नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष पद पर एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नाम पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच सहमति नहीं होने के कारण अदालत इस मामले में अंतिम निर्णय आने तक अध्यक्ष पद पर तदर्थ (एडहॉक) नियुक्ति करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह अंतरिम व्यवस्था होगी। वह नियुक्ति संबंधी इस विवाद पर अंतिम फैसला आने तक तदर्थ व्यवस्था के तौर पर अध्यक्ष पद के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त करेगी।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह दुखद है कि दोनों पक्ष (दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल) आपस में लड़ रहे हैं, जबकि संस्था (डीईआरसी) नेतृत्वहीन हो गई है। पीठ ने कहा कि हम किसी को नियुक्त कर सकते हैं। किसी को उस कार्यालय के कर्तव्य निभाने के लिए कह सकते हैं। मामले के निपटारे तक किसी को तदर्थ नियुक्त करते हैं।
पीठ ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं अधिवक्ताओं को दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों के नाम देने का सुझाव दिया। पीठ ने कहा कि हम एक नाम का चयन करेंगे। इससे पहले उसे कुछ होमवर्क करना होगा। शीर्ष अदालत मामले की अगली सुनवाई अगस्त के पहले सप्ताह में करेगी।
सुप्रीमकोर्ट ने 17 जुलाई को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक विवाद से ऊपर उठकर डीईआरसी के अध्यक्ष पद के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश का नाम चुनने का सुझाव देते हुए कहा था वह इस मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को करेगा।
दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति उमेश कुमार को डीईआरसी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के निर्णय को एकतरफा करार देते हुए इसका विरोध किया था।
दिल्ली सरकार ने न्यायमूर्ति कुमार की नियुक्ति सवाल उठाते हुए इसके फैसले को चुनौती दी थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शबीहुल हसनैन के 65 वर्ष के होने के पर नौ जनवरी 2023 सेवानिवृत्त होने के बाद से डीईआरसी अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है।