नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए ओडिशा में पुरी जगन्नाथ यात्रा को सोमवार को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ की ओर से देर शाम जारी लिखित आदेश में 11 शर्तों के साथ पुरी रथयात्रा को मंजूरी दी।
खंडपीठ ने कहा कि रथ को केवल 500 वैसे सेवायत या पुलिसकर्मी खींचेंगे, जो कोरोना निगेटिव होंगे। न्यायालय ने रथयात्रा के 10 से 12 दिन के आयोजनों के दौरान किसी पुरी में दाखिल होने वाले सभी रास्ते, अर्थात् हवाईअड्डे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड आदि बंद रखने का आदेश दिया है।
खंडपीठ ने रथयात्रा के दौरान शहर में कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया है। यह कर्फ्यू रथयात्रा के दौरान लागू होगा। राज्य सरकार को पुरी शहर में जरूरत पड़ने पर अन्य दिनों और समय में भी कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया गया है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि कर्फ्यू की अवधि के दौरान किसी को भी उनके घरों या उनके निवास स्थानों, होटल या लॉज से निकलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। न्यायालय ने यह कर्फ्यू आज रात आठ बजे से ही लागू करने का आदेश दिया।
प्रत्येक रथ 500 से अधिक व्यक्ति नहीं खींचेंगे। उन सभी की कोरोना वायरस की जांच की जाएगी और यदि वे निगेटिव पाए जाते हैं तभी उन्हें रथ खींचने दिया जाएगा। इनमें सेवायत और पुलिस कर्मी शामिल होंगे।
खंडपीठ ने दो रथों के बीच एक घंटे का अंतर रखने का निर्देश दिया है। रथ खींचने वाले लोग प्रत्येक रथ यात्रा के दौरान, पहले और बाद में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे। न्यायालय ने कहा कि शर्तों और अन्य मानदंडों के अनुसार, रथ यात्रा के संचालन की प्राथमिक जिम्मेदारी पूरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन समिति के प्रभारी की होगी।
न्यायालय ने कहा कि समिति का प्रत्येक सदस्य इस न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों और केंद्र सरकार द्वारा जारी सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने वाले सामान्य निदेर्शों के अनुपालन के लिए जिम्मेदार होगा।
खंडपीठ ने कहा कि इसके अलावा रथ यात्रा के संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी भी इसी तरह जिम्मेदार होंगे। न्यायालय ने आदेश दिया कि अनुष्ठान और रथयात्रा में भाग लेने के लिए समिति द्वारा लोगों की न्यूनतम संख्या की अनुमति होगी।
न्यायालय ने अनुष्ठान और रथयात्रा को स्वतंत्र रूप से मीडिया द्वारा कवर करने का आदेश भी दिया। राज्य सरकार टीवी कैमरों को ऐसे स्थानों पर स्थापित करने की अनुमति देगी जो टीवी दल द्वारा आवश्यक पाए जा सकते हैं।
न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा है कि ओडिशा का महामारी को नियंत्रित करने का अच्छा रिकॉर्ड रहा है और राज्य सरकार से अपेक्षा है कि वह इस मामले में भी अपना वही उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगी। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार उन सभी लोगों का रिकॉर्ड रखेगी, जिन्हें रथ यात्रा में भाग लेने की अनुमति दी गई है और अनुष्ठान में भाग लेने वालों का मेडिकल रिकॉर्ड भी रखेगी।
इस बीच केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को आश्वस्त किया है कि केंद्र सरकार रथ यात्रा के सुचारु और सुरक्षित संचालन के लिए राज्य सरकार को हरसंभव मदद देगी।
गौरतलब है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई के बाद आदेश सुनाते वक्त मुख्य न्यायाधीश का माइक बीच में ही बंद हो गया था। बाद में उन्होंने कहा था कि खंडपीठ के दोनों साथी न्यायाधीशों के आदेश की प्रति देख लेने के बाद संबंधित विस्तृत आदेश वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
न्यायमूर्ति बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा था कि राज्य सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को खतरे में देखकर श्रद्धालुओं को रोकने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा था कि हम सरकार को यह नहीं कह रहे कि उसे क्या करना चाहिए, लेकिन हम कुछ शर्तों के साथ इसकी (रथ यात्रा की) अनुमति दे रहे हैं।