Army

नई दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को लागू करना चाहिए था। यहां हम आपको बता दें कि विगत दिनाें सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने के मामले में हाईकोर्ट ने फैसला दिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक उसे लागू नहीं किया है, इसी को लेकर आज एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही केंद्र को फैसला लागू करने के लिए तीन महीने की मोहलत दी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कॉम्बैट विंग छोड़कर बाकी सभी विंग पर लागू होगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति विकासवादी प्रक्रिया है।

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब रोक नहीं लगाई गई, फिर भी केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया। हाईकोर्ट के फैसले पर कार्रवाई करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के 9 साल के फैसले के बाद केंद्र 10 धाराओं के लिए नई नीति लेकर आया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा है कि सेना में सेवारत सभी महिला अधिकारियों (जो 14 साल से ज्यादा सेवा दे चुकी हैं) को स्थायी कमीशन मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्थायी कमीशन पाने वाली महिलाओं को सिर्फ प्रशासनिक पद देने की नीति गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन माह में आदेश लागू करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिलाओं को काबिलियत के हिसाब से कमांड पद भी मिले, ये आदेश दस विभागों को लिए हैं।

हाईकोर्ट ने 14 साल सेवा करने वाली महिलाओं के पक्ष में दिया था फैसला

12 मार्च 2010 को हाई कोर्ट ने शार्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया थ। रक्षा मंत्रालय इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार तो कर लिया, लेकिन हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट का रवैया महिला अधिकारियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रहा।

हाई कोर्ट के फैसले के 9 साल बाद सरकार ने फरवरी 2019 में 10 विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की नीति बनाई। लेकिन यह कह दिया कि इसका लाभ मार्च 2019 के बाद से सेवा में आने वाली महिला अधिकारियों को ही मिलेगा। इस तरह वह महिलाएं स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गईं जिन्होंने इस मसले पर लंबे अरसे तक कानूनी लड़ाई लड़ी है।

स्थाई कमीशन के मामले में केंद्र सरकार के तर्क पर सुप्रीम कोर्ट का जवाब

महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की नई नीति में एक और बड़ी कमी है उनको सिर्फ स्टाफ अपॉइंटमेंट में पद देना। यानी सिर्फ प्रशासनिक और व्यवस्था से जुड़े पद देना। इस तरह स्थायी कमीशन मिलने के बावजूद महिलाएं क्राइटेरिया अपॉइंटमेंट और कमांड अपॉइंटमेंट नहीं पा सकेंगी।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सेना में ज़्यादातर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले जवान महिला अधिकारियों से कमांड लेने को लेकर बहुत सहज नजर नहीं आते। महिलाओं की शारीरिक स्थिति, परिवारिक दायित्व जैसी बहुत सी बातें उन्हें कमांडिंग अफसर बनाने में बाधक हैं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मानसिकता में बदलाव किया जाए और इच्छाशक्ति हो तो बहुत कुछ कर पाना संभव है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार